(संजय राय)
(नई दिल्ली)
√ संस्कृति संज्ञान संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष नें केन्द्र सरकार से मांग किया कि कक्षा 5 से ही विधार्थियों को दी जाय संविधान की मूल प्रति के बारे में ज्ञान
√ अध्यक्ष ने संसद में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के द्वारा सांसदो को संविधान की महापुरुषों के चित्र वाली मूल प्रति जल्द उपलब्ध कराने के वादे पर जताया हर्ष
लोकसभा में बजट सत्र के दौरान स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा के द्वारा सांसदो को संविधान की मूल प्रति जिसमें 22 चित्र बने हुए हैं उसको जल्द उपलब्ध कराने के बयान का उस बयान का संस्कृति संज्ञान संस्था नें स्वागत किया है।
संस्कृति संज्ञान संस्था के अध्यक्ष डॉ पीके सिंघल नें केंद्रीय मंत्री को बधाई देते हुए इसे सरकार का ऐतिहासिक निर्णय बताया है।
अध्यक्ष नें मांग की है कि इस विषय को शैक्षिक पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाए।
विदित हो कि संस्कृति संज्ञान संस्था सोशल मीडिया समेत अन्य माध्यमों से इस विषय पर लंबे समय से जनजागरण अभियान में जुटी हुई है।
संस्कृति संज्ञान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पीके सिंघल ने एक बयान में कहा कि संविधान में सनातन संस्कृति और संस्कारों को समाहित किया गया है, लेकिन दुर्भाग्य से पूर्ववर्ती सरकारों ने इसे भारतीय जनमानस को नहीं बताया।
डॉ. सिंघल ने कहा कि संस्कृति संज्ञान संस्था ने साल 2023 में जब भारतीय संविधान की मूल प्रति का अध्ययन किया तो यह तथ्य सामने आया कि भारतीय संविधान तो सनातन संस्कृति का प्रतिबिंब है, जो नंदलाल बोस के हर अध्याय में चित्रित 22 चित्रों से यह स्पष्ट हो जाता है। संविधान की मूल प्रति को जिस तरह से सजाया गया है वह भी भारतीय चित्रकला का एक अद्भुत नमूना है। संविधान में चित्रित वैदिक गुरुकुल, नंदी बैल, प्रभु श्रीराम, प्रभु श्री कृष्णा, भगवान बौद्ध एवं भगवान महावीर, नटराज, अन्य भारतीय महापुरुष,भारतीय पर्वत श्रृंखला, रेगिस्तान इत्यादि भारतीय जनमानस को भारतीय सनातन संस्कृति और संस्कारों में विश्वास एवं आस्था जागृत करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
डॉ. पीके सिंघल ने कहा कि जनमानस को इस तथ्य से अवगत कराने के लिए संस्था ने अनेकों कार्यक्रम, पत्रकार मिलन एवं भारत सरकार के लोगों के साथ बैठकें आयोजित की हैं। इस सत्य को उजागर करने के लिए करीब 8 वीडियो संस्कृति संज्ञान संस्था के यूट्यूब चैनल पर भी है, जिसमें हमने भारत सरकार से यह मांग भी उठाई है कि भारतीय संविधान की मूल प्रति को भारत के हर परिवार को उपलब्ध कराया जाए और भारतवर्ष की शिक्षा प्रणाली में कक्षा 5 के बाद हर कक्षा में संविधान की मूल प्रति के बारे में छात्रों को बताया जाए ताकि भारतीय जनमानस को संविधान में निहित सनातन संस्कृति और संस्कारों की मूल भावना से अवगत कराया जा सके। केवल ऐसा करने से पूरा भारतवर्ष सनातन संस्कृति और संस्कारों का आदर करेगा और भारत एक अद्वितीय विकास की ओर बढ़ेगा।