लेखक-राजेश बैरागी
पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार निर्माणाधीन जेवर एयरपोर्ट घूमने आए दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना का नोएडा में भाजपा कार्यकर्ताओं ने स्वागत क्यों किया यह प्रश्न बुद्धिजीवी तबके को मथ रहा है!
केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार के राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए स्वागत का दिल्ली में हो रहे विधानसभा चुनाव से क्या कोई अंतर्संबंध हो सकता है?ये दोनों प्रश्न हालांकि वर्तमान में संवैधानिक पदों पर बैठे राजनीतिक लोगों की नैतिकता को चुनौती नहीं देते हैं क्योंकि केंद्र के एजेंट के तौर पर काम करने वाले राज्यपाल या उपराज्यपाल पदों पर आसीन लोग अब नैतिकता से परे हो गये हैं। गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र के लोकप्रिय सांसद डॉ महेश शर्मा ने जेवर एयरपोर्ट जा रहे उपराज्यपाल का नोएडा में फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया। इस दौरान उनके साथ भाजपा महानगर अध्यक्ष मनोज गुप्ता समेत सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे। सांसद का अपने क्षेत्र में किसी भी शीर्ष संवैधानिक पदाधिकारी का स्वागत करना शिष्टाचार भी है और कर्तव्य भी। क्या उनके साथ उनके राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं की उपस्थिति उचित मानी जा सकती है? हालांकि राज्यपाल और उपराज्यपाल पदों पर नियुक्त होने वाले लोग आमतौर पर केंद्र में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के होते हैं या उस दल के प्रति निष्ठावान होते हैं।
फिर भी उनसे पद ग्रहण करने के पश्चात किसी भी राजनीतिक दल के प्रति निष्ठावान न रहने की अपेक्षा की जाती है।संभल में एक शोभायात्रा के आगे गदा लेकर चलने पर वहां के पुलिस उपाधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उनके हिंदू होने और अपने धर्म के प्रति निष्ठावान होने पर कोई प्रश्न नहीं है। परंतु एक पुलिस अधिकारी होने के नाते शोभायात्रा का एक धार्मिक चिन्ह लेकर आगे आगे चलने के लिए उनसे जवाब मांगा गया है। क्या भाजपाइयों द्वारा दिल्ली के उपराज्यपाल का स्वागत करना और एक पुलिस अधिकारी द्वारा शोभायात्रा की गदा लेकर अगुवाई करने में कोई समानता है? मुझे लगता है कि संवैधानिक और सरकारी पदों पर बैठे लोगों को न केवल निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि दिखाई भी देना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और यह उनके निजी विचार हैं)