(मुकेश सेठ)
(मुंबई)
√ ५ अगस्त १९९४ में देश में रिलीज हुई “हम आपके हैं कौन” को देखने के लिए दर्शकों को ब्लैक में ५०० रुपये तक के टिकट को भी खरीदना पड़ा था
√ यूपी जौनपुर के गाँव में बनी “नदिया के पार” फिल्म को अमीर शहरी परिवेश में सूरज बड़जात्या ने सलमान खान और माधुरी दीक्षित को लेकर बनाया “हम आपके हैं कौन”
कभी कभी कुछ ऐसे निर्णय नामचीन अभिनेता ले लेते हैं कि उन्हे उसका पछतावा आजीवन रहता है क्योंकि जिस फिल्म को वह ठुकरा देते हैं वही फिल्म दूसरे हीरो की तकदीर लिखती है तो साथ ही सफलता के नये आयाम।
बात हो रही है सिने जगत की मील का पत्थर माने जाने वाली फिल्म “हम आपके हैं कौन” की।
जो की आज की ही तारीख ५ अगस्त १९९४ को जब सिनेमा घरों में प्रदर्शन के लिए लगी तो दर्शकों की दीवानगी ने एक नव रचित इतिहास सर्जा डाला।
राजश्री प्रोडक्शन हाउस ने अपनी बेहद कम बजट वाली अत्यधिक सफ़ल फिल्म “नदिया के पार” जो कि उत्तर प्रदेश के जौनपुर के गाव में पूरी तरह से शूट की गयी थी।जिसमें सचिन ने हीरो चंदन तो साधना सिंह ने गुँजा का किरदार निभाया था।
राजश्री ने” नदिया के पार “की कहानी को शहरी परिवेश में ढालते हुए”हम आपके हैं कौन” नाम से बिग बजट में मूवी बनाने का फैसला किया।
उस वक्त आमिर खान का युवाओं, युवतियों में बेहद क्रेज था, सलमान खान का स्टारडम हिचकोले खा रहा था।
जब आमिर खान ने इसलिए “हम आपके हैं कौन” फिल्म में काम करने से मना कर दिया था क्योंकि उन्हें इसकी स्क्रिप्ट पसंद नहीं आ रही थी। आखिरकार सूरज बड़जात्या अपने पुराने हीरो सलमान खान के पास पहुंचे। उस दौर में वैसे भी सलमान खान का करियर बहुत अच्छा नहीं चल रहा था। सलमान को जब ये फिल्म ऑफर हुई तो उन्होंने फौरन ये फिल्म साइन कर ली और ये तो हम सभी जानते हैं कि उसके बाद क्या हुआ। सलमान खान के करियर को” हम आपके हैं कौन” फिल्म ने फिर किन बुलंदियों पर पहुंचा दिया यह सर्व विदित है।

आज “हम आपके हैं कौन” फिल्म को रिलीज़ हुए 30 साल हो गए हैं।५ अगस्त १९९४ को इस फिल्म ने सिल्वर स्क्रीन पर दस्तक दी थी तो बेहद साफ़ सुथरी परिरिवारिक कहानी पर बनी इस फिल्म को देखने के लिए सपरिवार लोग ब्लैक में टिकट लेकर फिल्म देखने पहुँच रहे थे।
सिनेमा हॉल में सीट के बाद भी स्टूल लगाए जाते थे, जब एक टिकट का दाम दस से पंद्रह रुपये होते थे तो ब्लैक में एक टिकट पांच सौ तक में बिके थे।
कहा जाता है कि टिकट ब्लैक करने वाले लाखों रुपये इस फिल्म के चलने तक छापे थे तो सिनेमा हॉल मालिक भी कुछ टिकट बेचकर ब्लैकिये के जरिये मुहमांगे दाम पर टिकट बिकवाये थे।
मालूम हो कि यह फिल्म छह करोड़ रुपए के बजट में बनी और फिल्म ने लगभग 135 करोड़ रुपए का कारोबार किया था जो कि उस दौर का एक फ़िल्मी बिजनेस में रिकार्ड था और ये ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर फिल्म बन गई।
“हम आपके हैं कौन” वास्तव में 1982 में आई राजश्री प्रोडक्शन्स की ही “नदिया के पार” का शहरी वर्ज़न है। नदिया के पार का निर्देशन गोविंद मुनिश ने किया था और वो इसी कहानी को बड़े बजट के साथ उन्नत तकनीक से बनाएं। उन्होंने सूरज बड़जात्या को इस फिल्म पर काम करने को कहा। कहा जाता है कि अपने पिता से मिले निर्देश के बाद सूरज बड़जात्या स्क्रीनप्ले लिखने में जुट गए। और 1 साल 9 महीने की मेहनत के बाद आखिरकार उन्होंने स्क्रीनप्ले लिख लिया। नाम रखा “हम आपके हैं कौन”।
इस फिल्म का म्यूज़िक भी इसकी सफलता की अहम कड़ी थी। फिल्म का संगीत तैयार किया था रामलक्ष्मण ने। रामलक्ष्मण ने ही सूरज बड़जात्या और सलमान की डेब्यू फिल्म “हम आपके हैं कौन” का संगीत भी तैयार किया था। फिल्म में कुल 14 गीत थे जिन्हें देव कोहली व रविंद्र रावल ने लिखा था। महान गायिका लता मंगेशकर ने इस फिल्म में 11 गीत गाए थे। दीदी तेरा देवर दीवाना गीत ने तो धूम ही मचा दी थी। इस गीत के लिए लता जी को कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया था। फिल्मफेयर ने लता जी को इस गीत के लिए फिल्मफेयर स्पेशल अवॉर्ड दिया था। आज भी ये गाना लोग सुनते हैं। कई लोग अपनी शादी के वीडियो में इस गीत को रखवाना पसंद करते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक ये गाना उस्ताद नुसरत फतेह अली खान के गाए एक गीत सारे नबियां से प्रेरित था।
देश में सिनेमाघरों को उन्नत बनाने का काम भी ‘हम आपके हैं कौन’ फिल्म ने किया था। दरअसल, सूरज बड़जात्या ने इस फिल्म को रिलीज़ करने के लिए बड़े शहरों में सिर्फ उन थिएटर्स को ही चुना जहां का साउंड सिस्टम बेस्ट माना जाता था। और जहां का विज़ुअल एक्सपीरियंस भी शानदार कहा जाता था। सूरज बड़जात्या के इस कदम ने अन्य सिनेमाघर मालिकों को भी अपने थिएटर को उन्नत करने के लिए पैसा खर्च करने को प्रेरित किया।
जब हिंदी भाषी दर्शकों में ‘हम आपके हैं कौन’ फिल्म का क्रेज़ चल रहा था तब राजश्री प्रोडक्शन्स ने इस फिल्म की कामयाबी को और भुनाने का प्रयास किया। फिल्म को तमिल में डब करके भी रिलीज़ किया गया था। और तमिल वर्ज़न को भी बढ़िया रेस्पॉन्स मिला था।
माधुरी दीक्षित की अदायगी और उनकी खूबसूरती ने ‘हम आपके हैं कौन’ देखने आए दर्शकों का दिल जीत लिया था। हालांकि इस बात से शायद बहुत कम लोग वाकिफ होंगे कि सूरज बड़जात्या इस फिल्म में पहले निकी अनेजा को कास्ट करना चाहते थे। लेकिन किन्हीं वजहों से निकी अनेजा से उनकी बात बन नहीं पाई और ये फिल्म माधुरी दीीक्षित को मिल गई।
फिल्म में एक सीन है जिसमें अनुपम खेर शोले के वीरू और मौसी वाले सीन को रिक्रिएट करने की कोशिश करते हैं। अनुपम खेर जब ये सीन शूट कर रहे थे तब वो फेशियल पैरालाइसिस से जूझ रहे थे। उन्हें शूटिंग करने के लिए डॉक्टरों ने मना किया था लेकिन इस फिल्म को वक्त पर रिलीज़ कराने के लिए अनुपम खेर ने बीमारी के बावजूद एक्टिंग जारी रखी।
कहा जाता है कि नेपाल में होने वाली शादियों में जूता चुराई की कोई रस्म नहीं मनाई जाती थी। लेकिन इस फिल्म का प्रभाव वहां के लोगों पर इतना ज़्यादा पड़ा कि वहां भी शादियों में जूता चुराई की रस्म शुरू हो गई। हम आपके हैं कौन फिल्म की काफी शूटिंग ऊटी में हुई थी।
कुल मिलाकर भारतीय सिने जगत में “हम आपके है कौन” एक ऐसी फिल्म के तौर पर स्वर्णांकित है कि जिसमें एक भी दृश्य अश्लिल नही था, पूरी फिल्म देखते हुए ऐसा लगता था कि जैसे हम भी एक अमीर घराने की शादी में होने वाले सभी घटनाओं में शामिल और साक्षी है।