(राजेश बैरागी)
(गौतम बुद्ध नगर)
√ फ्लैट बायर्स और बिल्डरों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर कर रहा ग्रेनो- ACEO
यह बहस का विषय हो सकता है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के 98 में से 78 ग्रुप हाउसिंग बिल्डरों ने अमिताभ कांत समिति की शर्तों को मानते हुए 25 प्रतिशत धनराशि कैसे जमा करा दी।
जबकि नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण यीडा को वैसी सफलता नहीं मिल पाई है। क्या ग्रेटर नोएडा के बिल्डर उदार हैं या यहां के फ्लैट बायर्स की किस्मत अच्छी है?
ये दोनों बातें भी हो सकती हैं और नहीं भी, परंतु यह सच है कि बिल्डर और फ्लैट बायर्स के वर्षों से चले आ रहे मसलों को अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों की रोशनी में सुलझाने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ईमानदार कोशिश की।
इसी का परिणाम है कि पहले सात वर्षों में तमाम प्रयासों के बावजूद मात्र 2044 फ्लैट बायर्स की रजिस्ट्री हो पाई थी परंतु पिछले एक वर्ष में (फरवरी 2024 से फरवरी 2025 तक) 15195 लोगों की रजिस्ट्री होकर उनके अपने घर होने का वर्षों का सपना साकार हो पाया। प्राधिकरण के वरिष्ठ अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी सौम्य श्रीवास्तव ने बताया कि मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी के नेतृत्व में पिछले एक वर्ष में फ्लैट बायर्स के साथ बिल्डरों की समस्याओं को भी प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया गया, उनके साथ निरंतर संवाद स्थापित कर प्राधिकरण ने उलझे हुए मामलों की जटिलताएं दूर कीं। हालांकि बिल्डरों के साथ प्रत्येक बैठक में उन्हें स्पष्ट तौर पर समझाया गया कि उन्हें प्राधिकरण का बकाया धन तो देना ही होगा।
श्रीमती श्रीवास्तव ने आगे बताया कि उन्हें अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के अनुसार जो भी छूट दी जानी थीं, प्राधिकरण ने उसमें कोई देरी नहीं की,इसी के परिणामस्वरूप प्राधिकरण को 78 प्रोजेक्ट से 25 प्रतिशत के रूप में 1014 करोड़ रुपए की प्राप्ति हो गई और फ्लैट बायर्स की रजिस्ट्री का रास्ता खुला। इन्हीं बिल्डरों से शीघ्र ही 1868 करोड़ रुपए की अगली किश्त प्राधिकरण को मिलेगी।
सौम्य श्रीवास्तव ने बताया कि शेष 20 बिल्डरों ने किसानों को दिए जाने वाले अतिरिक्त प्रतिकर के भुगतान को लेकर उच्च न्यायालय इलाहाबाद से स्थगनादेश ले रखा है। प्राधिकरण इसके अतिरिक्त बकाया को लेकर न केवल बिल्डरों से बात कर रहा है बल्कि ऐसा एक प्रस्ताव उच्च न्यायालय के समक्ष रखने की तैयारी की जा रही है। यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो हजारों फ्लैट बायर्स की रजिस्ट्री का रास्ता और खुल जाएगा।इसी प्रकार आम्रपाली और यूनिटेक के लगभग 42 हजार फ्लैट बायर्स के मामले में भी आवश्यक कार्रवाई करने की तैयारी चल रही है।
गौरतलब है कि आम्रपाली के प्रोजेक्ट में 35 हजार घर खरीदार फंसे हुए हैं तो वहीं प्राधिकरण का 15 हजार करोड़ रुपया भी फंसा हुआ है।यूनिटेक के प्रोजेक्ट में 7 हजार घर खरीदार फंसे हुए हैं और प्राधिकरण को उससे 900 करोड़ रुपए लेने है।इन दोनों बिल्डरों के मामले सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के अधीन हैं जबकि एनसीएलटी में चल रहे 22 बिल्डरों के मामलों में प्रभावी पैरवी के लिए प्राधिकरण एक विशेष टीम बनाने जा रहा है।