लेखक- अमित सिंघल
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 17 दिसंबर को लोक सभा में जानकारी दी कि विजय माल्या मामले में 14,132 करोड़ रुपये की माल्या की संपत्ति की कुर्की करके सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वापस hv कर दी गई है। उन्होंने जोर दिया कि प्रवर्तन निदेशालय ने यह धनराशि एकत्र कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वापस दे दी है।
सन्दर्भ के लिए, सरकार द्वारा वसूला गया रोकड़ा माल्या द्वारा किये गबन के मूल्य से 25 प्रतिशत अधिक था। स्वयं माल्या ने एक ट्वीट में अपने द्वारा गबन किये गए धन को 6203 करोड़ रुपये बताया है जिसमे 1200 करोड़ रुपये ब्याज भी सम्मिलित है। वह रो रहा है कि इससे अधिक वसूला गया धन उसे वापस मिलना चाहिए।
वित्त मंत्री ने आगे जानकारी दी कि नीरव मोदी केस में, सार्वजनिक और निजी बैंकों को 1,052 करोड़ रुपये वापस कर दिए गए हैं। मेहुल चोकसी केस में 2,566 करोड़ रुपये वापस ले लिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के बाद भूषण स्टील से कुर्क किये गए Rs. 4,025 करोड़ वापस लिया जा चुका है।
सीथारमन ने बताया कि ईडी ने कम से कम 22,280 करोड़ रुपये सफलतापूर्वक वापस करवा दिया है और जोर दिया कि वे केवल प्रमुख मामलों की बात कर रही है। उन्होंने कई अन्य घोटालो की वसूली की जानकारी भी सदन में दी है।
वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा काला धन कानून लाने के बाद वर्ष 2021-2022 में विदेशी संपत्ति का खुलासा करने वाले करदाताओं की संख्या 60,467 थी। वर्ष 2024-2025 में यह संख्या दो लाख हो गयी है। जून 2024 तक लगभग 697 मामलों में 17,520 करोड़ रुपये से अधिक की मांग की गई है, 163 लोगो पर केस शुरू किए गए हैं और 9,971 करोड़ रुपये की पेनाल्टी लगाई गयी है।
HSBC, ICIJ Panama, Paradise, and Pandora लीक से जुड़े 582 मामलों के तहत 33,393 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला है।
अब एक प्रश्न स्वयं से पूछिए। यह सभी गबन, घपला, फ्रॉड किस समय हुआ था?
अब क्यों नहीं हो रहा है।
ऐसे किसी घपले का समाचार आपने पिछली बार कब पढ़ा या देखा था? कितने वर्ष पूर्व पढ़ा था?
पंजाब नेशनल बैंक केस याद है? या फिर Infrastructure Leasing & Financial Services Limited (IL&FS) का फ्रॉड? यस बैंक का समाचार कब आया, कब गायब हो गया? वही वाला यस बैंक जिसके संस्थापक राणा कपूर ने प्रियंका वाड्रा से 2 करोड़ की पेंटिंग कई वर्ष पूर्व खरीदी थी।
पिछली बार किसी बैंक के फेल होने के कगार पर खड़े होने का समाचार कब पढ़ा या देखा था? कितने वर्ष पूर्व पढ़ा था?
यह होती है दीर्घकालिक नीति जिसकी तारीफ़ देश के अर्थ जगत के महारथियों के साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ी संस्थाएँ भी करती रहती हैं।

(लेखक रिटायर्ड IRS ऑफिसर हैं और यह उनके निजी विचार हैं)