(मुकेश सेठ)
(मुंबई)
√ इस घटना के बाद कांग्रेस के टिकट पर दो बार विधायक रहे पांडेय का ७१ वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के चलते लखनउ आवास पर हुआ निधन
√ केंद्र की जनता पार्टी की सरकार ने १९७८ में घोटाले के आरोप में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को भेजा था तिहाड़ जेल
√ भोलानाथ पांडेय नें मित्र देवेंद्र पांडेय के साथ मिलकर २० दिसंबर १९७८ को लखनउ से उड़ान भरने वाले इंडियन एयर लाइंस के प्लेन को किया था हाईजैक
इंदिरा गाँधी के लिए सबकुछ करेगा कि तर्ज पर कभी प्लेन हाईजैक जैसे बेहद गंभीर अपराध कर देश दुनिया में हड़कंप मचा देने वाले भोलानाथ पांडेय का लम्बी बीमारी के चलते आज निधन हो गया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दो बार विधायक रहे भोलानाथ पांडे का शुक्रवार को लंबी बीमारी के बाद लखनऊ स्थिति आवास पर निधन हो गया वो 71 वर्ष के थे।
भोलनाथ पांडेय उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की तबकी द्वाबा नाम जो कि अब बैरिया विधानसभा सीट से विधायक रह चुके थे।
युवक कांग्रेस से राजनीति के अखाड़े में कूदने वाले भोलानाथ पांडेय से अचानक से देश दुनिया में बहुचर्चित हो उठे जब उन्होंने घोटाले के आरोप में तिहाड़ जेल में कैद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की रिहाई के लिए हवाई जहाज को हाईजैक कर लिया था।
इस मामले में उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी कीन्तु इस दुस्साहसिक घटना ने भोलानाथ को देश और दुनिया में चर्चित बना दिया।
मालूम हो कि साल इमार्जेंसी से कुपित जनता ने लोकसभा के चुनाव में इंदिरा गाँधी के नेतृत्व को नकारते हुए विपक्षी दलों के गठबंधन वाली जनता पार्टी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बना दी।
जनता पार्टी की सरकार ने घोटाले के आरोप में इंदिरा गांधी को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल में रखा था, तब इंदिरा गांधी को छुड़ाने के नाम पर भोलानाथ पांडेय ने अपने मित्र देवेंद्र पांडेय के साथ मिलकर २० दिसंबर १९७८ को इंडियन एयरलाइन्स के एक विमान को हाईजैक किया।
भोलानाथ पांडेय ने 20 दिसंबर, 1978 को खिलौने वाली बंदूक के साथ इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC 410 को ‘हाईजैक’ किया था। उन्होंने आपातकाल के बाद घोटाले से जुड़े आरोपों में तिहाड़ जेल में बंद इंदिरा गांधी की रिहाई की मांग की थी।
उन्होंने विमान के दिल्ली में उतरने से पहले अपने दोस्त देवेंद्र पांडे के साथ मिलकर इस पूरे प्लेन हाईजैक को अंजाम दिया। विमान में 132 लोग सवार थे और आपातकाल के दौर के दो पूर्व मंत्री एके सेन और धर्मबीर सिन्हा भी विमान में सवार यात्रियों में शामिल थे।
यह दुस्साहसिक घटना उस वक्त अंजाम दिया गया जब कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली के लिए आ रही फ्लाइट ने शाम 5:45 बजे लखनऊ से उड़ान भरी। फ्लाइट दिल्ली पहुंचने में बस 15 मिनट दूर थी, तभी 15वीं पंक्ति में कुछ हंगामा हुआ। भोलानाथ पांडे और देवेंद्र पांडे अपनी सीट से उठे और कॉकपिट में पहुंच गए।
कॉकपिट में घुसने के बाद उन्होंने फ्लाइट के कैप्टन से घोषणा करवाई कि फ्लाइट को हाईजैक कर लिया गया है और अब यह दिल्ली की बजाय पटना जा रही है, कुछ देर बाद फ़िर घोषणा की गई कि अब फ्लाइट वाराणसी जाएगी।
इस घटना के बाबत वर्षो पूर्व फ्लाइट कैप्टन एमएन भट्टीवाला ने एक इंटरव्यू में बताया था कि दोनो हाईजैकर ने पायलटों को पहले नेपाल जाने का आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया फ़िर उन्होंने उन्हें बांग्लादेश जाने के लिए भी कहा, लेकिन उन्होंने फिर से मना कर दिया। उन्होंने इस पूरी घटना को अजीब बताया थ।
भोलानाथ पांडेय और देवेंद्र पांडेय ने इंटरकॉम पर भाषण दिया और खुद को युवा कांग्रेस का सदस्य बताया। दोनो ने कहा कि वे अहिंसा में विश्वास करते हैं और यात्रियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। भोलानाथ पांडेय ने यह भी मांग की थी कि इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के खिलाफ लगे सभी मामले वापस लिए जाएं।
दोनों कांग्रेस नेताओं ने अपहृत विमान में ‘इंदिरा गाँधी जिंदाबाद’ और ‘संजय गाँधी जिंदाबाद’ के नारे लगाए, जिससे यात्रियों ने तालियां बजाईं और जयकारे लगाए। रिपोर्टों के अनुसार, अधिकांश यात्रियों ने अपहरण को गंभीरता से नहीं लिया।
जब विमान वाराणसी विमानतल पर पहुंचा, तो भोलानाथ पांडेय और देवेंद्र पांडेय ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राम नरेश यादव से मुलाकात की, जो केंद्र में सत्ता में मौजूद जनता पार्टी के सदस्य थे। घंटों की बातचीत और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रिहा किए जाने के आश्वासन मिलने के बाद, विमान को जाने दिया गया। इसके बाद भोलानाथ पांडेय और देवेंद्र पांडेय ने फोर्स के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
हालांकि, वर्ष १९८० में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री के रूप में केंद्रीय सत्ता में वापस आने के बाद,दोनों लोगों के खिलाफ लगे केस को हटा दिया गया और दोनों को कांग्रेस द्वारा उत्तर प्रदेश में वर्ष १९८० के विधानसभा चुनावों में लड़ने के लिए टिकट दिए गए।
बाद में भोलानाथ पांडे ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनका अपहरण पूरी तरह से एक विरोध था, जिसका उद्देश्य इंदिरा गांधी को रिहा करने के लिए जनता पार्टी सरकार पर दबाव डालना था।
कुल मिलाकर अपने नेता को जेल से छुड़ाने के लिए विमान अपहरण जैसा एक बेहद दुस्साहसिक अपराध करने वाली घटना को अंजाम देकर इंदिरा गाँधी के ख़ास बन दो बार के विधायक के इंतकाल से इस घटना के महत्वपूर्ण किरदार की जीवन यात्रा पर मौत ने रोक दी है।