लेखक -सुभाषचंद्र
लोस चुनाव के पहले भी केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने दी थी बेल अब ४ राज्यों के विस इलेक्शन के पहले भी जेल से बाहर आयेंगे दिल्ली के मालिक?
दिल्ली राज्य में सैकड़ो करोड़ रुपये के शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के केस में जेल में बंद मनीष सिसोदिया को पहले ९ अगस्त को जमानत दी जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के के विश्वनाथन की बेंच ने फ़िर बीआरएस नेता के कविता को भी जमानत दे दी गई।
क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आगामी दिनों में हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र राज्य के विधानसभा चुनाव में बाहर निकालने की भूमिका भी बना दी गई है!
आज गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में मीलार्ड के कथन कि जेल अपवाद है जमानत नियम है से तो यही संदेश देश में गया है।
के कविता के मामले में तो जस्टिस गवई और जस्टिस विश्वनाथन साहब ने जिस तरह के कमेंट कर ASG SV Raju, ED और CBI को जैसे बेइज़्ज़त करते हुए अपनी भड़ांस निकाल रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे उन दोनों लोगों पर नही बल्कि मोदी सरकार पर ही बरस रहे हों!
एसवी राजू ने जमानत का विरोध करते हुए बताया कि के कविता ने अपने फ़ोन को Format करा कर सारे सबूत मिटाने का काम किया है और दूसरे गवाहों की कॉल डिटेल्स से पता चल रहा है कि उन्होंने के कविता से बार बार बात की थी लेकिन यह रिकॉर्ड अब के कविता के फ़ोन में नहीं है।इस पर गवई साहब ने कहा कि जब सबूत ही नहीं रहे तो आप उसे कैसे गिरफ्तार रख सकते हैं, यानी के कविता जैसे सभी ताकतवर आरोपियों को इशारा कर दिया कि ऐसे सबूत मिटा दो यदि आपके पास हो तो?
मुझे समझ में नहीं आता कि मीलॉर्ड साहब को फ़ोन का data डिलीट करने और फ़ोन Format करने का फर्क भी नहीं पता ,डाटा डिलीट किया जाता है फ़ोन का स्पेस खाली करने के लिए जैसे photos और videos क्योंकि वो स्पेस घेरते हैं लेकिन chat को कोई डिलीट नहीं करता क्योंकि वह स्पेस नहीं घेरती ,वह तब डिलीट की जाती है जब कुछ आपत्तिजनक हो उसमे लेकिन फ़ोन Format करने का मतलब साफ़ है कि के कविता ने फ़ोन में शराब घोटाले से संबंधित कुछ गड़बड़ी के सबूत थे और इतनी सी बात मीलॉर्ड महोदय ने जानबूझकर नहीं समझी या जानबूझकर नही समझना चाह रहे थे।
हाई कोर्ट ने के कविता की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि एक शिक्षित महिला को तो जमानत बिलकुल भी नहीं मिलनी चाहिए जिस पर गंभीर आरोप हैं।
इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि हमारा विचार तो बिल्कुल अलग है कि शिक्षित महिला को तो सबसे पहले जमानत का हक़ होना चाहिए।
इसका मतलब साफ़ है जमानत मिलना कोई कानूनी मामला नहीं है, दो जजों की आपस की समझ पर निर्भर करता है और मेरी नज़र में यह बहुत बड़ा झोल है!
गवई साहेब ने कहा कि कविता को PMLA के section 45 में जमानत का अधिकार है और “Section 45 of PMLA says “ the accused would get bail only if the court was satisfied there were reasonable grounds for believing they were not guilty”
तो फिर मीलॉर्ड आप क्या के कविता को निर्दोष मान बैठे हैं जो उसे जमानत दे दी ,तो के कविता को 10 – 10 लाख रुपये के 2 मुचलके क्यों भरने के लिए कहा गया, फिर तो उसे बरी ही कर देना चाहिए था?
कुछ बातें सुप्रीम कोर्ट के conduct से साफ़ हो रही हैं।
-सुप्रीम कोर्ट के judges मोदी के भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान को पंचर करना चाहते हैं;
-एक टूल किट जुडिशरी में काम कर रहा है जो विपक्ष के साथ मोदी को Destroy करने में लगा है;
-किसी तरह भी PMLA एक्ट को इतना dilute करना चाहते हैं कि कोई भ्रष्टाचार का केस साबित ही न हो –
-investigation agencies का काम इतना कठिन कर देना चाहते हैं कि कोर्ट में केस साबित ही न कर सकें
-एक दिन सुप्रीम कोर्ट तो क्या ट्रायल कोर्ट्स ही सब cases को ख़त्म कर देंगे सबूत के अभाव में और सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार होगा Corruption को Fundamental Right की तरह legalise करने के लिए –
सिसोदिया और कविता को जमानत देकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जो कि शराब घोटाले का किंगपिन कहना चाहिए को बाहर करने की भूमिका बना दी गई है घोटालेबाज सीएम केजरीवाल को ईमानदार घोषित करना है।
कांग्रेस को बीजेपी के मुकाबले केजरीवाल की पार्टी आप के साथ गठबंधन करके इलेक्शन लड़ना है और और के कविता से अभी फ़िलहाल काँग्रेस को कुछ लेना देना नहीं है।
बस गवई साहब के जरिए मोदी को Derail करना है ,गवई साहेब कह ही चुके हैं, वो कांग्रेस परिवार से आते हैं।
लेकिन मीलॉर्ड यह न समझें, आप पर किसी की निगाह नहीं है, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी के नाम से आप पर भी देश की न्यायप्रिय जनता की निगाह गड़ी हुई है।
(लेखक उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता ही और यह उनके निजी विचार हैं)