लेखक- डॉक्टर राजीव मिश्र
कल शाम पास के एक पब में गए… न्यू ईयर पार्टी चल रही थी. पब को डांस फ्लोर में बदल दिया था. म्यूजिक और डांस चल रहा था. ज्यादातर क्राउड 40+ वालों की ही थी.
हम पति पत्नी किनारे में खड़े होकर भीड़ को देखना एंजॉय कर रहे थे. तभी दो यूरोपियन लड़कियां (महिलाएं) आईं और Pallavi की बेवजह और बेतहाशा तारीफ करने लगीं... कितनी सुंदर लग रही हो, कितनी प्यारी हो.. यू आर गॉर्जियस.. वगैरह वगैरह..
और मुझे कहने लगीं… तुम्हें यह कहां मिल गई, तुमने कैसे मैनेज कर लिया…
फिर हमसे पूरा बायोडेटा लिया.. किस कंट्री से हो, मैरिड हो, कितने बच्चे हैं.. सब पूछ लिया.. हमने भी बदस्तूर थैंक्यू थैंक्यू कह दिया..
दोनों लड़कियां पोलिश थीं, और नशे में लग रही थीं. दोनों ने हम दोनों को बारी बारी से गले लगाया, हैप्पी न्यू ईयर कहा.. और निकल गईं.
फिर पल्लवी ने बताया... जब उसमें से एक ने उसे गले लगाया तो उसके कान में कहा... मैं पुलिस में हूं, और इसी पब के ऊपर वाली फ्लोर में रहती हूं. अगर तुम अनसेफ हो, तुम्हें कोई तकलीफ हो, किसी मदद की जरूरत हो तो मुझे बता सकती हो..
सुन कर मुझे इतना गुस्सा आया… इन यूरोपियनो का क्या हाल है, इन्हें हर एशियाई आदमी क्या वाइफ-बीटर लगता है? इसको व्हाइट सेवियर कॉम्प्लेक्स कहते हैं. अपनी जिंदगी को नरक बना रखा है, और इन्हें कोई अच्छी जिंदगी जीता, प्यार से रहता हुआ दिखाई देता है तो उन्हें लगता है कि जरूर कुछ गड़बड़ है… और महिलाओं का यह फेमिनिस्ट सिस्टरहुड है जिसका मंत्र है… मैंने अपनी जिदंगी नरक कर दी…आओ, तुम्हारी मदद करती हूं.
आज कल यह बीमारी अपने समाज में पहुंच रही है. लोगों को दूसरों की क्या, अपनी अच्छी जिंदगी पर भी डाउट निकल आता है. खुद भी अच्छे से, खुशी खुशी जी रही होती हैं तो उन्हें लगने लगता है कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है? नहीं है तो होनी चाहिए... मिजरेबल होना नॉर्म हो गया है. लोगों की जिंदगी सुख चैन से बीत रही हो तो उन्हें FOMO होने लगता है. वे माइक्रो अग्रेस्ड होने लगती हैं... पूरी दुनिया विक्टिम है, मैं क्यों नहीं हूं? ऐसे तो ऑप्रेशन-ओलिंपिक में मेडल नहीं आएगा... जरूर मेरा हसबैंड मेरी इज्जत नहीं करता.. मेरे इमोशन्स की, सेंटीमेंट्स की कद्र नहीं करता. बाहर से सब अच्छा लग रहा है, पर अंदर कुछ न कुछ खालीपन क्यों है? जरूर वह मेरी उपलब्धियों को नीचा दिखा रहा है, मुझे छोटा महसूस करा रहा है..
आपका जो यह खालीपन है ना, यह आपके पार्टनर का किया धरा नहीं है. आपने खुद को खाली छोड़ दिया है, अपनी जिंदगी को अर्थपूर्ण बातों से भरने के बजाय कुंठा और ईर्ष्या से भरा है. फिर आपको अपनी जिंदगी खाली दिखाई देती है और दूसरों की खुशियों पर भी शक खड़ा होता है…

(लेखक लंदन में चिकित्सक हैं)