लेखक~मुकेश सेठ
वर्ष 2012 में मनमोहन सरकार को समर्थन दे रहे मुलायम सिंह यादव नें काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात कर हरियाणा के सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव से हटवाकर सपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह को जितवाया था महासंघ अध्यक्ष का पद
♂÷देश की राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर कई दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने अपने पहले के प्रदर्शन में अपने मंच का इस्तेमाल किसी भी राजनीतिक दल को न करके अपनी मांगों व देश की सहानुभूति हासिल करनें में सफ़ल होते दिखे थे तो अब दूसरी बार खुलकर काँग्रेस, आम आदमी पार्टी,राकेश टिकैत हरियाणा की जाट लॉबी व हरियाणा के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा जैसे नेताओं को पहलवानों ने अपने मंच पर जगह दे दी।जिससे यह लड़ाई अब पहलवानों से हटकर राजनीतिक दलों ने विपक्षी बनाम मोदी सरकार बना दिया है। निवर्तमान फेडरेशन अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के बहाने।
देखा जा सकता है कि पहलवान हठधर्मिता पर उतारू होते जा रहे हैं, उनके आंदोलन के पीछे के मंसूबे भी सामने आ रहे हैं और वे स्वयं ही साबित कर रहे हैं कि उनका हैंडल कोई और ही घुमा रहा है।
ऐसा न होता तो सुप्रीम कोर्ट के द्वारा उनका केस बंद करने पर विनेश फोगट के कहने का क्या मतलब है कि “सुप्रीम कोर्ट / हाई कोर्ट “ से पहले हमारी “खाप पंचायतें और उसमें बैठे हमारे बुजुर्ग” फैसला लेते हैं और हम उसे ही मानेंगे।
जबकि पहले उनकी मांग थी कि उनके आरोपो पर सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले और दिल्ली पुलिस केस दर्ज करे।केस भी दर्ज हो गया सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर और पुलिसिया जाँच भी अध्यक्ष व बीजेपी सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ चल रही है।
इसके अलावा बजरंग पुनिया जोर जोर से कहते है कि सारे किसानों अपने अपने ट्रैक्टर ले कर आ जाओ।
दिल्ली के महंगे होटलों में शुमार होटल प्लाजा में कहते हैं 64 कमरे बुक किए हुए हैं जिनमें जा कर ये पहलवान और बाहर से आने वाले समर्थक ठहराए जाते हैं जो कि दिन में जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करते हैं और रात में वापस आकर सभी तरह की थकान मिटाते है।
इस होटल में एक दिन का हर लग्ज़री कमरे का किराया कम से कम 7600/- रुपए है। ये होटल का प्रबंध किसी Sky Holiday के नाम से किया जा रहा है – कई कई लाख के कालीन बिछे हुए हैं जंतर मंतर के आंदोलन स्थान पर , आखिर कौन फंडिंग कर रहा है?
होटल की बुकिंग कौन कराता है इस पर पुलिस की नज़र है और हो सकता है कुछ दिन बाद ED इनके खर्च का स्रोत तलाश करने केस अपने हाथ में ले सकती है।
अभी तो खालिस्तानी तत्व सरकार की सख़्ती से कब्जे में हैं अन्यथा तो लंगर भी लगे होते जहां किसान आंदोलन की तरह 5 स्टार खाना और दारू चल रही होती।
सबसे बड़ा फ्रॉड तो इस आंदोलन में शुरू हुआ है जिसके लिए इन पहलवानों पर ही FIR दर्ज होनी चाहिए – आंदोलन में कुछ सड़क छाप लोगों ने देश तोड़ने के ये नारे लगाए हैं:-
-आज़ादी, आज़ादी, आज़ादी, आज़ादी
-ब्राह्मणवाद से आज़ादी,
-मनुवाद से आज़ादी,
-अख़लाक़ अभी तक जिंदा है,
-अल्लाह -हू – अकबर,
-मोदी से आज़ादी,
-RSS से आज़ादी
सुना है एक फैसला खाप और किसान नेताओं के आने के बाद और लिया गया है कि बृजभूषण शरण सिंह के साथ साथ नरेंद्र मोदी के भी पुतले जलाए जाएंगे, वैसे ये किसान इस तरह के आंदोलन के साथ खड़े होते हुए अपनी हालत पंजाब में नहीं देख रहे जो केजरीवाल की “आप” सरकार ने की हुई है या किसान आंदोलन की तरह ये लोग 2024 चुनाव में कांग्रेस के लिए “बैटिंग पिच” तैयार कर रहे हैं।
टिकैत जैसे लोग किसान आंदोलन में हाशिये पर जाने के बाद अपने लिए नई जमीन तलाश रहे हैं।

अभी तो शायद इन महिला पहलवानों के समर्थन में ट्विटर पर रोने के लिए पोर्नस्टार मिया खलीफा, पर्यावरण चिंतक ग्रेटा थनबर्ग और पॉप स्टार रिहाना भी न आ जाये किसान आंदोलन की तरह।
मजे की बात है कि पुलिस के सामने 7 पहलवानों ने बयान दर्ज करा कर कहा है कि उनसे छेड़छाड़ की थी बृजभूषण ने परंतु एक को भी छेड़छाड़ की तारीख याद नहीं है,यदि तारीख बता दी और बृजभूषण ने साबित कर दिया कि वह उस दिन शहर में था ही नहीं तो क्या होगा, उसके पहले विनेश फोगट बोल कर फंस गई थी कि बृजभूषण ने 2015 में उसके साथ गड़बड़ की थी। जबकि बोलना था 2016, उसके बाद 2018 में मीडिया में कहा था कि उसके साथ कभी कुछ गलत नहीं हुआ।
लेकिन क्योंकि बस हमने आरोप लगाया है, इसलिए बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार कर लो जबकि पुलिस का कहना है कि साक्ष्य मिलने पर ही गिरफ़्तारी हो सकती है।
ये पहलवान सरकार को हलके में ले रहे हैं, अभी कुछ दिन पहले रात में जैसे पुलिस ने इनकी क्लास ली थी और दो दिन पहले स्वाति मालीवाल को महिला पुलिस से उठवा दिया था, वो एक बानगी थी जिसका विकराल रूप भी दिखा सकती है पुलिस इन्हे खदेड़ने के लिए।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से ऊपर “खाप पंचायत” को बिठा कर पहलवानों ने अपने पैर पर ख़ुद कुल्हाड़ी मारने की जगह कुल्हाड़ी पर ही पैर दे मारे है।
हो सकता है अब यदि ये सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार हाई कोर्ट जाते हैं तो हाई कोर्ट कह सकता है कि”हम आपके हैं कौन” आप करा लो अपना फैसला “खाप” से।
एक बात और लोगों को याद होना चाहिए कि जो काँग्रेस नेता राहुल गाँधी,प्रियंका वाड्रा गाँधी,उनके पति रॉबर्ट वाड्रा आदि नेताओँ ने धरनारत पहलवानों के समर्थन में जंतर मंतर पर जाकर भारतीय कुश्ती संघ के निर्वतमान अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह को बगैर किसी जाँच के सीधे जेल भेजने और फाँसी तक चढ़ाए जाने की पुरजोर मांग की है। वहीं यह जानकर चौंक उठेंगे कि गाँधी परिवार के इशारे पर चलने वाली मनमोहन सरकार के दौरान वर्ष 2012 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जो कि वह भी भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रहे फ़िर से अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे थे।
तब सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अपने ख़ास गोंडा से बाहुबली सपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह को इस पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया था।
मनमोहन सिंह सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे मुलायम सिंह यादव नें यूपीए चेयरपर्सन व काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से इस बाबत बात की जिस पर सरकार चलाने की मजबूरी के चलते श्रीमती गाँधी ने मुख्यमंत्री हुड्डा को चुनावी मैदान से हटाकर तत्कालीन सपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के लिए अध्यक्ष पद तश्तरी में सजाकर दिया था।
इसीलिए सपा खुलकर विरोध गोंडा से भाजपा सांसद व निर्वतमान कुश्ती महासंघ अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह का नही कर रही है।
वर्तमान में तीन कार्यकाल के बाद ब्रजभूषण शरण सिंह चुनाव नही लड़ सकते हैं और उनका कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है, मई में रेसलिंग फेडरेशन का इलेक्शन भी होने वाला है।
कर्नाटक में विधानसभा का तो उत्तरप्रदेश में नगर निकाय का चुनाव चल रहा है।

धरना प्रदर्शन को जिस तरीके से चुनाव के दौरान,पँजाब उत्तरप्रदेश पश्चिम बंगाल व गुजरात चुनाव के पूर्व किसान बिल के विरोध में लंबे खिंचे गए किसान आंदोलन जो कि बाद में कथित तौर पर खालिस्तान समर्थकों के हाथों में जाता दिखा।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने परिवार के साथ अहमदाबाद के निजी दौरे के पूर्व CAA और NRC को लेकर शाहीन बाग आंदोलन और दंगा।
काँग्रेस,आम आदमी पार्टी, कम्युनिस्ट,कथित सोशल एक्टिविस्ट व देश के मीडिया के साथ विदेशी मीडिया में खबरों की सुर्खियों में यह जोर शोर से भले ही आते हो किन्तु कांग्रेस समेत विपक्षियों को यह रणनीति बदलने की जरूरत है। इस तरह से हर बार नए कथानक व पात्रों को आगे कर आप मोदी की लोकप्रियता व अमित शाह की सांगठनिक पकड़ व कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर तक मजबूत करने से मतदाताओं के घरों में घुस चुकी बीजेपी को परास्त करने के लिए इन पार्टियों को बीजेपी के ही रणनीतिक हथियार से सत्ता से बाहर किया जा सकेगा।
साथ ही देश में ज़मीनी मुद्दों की कमी नही है जो मोदी सरकार को घुटनों पर लाये किन्तु आश्चर्यजनक सत्य तो यह है कि काँग्रेस व अन्य विपक्षी दलों की लय व राजनीतिक रणनीति अक्सर एक दूसरे के विरुद्ध चलती दिखती है।