★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
रामनगरी में कल होने वाले जलाभिषेक उत्सव में मुख्यमंत्री समेत रक्षामन्त्री राजनाथ सिंह,सांसद द्वय मनोज तिवारी, प्रवेश वर्मा रहेंगे मौजूद
समारोह में कई देशों के राजदूतों के साथ योगगुरू बाबा रामदेव, विहिप के दिनेश चंद्र,संघ प्रचारक रामलाल, जैन आचार्य लोकेश मुनि,महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी सहित तमाम महत्वपूर्ण हस्तियां रहेंगी मौजूद
बीजेपी नेता व पूर्व विधायक विजय जॉली के “दिल्ली स्टडी ग्रुप”ने वर्ष 2020 से जल एकत्र करने का चलाया था अभियान
♂÷करोड़ो हिंदुओ व तमाम देशों के असँख्य श्रीराम भक्तों के आराध्य दशरथ नंदन प्रभु श्रीराम की अयोध्या नगरी में कल यानी 23 अप्रैल रविवार को अमिट इतिहास दर्ज होने जा रहा है।
23 अप्रैल को 155 देशों और सातों महाद्वीपों की नदियों और समुद्रों से लाये गए जल से श्री रामलला का जलाभिषेक किया जाएगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामलला का जलाभिषेक करेंगे।
यह कार्यक्रम श्रीराम भक्तों के लिए अविस्मरणीय, ऐतिहासिक व विशेष होगा, क्योंकि जलाभिषेक 155 देशों और सातों महाद्वीपों की नदियों और समुद्रों से लाए गए जल से होगा।
इससे पहले यह पवित्र जल मणिरामदास की छावनी के सभागार में सुबह 10:00 बजे भव्य समारोह का आयोजन कर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपा जाएगा। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामलला का जलाभिषेक करेंगे। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी होगी। समारोह में कई अन्य देशों के राजदूत भी सहभागिता करेंगे, साथ ही योगगुरु बाबा रामदेव, विहिप के दिनेश चंद्र,संघ प्रचारक रामलाल, इंद्रेश कुमार, जैन आचार्य लोकेश मुनि, महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी, पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल जोगिंदर जसवंत सिंह, सांसद व भोजपुरी अभिनेता/गायक मनोज तिवारी,सांसद प्रवेश वर्मा सहित अन्य महत्वपूर्ण लोग इस चिरस्मरणीय क्षण के साक्षी बनेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। बीस से अधिक देशों के प्रवासी भारतीय नेताओं सहित अन्य देशों के राजनयिक भी मौजूद रहेंगे।
कहाँ कहाँ से व कैसे लाया गया जल
क्या हिन्दू,क्या मुस्लिम,क्या ईसाई, क्या यहूदी सहित अन्य धर्म मजहब रिलीज़न को भी मानने वाले देशों से भी श्रीरामलला के जलाभिषेक के लिए पात्रों में पुण्य जल को 155 देशों से लाया गया है।
यह पवित्र जल दुनिया भर के 155 देशों और सातों महाद्वीपों की नदियों और समुद्रों से लाया गया है। विशेष रुप से पाकिस्तान की रावी नदी का जल भी जलाभिषेक के लिए इस्तेमाल होने वाले कलश में शामिल किया जाएगा। रावी का जल पहले पाकिस्तान के हिंदुओं ने दुबई भेजा था,फिर दुबई से दिल्ली लाया गया,अब इस जल को अयोध्या लाया गया है।
पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान, ब्राज़ील, डेनमार्क, तन्जानिया, नाइजीरिया, अमेरिका, नेपाल, मालदीव, बांग्लादेश,सूरीनाम, चीन, यूक्रेन,रूस, कजाखिस्तान, कनाडा,उज्बेकिस्तान, फ़्रांस, ज़र्मनी, जॉर्जिया, स्विट्जरलैंड, ईटली, इराक़, कनाडा,चीन,भूटान, तिब्बत सहित कई अन्य देशों की नदियों से जल प्राप्त किया गया है। प्रत्येक देश के पवित्र जल को तांबे के लोटे में भरकर सील किया गया है। इन पर प्रत्येक देश का नाम व झंडे का स्टीकर चिपका है।इनको भगवे फीते से सजाया गया है।
पवित्र जल प्रवासी भारतीयों ने अयोध्या राममंदिर जलाभिषेक के लिए भारत भेजा है। जानकारी के अनुसार दिल्ली भाजपा नेता और पूर्व विधायक विजय जॉली के “दिल्ली स्टडी ग्रुप” ने वर्ष 2020 में जल एकत्रित करने की मुहिम शुरू की थी।जलाभिषेक वाले दिन यह टीम अयोध्या में जल से भरे कलश को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपेगी।
पूर्व विधायक विजय जॉली ने बताया कि “युद्ध के दौरान ही रूस और यूक्रेन की नदियों के जल को भी एकत्रित किया गया”था।
उन्होंने ने बताया कि अंटार्कटिका से भी जल एकत्र किया गया है जो कि खासा दुर्गम क्षेत्र है।एकत्रित किए गए जल से श्री राम जन्मभूमि मंदिर के अभिषेक कार्यक्रम को वृहद स्वरूप देने की तैयारी है।
राममंदिर निर्माण की स्थिति
राम मंदिर के भूतल (गर्भगृह) का काम अब अंतिम चरण में पहुंच रहा है। अभी पत्थरों पर मेहराब बनाने का काम चल रहा है। अगले महीने से रामलला के घर की छत ढालने का काम शुरू हो जाएगा। राम मंदिर के गर्भ गृह का परिक्रमा पथ भी बन चुका है। मेहराब वास्तुकला का एक शानदार नमूना होता है, जो किसी भी संरचना में लालित्य और सुंदरता जोड़ सकता है।
मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर कई स्थानों पर मेहराब बनाने का काम चल रहा है। बीम के भी सभी स्तम्भ तैयार हैं। इसी माह यह काम पूरा होते ही मई से राममंदिर की छत ढालने की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी। राममंदिर में दो परिक्रमा पथ बनाये जा रहे हैं, जिसमें से गर्भगृह का परिक्रमा पथ बन चुका है। गर्भगृह की परिक्रमा केवल पुजारी ही कर पाएंगे।
चंपत राय ने बताया की पूर्व निर्धारित समयावधि के अनुसार कार्य संतोषजनक तरीके से आगे बढ़ रहा है। दिसंबर 2023 तक भूतल बनकर तैयार हो जाएगा,जब प्राण प्रतिष्ठा करनी होगी तो उससे एक महीने या पन्द्रह दिन पहले दिनांक घोषित कर दी जाएगी। पहले से दिनांक घोषित करना ठीक नहीं है। एक सवाल के जवाब में चंपत राय ने कहा कि काशी कॉरिडोर का उद्घाटन दिसंबर में हुआ था। मैंने काशी के विद्वानों से राय ली है,हम दिसंबर में भी प्राण प्रतिष्ठा कर सकते हैं। मकर संक्रांति के आसपास की तिथि भी प्राण प्रतिष्ठा के लिए देखी जा रही है। विद्वान और आचार्य जो भी मत देंगे,उसी के अनुसार कार्य किया जाएगा।
कुल मिलाकर देश दुनियां में बसे करोड़ो-करोड़ श्रीराम भक्तों की श्रीराम लला जन्मस्थान के ऊपर देश का विशालतम व भव्य बन रहे राममंदिर के पूर्ण होने के पश्चात श्रद्धापूर्ण दर्शन पूजन व मन्दिर का नयनाभिराम अवलोकन करने के लिए हृदय बेचैन हुआ जा रहा है।