लेखक – अमित सिंघल
अभी मान जी का लेख देखा कि अमेरिका में आम जनता हेतु कोई भ्रष्टाचार खुलेआम देखने को कभी नहीं मिलेगा।
सतही तौर पर यह सत्य लगता है। लेकिन अमेरिका में भ्रस्ट आचरण हिडेन है; आँखों के सामने होते हुए भी छुपा हुआ है। क्योकि इस भ्रष्टाचार को क़ानूनी आवरण पहना दिया गया है।
उदाहरण के लिए, प्रॉपर्टी लोन के लिए बैंक आपको 1500 से 2000 डॉलर का टाइटल इंश्योरेंस लेने के लिए फोर्स करेगा। टाइटल इंश्योरेंस का उद्देश्य यह होता है कि अगर प्रॉपर्टी का कोई पुराना स्वामी या उसका रिश्तेदार उस प्रॉपर्टी पर क्लेम करने आ गया तो इस इंश्योरेंस से लीगल कॉस्ट कवर होगी। भले ही आप कहे कि उस प्रॉपर्टी के पिछले 50 वर्ष के इतिहास में ऐसा क्लेम करने वाला कोई नहीं आया; या फिर आपने स्वयं उसके पेपर जांच लिया है।
आपको इस प्रॉपर्टी को खरीदने या बेचने के लिए वकील लेने के लिए भी बाध्य किया जाता है जिसकी फीस 1500 से 2000 डॉलर हो सकती है। बदले में वह वकील एक पिटे-पिटाये 25-30 पेज के फॉर्म पर आपका नाम एवं प्रॉपर्टी का पता लिखकर साइन कर देता है। यह कार्य मैं स्वयं भी कर सकता था, लेकिन बैंक ने बाध्य किया।
फिर प्रॉपर्टी बेचने वाले से डीलर 5% कमीशन रखवा लेता है जिसमे से खरीददार के डीलर का भी शेयर होता है।
यही भ्रष्टाचार लॉबीइंग या दलाली को लेकर है जो क़ानूनी रूप से मान्य है। अमेरिकी सांसद एवं विधायक रजिस्टर्ड दलालो से चेक द्वारा धन लेते है जिसके बदले में वे किसी कानून का समर्थन या विरोध करते है। उदाहरण के लिए, अमेरिकी गन (बन्दूक) लॉबी प्रति वर्ष कई सौ करोड़ रुपये आम नागरिको द्वारा गन रखने के पक्ष में समर्थन बनाये रखने के लिए धन देती है जिसके कारण अगर राष्ट्रपति ऐसे अधिकारों को सीमित या समाप्त करना भी चाहे, तो संसद ऐसे कानून को पास नहीं होने देते है।
दुष्परिणाम यह हुआ कि अधिकतर राज्यों में आप गन ऐसे खरीद सकते है जैसे कि पानी की बोतल। और फिर गन वायलेंस में प्रति वर्ष 48000 लोग मारे जाते है। कोई भी छात्र अपने घर से बन्दूक लाकर स्कूलों में सहपाठियों एवं अध्यापको को किसी खुन्नस में मार देता है।
एक अन्य भ्रष्टाचार रेस्टोरेंट में मिलता है जहाँ अब ग्राहकों से 20% टिप की अपेक्षा रहती है। अगर 5 या 6 लोग भोजन करते है तो 20% टिप ऑटोमैटिकली बिल में जोड़ दी जाती है।
मेरी BMW कार को इंस्पेक्शन में फेल कर दिया गया था और पास करने के लिए वर्कशॉप वाला ब्रेक बदलने के पैसे मांग रहा था। फिर कार को मैं BMW सर्विस सेंटर ले गया जहाँ उसे पास कर दिया गया।
मैं स्थानीय पुलिस वेलफेयर एसोसिएशन को वार्षिक चंदा कलेक्शन के समय सौ डॉलर का चेक भेज देता हूँ। बदले में एक कार्ड मिल जाता है जिसे दिखाने से छोटे-मोटे ट्रैफिक वॉयलेशन पर पेनाल्टी नहीं लगती है।
रही बात भारतीय पासपोर्ट की, तो मैं तीन बार अलग-अलग पासपोर्ट के नवीनीकरण के समय सभी डाक्यूमेंट्स एवं फीस के साथ अमेरिका स्थित सर्विस सेंटर मेल कर चुका हूँ। कुछ ही दिन में नया पासपोर्ट पोस्ट से घर आ गया।
यही स्थिति लखनऊ में ड्राइविंग लाइसेंस की है जहाँ एक बार मैंने लिखा था कि कैसे परिवार की बिटिया को टेस्ट पास करने पर ही लाइसेंस मिला था। बिटिया के पिता जी ने टेस्ट फेल करने पर एक दलाल को घूस भी दी थी; लेकिन वह दलाल अगले दिन पैसा वापस कर गया था।
भारत में स्थिति लगातार सुधर रही है। जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र ऑनलाइन अप्रूव हो जाता है, बिना घूस के मिल जाता है। GST की चेन बनी हुई है; बिना GST लिए हुए पिछले व्यापारी/उद्यमी को इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा। अधिकतर प्रॉपर्टी का बिना घूस दिए स्वामित्व प्रमाणपत्र बन चुका है।
आवश्यकता है कि आम भारतीय भी शार्ट कट लेने से बचे। ट्रैफिक नियमो का पालन करे। अपने व्यवासियक डीलिंग्स में भी सुधार करे।

(लेखक रिटायर्ड IRS ऑफिसर हैं)