(मुकेश शर्मा)
(ग्वालियर)
इंदौर के हुकमचंद मिल के मामले की शिकायत प्रधानमंत्री से किए जाने पर मचा हड़कम्प
बोर्ड द्वारा सम्पूर्ण राशि का अग्रिम भुगतान किये जाने के बाद भी आज तक नहीं लिया गया कब्जा*
तत्कालीन अध्यक्ष आशुतोष तिवारी और आयुक्त चंद्र मौली शुक्ला ने साजिश के तहत बोर्ड को लगाया करोड़ों का चूना!
इंदौर स्थित नगर निगम की संपत्ति हुकुम चंद्र मिल को हाउसिंग बोर्ड द्वारा खरीदने ओर उसकी देनदारियों के 435 .89 करोड की राशि का हाउसिंग बोर्ड के द्वारा भुगतान किये जाने में लगभग 60 करोड़ की राशि का भृस्टाचार के आरोप विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष आशुतोष तिवारी ओर तत्कालीन आयुक्त चंद्र मौली शुक्ला पर लगे हैं।
इस बात की शिकायत प्रधानमंत्री तक पहुंचने से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
यह भ्रष्टाचार,इंदौर उच्च न्यायालय के द्वारा प्रकरण क्रमांक comp no 19 ऑफ 2001 मध्यप्रदेश शासन विरुद्ध हुकुमचंद मिल एवं अन्य मैं आदेश दिनाक 20-10-2023 एवं हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन कमिश्नर के पत्र क्रमांक 5143/लेखा शाखा/फण्ड /2023 भोपाल दिनांक 19-12-2023 से ही उजागर हो रहा है ।उच्च न्यायालय इंदौर के आदेश में एनेक्चर-पी-1 एवं हाउसिंग कमिश्नर के द्वारा लिखे गए पत्र में एनेक्चर-पी 2 से भ्रष्टाचार स्पष्ट उजागर होता है।

इंदौर उच्च न्यायालय के उक्त प्रकरण में दिये गये आदेश के पृष्ठ क्रमांक 2 पर बिंदु क्रमांक 1 में IA no 8179 /2023 के विन्दु क्रमांक 8 एवं आदेश के बिंदु क्रमाक 2 मैं हुकुम चंद्र मिल के परिसमापन के अंतर्गत कुल देनदारियों का चार्ट दर्शाया गया है। उक्त चार्ट में लेबर की देनदारियां ओर अन्य खर्चे 173.86 /- करोड़ है। इसके विरूद्ध हाउसिंग बोर्ड से 224 .40 करोड़ के भुगतान का प्रपोजल दिया । चार्ट के अंत मे टिप्पणी मै लिखा गया है कि ” रु 224.40 करोड़ सहित 44.00 करोड़ रु का ब्याज लगाया एवं 6,54 करोड़ प्रशासनिक एवं कानूनी खर्चा लगाया ” इस प्रकार 50.54 करोड़ रूपये ब्याज प्रशानिक ओर कानूनी खर्चे के नाम पर जोड़ी गईं राशि ही भ्रष्टाचार की मूल जड़ है।
उच्च न्यायालय के उक्त आदेश के एनेक्चर-पी -1 के सीरियल नंबर 4 ओर 6 में स्पष्ट लिखा है कि प्रशासनिक एवं कानूनी खर्चे की रकम 6.54 करोड़ सीधे लेबर यूनियन को भुगतान की जाये, लेकिन इसका उलंघन करते हुए एनेक्चर-पी-2 के अनुसार लेबर यूनियन को भुगतान नही करते हुए ,सीधे फर्जी वकीलों को उनके खाते में भुगतान किया गया । जिससे इस राशि का बंदरबांट आसानी से हो गया । ये गंभी जांच का विषय है कि इतनी बड़ी राशि प्रशासनिक एवं कानूनी खर्चे के नाम पर घोटालेबाजों ने हड़प ली।
इसी प्रकार ब्याज के नाम पर 44.करोड़ की राशि भी हड़प कर ली है और घपलेबाजों ने ब्याज किसको दिया इसका कोई विवरण भी नही दिया है। चार्ट में बैंक की देनदारियां का शेष ब्याज सहित दर्शाया है, फिर ये ब्याज किसको दिया इस संबंध मे कोई विवरण प्रस्तुत नही है।
चार्ट के अनुसार कुल देनदारियों का शेष राशि रुपये 374.35 करोड़ हैं हाउसिंग बोर्ड से प्रस्ताव के अनुसार भुगतान लिया। जिसके अंतर की राशि 61.54 करोड़ रु की राशि मैं से 11 करोड़ की राशि का कोई विवरण ही नही दिया , अचानक से लेनदार के नाम पर 11 लाख रु हाउसिंग बोर्ड से भुगतान लेकर भ्रष्टाचारियों ने हड़प ली।
एनेक्चर-पी-1 मैं चार्ट के अनुसार प्रस्ताव राशि 435.89 करोड़ का भुगतान के बदले 43.47 एकड़ भूमि का अधिपत्य मिलना था एनेक्सीचर पी-3 के अनुसार लेकिन 27.47 एकड़ भूमि का ही क्लियर अधिपत्य मिला शेष 16 एकड़ भूमि पर 9 स्थानों पर एनेक्चर-पी -4 के अनुसार अतिक्रमण होने के कारण आधिपत्य नही हुआ है। हाउसिंग बोर्ड के अपर आयुक्त -2 शैलेन्द्र वर्मा का पत्र दिनांक 01-01-2024 एनेक्चर-पी -4 में यह बात स्पष्ट है।
हाउसिंग बोर्ड एक स्वायत्तशासी निगम है जिसकी अपनी स्वयं की निधि होती है शासन के बजट निधि से इसका कोई सम्बन्ध नही है। मिल की भूमि 43. 47 एकड़ का सम्पूर्ण भुगतान 435.89 करोड़ 19-12-2023 को एनेक्चर-पी -2 से किये जाने के उपरांत आज दिनाक तक सम्पूर्ण भूमि का क्लियर आधिपत्य नही मिलने से नवीन परियोजना का क्रियान्वयन हाउसिंग बोर्ड के द्वारा नही किया जा पा रहा है।हाउसिंग बोर्ड के द्वारा इतनी बड़ी रकम के अग्रिम भुगतान से प्रति माह लगभग 4 करोड़ के बैंक ब्याज की आर्थिक क्षति हो रही है। दिनांक 19-12-2023 से अभी तक 50 करोड़ से अधिक राशि की बैंक ब्याज की हानि हो रही है इसके लिए जिम्मेदार कौन?
बोर्ड को जब तक सम्पूर्ण भूमि का आधिपत्य नही मिलेगा तब तक कोई नवीन परियोजना का क्रियान्वयन नही किया जा सकता और एक वर्ष से अधिक समय व्यतीत हो जाने के उपरांत भी अभी तक सम्पूर्ण भूमि का अधिपत्य नही मिला और न ही भविष्य में मिलने की संभावना है क्योंकि राजनीतिक प्रभावशाली लोगों ने अपने कुछ चहेतों को अधिकांश भूमि पर अतिक्रमण कराके भूमि को विबादग्रस्त बना दिया है। हाउसिंग बोर्ड के द्वारा उच्च ब्याज पर बैंको में अपनी जमा पूंजी को निकाल कर अग्रिम भुगतान करने से करोडो रुपये बैंक ब्याज का नुकसान हो रहा है।
हाउसिंग कमिश्नर के द्वारा लिखे गए पत्र के एनेक्चर-पी 2 के अनुसार राशि 6.54 करोड़ का भुगतान दो वकीलों को किया गया है। इन वकीलों के द्वारा इस राशि पर टीडीएस कटौत्रा आयकर विभाग में जमा नही कराया गया है, और ना ही तत्कालीन हाउसिंग कमिश्नर चंद्रमौली शुक्ला ने राशि का भुगतान करते समय टीडीएस की राशि काटकर राशि भुगतान की गई है। 6.54 करोड़ की राशि पर 30% की दर से आयकर काटा जाना था जो नही काटा गया। जिससे आयकर विभाग को भी लगभग 2 करोड़ के आयकर का नुकसान हुआ है। शिकायतकर्ता ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि इन सभी के अलावा बोर्ड के मुख्यालय अपर आयुक्त -2 एवं मुख्य लेखा अधिकारी,उपायुक्त इंदौर,कार्यपालन यंत्री हुकुमचंद मिल संभाग इंदौर सभी ने भ्रष्टाचार के इस नरक कुंड में जमकर गोते लगाये हैं।
ऐसे में इन सभी से रिकॉर्ड जब्त कर इनकी निष्पक्ष जांच कराई जाए और बोर्ड ने 435.88 करे का जो भुगतान किया है उसकी शासन हित में वसूली भी की जाए।इसके अलावा मिल की भूमि के आधिपत्य मैं विलंब एवं भूमि के ले आउट में अतिक्रमित भूमि के कारण हाउसिंग बोर्ड की नई योजना में विलम्ब से मंडल को आर्थिक क्षति हुई है। उस की जांच एवं वकीलों को करोड़ों रु. के फर्जी भुगतान की जांच कर 61.54 करोड़ रुपए की वसूली की जानी चाहिए।
इस मामले पर चर्चा करने के लिए आयुक्त डॉ राहुल हरिदास फंटिग एवं अपर आयुक्त शैलेन्द्र वर्मा को कई बार फोन लगाया लेकिन दोनों में से किसी ने मोबाईल कॉल रिसीव नहीं किया। उसके बाद दोनों अधिकारियों के वॉट्सएप नंबर पर मैसेज भेजकर उनका अभिमत जानना चाहा पर किसी ने जवाब नहीं दिया।
इस मुद्दे पर हाउसिंग बोर्ड के इंदौर वृत्त के उपायुक्त प्रबोध पारते से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि भूमि पर आधिपत्य मंडल का ही है,जब उनसे पूछा कि संपूर्ण भूमि पर आधिपत्य है ओर मंडल ने वकीलों तथा अन्य मदो पर जो खर्चा किया है उसमें मंडल को कितनी हानि हुई तो सवाल सुनते ही उन्होंने फोन काट दिया। इसके कुछ देर बाद फ़ोन मिलाया गया तो उन्होंने अपना मोबाईल स्विच ऑफ कर लिया। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मामला कितना गंभीर है?