(मुकेश सेठ)
(मुंबई)
√ नौसेना को मिलने वाले INS सूरत,INS नीलगिरी और INS वाघशीर स्वदेशी फ्रिगेट की अगली पीढ़ी को है दर्शाता
√ नवी मुंबई के खारघर में इस्कॉन परियोजना के अंतर्गत नौ एकड़ में बने श्री श्री राधा मदनमोहन मन्दिर का दोपहर बाद करेंगे उद्घाटन
कल बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुंबई के एक दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं।
प्रधानमंत्री तीन अत्याधुनिक युद्धपोत राष्ट्र की सुरक्षा को सबल बनाने हेतु नौसेना को समर्पित करेंगे तो वहीं उसके पश्चात दोपहर बाद नवी मुंबई के खारघर में इसकान प्रोजेक्ट के अंतर्गत बने श्री राधा मदनमोहन जी मन्दिर का उद्घाटन भी करेंगे।
प्रधानमंत्री के तय कार्य क्रम के अनुसार सुबह करीब 10 बजकर 30 मिनट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में नौसेना के तीन अग्रणी युद्धपोतों आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी और आईएनएस वाघशीर को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इसके बाद दोपहर करीब 3:30 बजे वे नवी मुंबई के खारघर में इस्कॉन मंदिर का उद्घाटन करेंगे।
इन तीन प्रमुख नौसैनिक युद्धपोतों का जलावतरण रक्षा निर्माण और समुद्री सुरक्षा में वैश्विक रूप से अग्रणी बनने के भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
पी15बी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर परियोजना का चौथा और अंतिम युद्धपोत आईएनएस सूरत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे परिष्कृत विध्वंसक युद्धपोतों में से एक है। इसमें 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है और यह अत्याधुनिक हथियार-सेंसर पैकेज और उन्नत नेटवर्क-केंद्रित क्षमताओं से लैस है। पी17ए स्टील्थ फ्रिगेट परियोजना का पहला युद्धपोत आईएनएस नीलगिरि, भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है।
इसे बढ़ी हुई क्षमता, समुद्र में लंबे समय तक रहने तथा स्टील्थयुक्त उन्नत सुविधाओं के साथ नौसेना में शामिल किया गया है, यह स्वदेशी फ्रिगेट की अगली पीढ़ी को दर्शाता है। पी75 स्कॉर्पीन परियोजना की छठी और अंतिम पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर, पनडुब्बी निर्माण में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता का प्रतिनिधित्व करती है और इसका निर्माण फ्रांस के नौसेना समूह के सहयोग से किया गया है।
भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, प्रधानमंत्री मोदी नवी मुंबई के खारघर में इस्कॉन की परियोजना के अंतर्गत श्री श्री राधा मदनमोहनजी मंदिर का भी उद्घाटन करेंगे।
नौ एकड़ में विस्तारित इस परियोजना में कई देवताओं के विग्रह के साथ एक मंदिर, एक वैदिक शिक्षा केंद्र, प्रस्तावित संग्रहालय और सभागार तथा उपचार केंद्र आदि शामिल हैं। इसका उद्देश्य वैदिक शिक्षाओं के माध्यम से सार्वभौमिक बंधुत्व, शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना है।