(पंकज पाराशर)
(छतरपुर)
बुंदेलखंड में पन्ना जिले के पवई में स्थित माता कलेही के मंदिर में भक्तों की जय जयकार गूंज रही है। पद्मावती शक्तिपीठ के बाद यह क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा शक्ति स्थल है। यह मंदिर पवई नगर से दो किलोमीटर दूर पतने नदी के तट पर स्थित है। यहां नव देवियों में सप्तम देवी कालरात्रि की प्रतिमा विराजमान है। माता की अष्टभुजा प्रतिमा में शंख, चक्र, गदा, तलवार और त्रिशूल सुशोभित हैं।
प्रतिमा के दाएं भाग में हनुमान जी और बाएं भाग में बटुक भैरव विराजमान हैं,यह चंदेल कालीन प्रतिमा साढ़े तेरह सौ वर्ष पुरानी है, जिसकी स्थापना विक्रम संवत् 700 में की गई थी।
बुंदेलखंड, बघेलखंड, मालवा और निमाड़ सहित देश के विभिन्न हिस्सों से भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि मां कलेही की सच्चे मन से की गई आराधना कभी निष्फल नहीं जाती।
भक्त अपनी मनोकामना लेकर श्रीफल को लाल चुनरी में लपेटकर मंदिर परिक्रमा में बांधते हैं। मन्नत पूरी होने पर श्रीफल को छोड़ देते हैं। नवरात्रि में यहां कन्या भोज का विशेष महत्व है।
प्रतिदिन भोर में भक्त नंगे पैर जल, फूल, फल और प्रसाद लेकर मंदिर पहुंचते हैं और नवरात्रि के दौरान विशेष महाआरती होती है ।