(आलोक तिवारी)
(मथुरा)
√ गोद भराई, व कन्या दान की रस्में श्रद्धालुओं ने निभाकर मांगी मँगल कामनाएं
बरसाना में बूढ़ी लीला महोत्सव के आयोजन के तहत रविवार की प्रात: राधाजी की प्रिय सखी ललिता जी के निज गांव ऊचांगाव में ललिता की गोद भराई, श्याम सगाई व ब्याहवला लीला का आयोजन वैदिक रीति रिवाज से किया गया।
रविवार को बूढ़ी लीला महोत्सव के चलते प्राचीन दाऊजी मन्दिर में ललिताजी की गोद भराई, श्याम सगाई व श्रील नारायण भट्ट की समाधी स्थल पर लगन पत्रिका तथा सखीगिरी पर्वत पर ब्याहवला लीला का आयोजन किया गया। भगवान श्रीकृष्ण के साथ ललिता जी की विवाह लीला को देखकर उनके भक्त आनंदित हो उठे।
श्याम सगाई होने के बाद प्राचीन दाऊजी मन्दिर पर श्रद्धालुओं द्वारा नन्दलाल कन्हैया की रिति रिवाजों के साथ सगाई की। ललिता की गोद भाराई की रस्म निभाई। जिसके बाद श्रील नारायण भट्ट की समाधि स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण व ललिता के विवाह की लगन पत्रिका लिखी गई। इन लीलाओं के उपरान्त सखीगिरी पर्वत पर स्थित चित्र विचित्र शिला पर ब्याहवला लीला का मंचन किया गया। इस लीला के मंचन के दौरान श्रद्धालुओं ने ललिताजी का कन्यादान कर अपनी मनौती मांगी। राधाकृष्ण की जयजय कार से लीला स्थल गुंजायमान हो उठा; ललिता पीठाधीश्वर गोस्वामी कृष्णचंद भट्ट ने बताया कि इन प्राचीन बूढ़ी लीला की शुरूआत श्रील नारायण भट्ट ने आज से साढ़े पांच सौ साल पहले की थी। उसी परम्परा का निर्वाहन आज चल रहा है। श्री भट्टजी को रासलीला का आविष्कार कर्ता माना गया है।