लेखक – डॉक्टर राजीव मिश्र
इंग्लैंड में पिछले (2019 के) चुनावों में कंजर्वेटिव पार्टी भारी बहुमत से सत्ता में आई थी और इन चुनावों में उससे भी भारी पराजय के साथ सत्ता से बाहर हो गई।
इसके साथ ही चौदह साल बाद कंजर्वेटिव पार्टी वापस विपक्ष में चला गया और लेबर पार्टी आज तक की सबसे बड़ी जीत के साथ यूनाइटेड किंगडम में सरकार बना रही है।
एक मित्र ने इसे भारत की सरकार के लिए चेतवानी के रूप में प्रस्तुत किया है लेकिन मैं ब्रिटेन में चौदह वर्षों से रह रहा हूं और उसके पहले से भी यहां की पॉलिटिक्स को फॉलो करता रहा हूं। मेरी दृष्टि में यह सत्ता के लिए नहीं, जनता के लिए अधिक बड़ी चेतावनी माना जाना चाहिए ।पिछले चार साल का कंजर्वेटिव सरकार का रिपोर्ट कार्ड निष्पक्ष होकर देखें तो वह बहुत ही सम्माननीय और सराहनीय ब्रिटेन के हितार्थ।
कजर्वेटीव पार्टी Brexit को लागू करने के वायदे के साथ सत्ता में आई थी और आते ही इसे लागू किया।उसके साथ ही कोविड आ गया और कोविड महामारी में इंग्लैंड की अवस्था यूरोप के किसी भी देश के मुकाबले बहुत बेहतर और व्यवस्थित रही।लोगों को हेल्थ केयर मिला, जिन लोगों की आमदनी चली गई थी उनको उनकी रेगुलर इनकम का एक भाग दिया जाता रहा।उसके बाद फिर अर्थव्यवस्था पर यूक्रेन युद्ध का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा लेकिन उसे फिर से संभाल कर वापस पटरी पर लाया गया।
स्थिति बिगड़ी, लेकिन जितनी बिगड़ी होती उसका बहुत छोटा भाग ही जनता ने महसूस किया।
लेकिन दूसरी तरफ मीडिया लगातार सरकार पर हमले करता रहा और एक के बाद दूसरा झूठा स्कैंडल खड़ा करके प्राइम मिनिस्टर बोरिस जॉन्सन के सभी विश्वासपात्रों को बदनाम करता रहा और जिस जिस पर उंगली उठती गई, बोरिस जॉनसन ने भी उन सबको किनारे करते गए।
आखिर में स्थितियां ऐसी बन गईं कि खुद पीएम बोरिस जॉनसन को इस्तीफा देकर हटना पड़ा।उसके बाद लिज ट्रस को भी देश नही संभालने के चलते तीन महीने से कम समय में ही रिजाइन करना पड़ा।
फिर कजर्वेटिव पार्टी के दिग्गजों ने भारतीय मूल के धनाढ्य ब्रिटिश नागरिक ऋषि सुनक को प्राइम मिनिस्टर बना कर हिचकोले खा रहे ब्रिटेन की बागडोर सौंपी।
ऋषि सुनक के विरुद्ध भी एक कैंपेन चलता रहा जिसके केंद्र में कुल मिला कर यह प्रचार था कि ऋषि सुनक बहुत धनी है और कोई भी बात ऋषि के विरुद्ध नहीं थी तो उसकी सफलता को ही उसका सबसे बड़ा दुर्गुण घोषित कर दिया।
आज ऋषि सुनक प्रधानमंत्री नहीं है लेकिन अब भी वह ब्रिटेन के सबसे धनी लोगों में से एक है और उनकी पत्नी फ़ैशन डिजायनर अक्षता मूर्ति तो ब्रिटेन की महारानी से भी अधिक धनी है ही।आप उनकी एबिलिटी के लिए उनसे घृणा करते रहिए और सोचते रहिए कि आपने उन्हे पाठ पढ़ा दिया, लेकिन जहां तक ऋषि सुनक की लाइफ का सवाल है, वह पहले से बेहतर ही गुजरेगी।वह अपने परिवार पर और अपने धन को भोगने पर अधिक ध्यान दे पाएंगे, जो भुगतेंगे, हम भुगतेंगे, देश भुगतेगा।
लेबर पार्टी की सरकार के आने के कुछ अपेक्षित परिणाम होंगे।सरकार द्वारा वेलफेयर पर किया जाने वाला खर्चा और बढ़ जायेगा,खटाखट मशीन चलने लगेगी। टैक्स बढ़ेंगे, इनफ्लेशन बढ़ेगा, महंगाई बढ़ेगी,बैंकों के इंटरेस्ट रेट बढ़ेंगे और लोग अपने घरों के इंस्टॉलमेंट न चुका पाएंगे तो बेघर हो जायेंगे।
उधर वामपंथी गिरोह सरकार से अपने एजेंडा पूरा करवाने के लिए कमर कसे हुए है उनका वोक एजेंडा चल पड़ेगा,बच्चे पैदा होते ही सतरंगी डायपर पहनने लगेंगे।
कथित पर्यावरण प्रेमी लोग,लोगों के पेट्रोल और डीजल कारों पर प्रतिबंध लगवाने के लिए खड़े हैं।
लोगों की कारों की रीसेल वैल्यू खत्म हो जाएगी, उनपर अपनी गाड़ियों को सिटी सेंटर्स में ले जाने के लिए एक्स्ट्रा चार्जेस लगाए जायेंगे।जो सामान्य व्यक्ति इलेक्ट्रिक कार नहीं अफोर्ड कर सकता वह बसों की लाइन में लग जायेगा,बिजनेस बंद होंगे, जॉब्स नहीं होंगे। लोग जितने गरीब होंगे, सरकारें उतना अधिक टैक्स बढ़ाएगी और बिजनेस का गला घोंटेगी। लोग अपनी गरीबी के लिए सरकार के बदले कंपनियों को कोसेंगे जिनसे उन्हें रोजगार मिलना है।
आपको लगता है कि सरकार ऐसा करेगी तो पांच साल में बदल जायेगी और वापस टोरी आ जायेंगे और सब पहले जैसा हो जायेगा,लेकिन यह इतना सीधा रास्ता नहीं है।जिन बच्चों का स्कूलों में ब्रेनवाश होगा वे बड़े होकर वोटर लिस्ट में आ जाएंगे और उन्हें धेले भर की समझ नहीं होगी कि उनकी यह हालत क्यों हुई है।
वे समाजवाद की डोज बढ़ाने की मांग करते रहेंगे जिसे किसी भी सरकार को पूरा करना होगा,यानि टोरी अपनी पॉलिसीज को खिसका कर लेबर के करीब ले आएगी।सरकार बदल भी जायेगी तो पॉलिसीज नहीं बदलेगी, जो नुकसान होगा वह स्थायी होगा।
उधर इंग्लैंड इजरायल के मुद्दे पर गाजा का समर्थन करना शुरू कर देगा,स्टार्मर नहीं करेगा तो पाकिस्तानी मूल के लंडन के मेयर सादिक खान को सामने लाया जायेगा। घुसपैठियों को निकाल कर रवांडा भेजने की योजना तो खटाई में पड़ ही चुकी है।
फ्लडगेट्स खुल जायेंगे, शरणार्थियों की नावें उतरने लगेंगी उनके लिए काउंसिल घर देगी, मुफ्त बिजली-पानी और मासिक एलाउंस देगी।
बिल फटेगा हम टैक्स पेयर्ड नागरिकों पर।शहरों में दाढ़ी और बुर्के भर जायेंगे और अंग्रेज अपने घर सस्ते में बेच कर गावों की तरफ मूव कर जायेंगे।
इंग्लैंड ने ऋषि सुनक को सबक सिखा दिया, अब अपनी सबक सीखने की बारी है।सबक सिर्फ सिखाए नहीं जाते, सीखे भी जाते हैं और जो सबक दूसरों को देख कर सीख लिए जाएं वे बेहतर होते हैं।

(लेखन लंडन में डॉक्टर हैं और यह उनके निजी विचार हैं)