लेखक- आर्यन
HAL की तेजस कार्यक्रम को लेकर लेट लतीफी से आहत वायुसेना अध्यक्ष की टिप्पणियां के पश्चात रक्षा समिति का गठन किया गया जिसमें तत्काल आवश्यकताओं को देखते हुए कुछ निर्णय लिए गए।
इन निर्णयों में से एक MRFA के प्रोजेक्ट के लिए निर्णय किया गया जिसके अंतर्गत वायुसेना को 114 विदेशी फाइटर खरीदने कई वर्षों पहले प्रस्तावित हुए थे। वायुसेना ने रक्षामंत्रालय से MRFA प्रोजेक्ट में 5th जनरेशन फाइटर जेट्स को भी शामिल करने की इच्छा जताई थी जिसे मानते हुए अब MRFA टेंडर में 5th gen लड़ाकू विमान भी भाग ले सकेंगे। इससे पहले MRFA टेंडर में 4TH जनरेशन मल्टीरोल फाइटर जेट्स की ही डिमांड रखी गई थी।
1) MRFA टेंडर में पांचवी पीढ़ी के स्टेल्थ विमानों को भी भागीदार बनाने की घोषणा के पश्चात रूस ने इसमें अपने Su-57 को पेश किया है इस टेंडर में। रूस ने इस विमान को भारत में निर्माण इकाई स्थापित कर बनाने, इन विमानों की 100% TOT (तकनीकी हस्तांतरण), और IP राइट्स देने की भी पेशकश की है भारत को। रूस का कहना है कि नासिक स्थित Su-30mki की पहले से स्थापित निर्माण इकाई में ही हम Su 57 का निर्माण करेंगे।
2) रूस द्वारा दिए गए इस ऑफर को काउंटर करने के लिए फ्रांस ने राफेल F4 विमानों की 100% ट्रांसटर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) देने और भारत में ही इन राफेल विमानों के निर्माण के लिए अपनी निर्माण इकाई नागपुर में स्थापित करने की ऑफर दी है। राफेल F4 विमान भारत के पास मौजूद 36 राफेल F3 विमानों का अपग्रेडवेरिएंट होने वाला है।
आपको बता दें इससे पहले फ्रांस ने भारत को यह ऑफर नहीं करी थी क्योंकि वह चाहता था के भारत कम से कम 250 राफेल विमान का ऑर्डर देगा तभी वह इसकी निर्माण इकाई भारत में स्थापित करेंगे। जबकि 250 विदेशी विमानों की भारत को आवश्यकता नहीं है। लेकिन रूस द्वारा भारत को Su-57 की आकर्षक ऑफर के बाद फ्रांस अब 80 से 100 के बीच राफेल का ऑर्डर मिलने पर भी उन्हें भारत में make in india के अंतर्गत बनाने को तैयार हो गया है।
- MRFA टेंडर में भारत की पहली शर्त ही Make in India है, यानि वही विमान सिलेक्ट किए जाएंगे जो उन्हें भारत में बनाकर देगा। इसलिए रूस का Su-57 और फ्रांस का राफेल F4 तो इस शर्त को पूरा करता है… परंतु अमरीकी F-35 नहीं। MRFA में F-35 को चुने जाने की संभावना तभी यदि वह भी Make in India के अंतर्गत इसे बनकर देने को तैयार होगा, जिसकी संभावना कम है। रूसी Su-57 की आकर्षक ऑफर के कारण गत दिनों US प्रेसिडेंट ट्रंप द्वारा ऑफर किए गए F-35 को अब लिए की संभावना बहुत हो कम हो गई।
- अब MRFA में टेंडर में रह गए 2 मुख्य प्रत्याशी राफेल और सुखोई 57 के ऑफर की तुलना की जाए तो… यहां एक बार फिर से दोनों देशों द्वारा दिए गए ऑफर को ध्यान से देखने की आवश्यकता है। फ्रांस ने राफेल के 100% तकनीकी हस्तांतरण और make in india के तहत इन्हें बनाने का ऑफर किया है। वहीं रूस ने सुखोई 57 के 100% तकनीकी हस्तांतरण, make in india, IP Rights, विमान के सभी पार्ट्स और कंपोनेंट्स भी भारत में निर्मित करने का ऑफर किया है।
इसी कारण MRFA टेंडर में सुखोई 57 राफेल f4 पर भारी पड़ता दिख रहा है। क्योंकि अभी तक फ्रांस ने भारत को राफेल का IP Rights ऑफर नहीं किया है। दूसरा, विमान के निर्माण में आवश्यक पार्ट्स फ्रांस से मंगवाने के बजाए राफेल के सभी पार्ट्स और कंपोनेंट्स भारत में ही बनाए जाएंगे इस बारे में भी अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं किया है फ्रांस ने। सो, कुल मिलाकर ये तीन मुख्य बातें हैं जो MRFA टेंडर में Su 57 के पक्ष में जाती हैं :-
1) Su 57 के IP राइट्स भारत को मिलने के बाद… भारतीय वायुसेना आवश्यकता अनुसार इस विमान की पूरी तरह मोडिफिकेशन भी कर सकेगी। और भविष्य में इसके डिजाइन में परिवर्तन करके इस विमान को दूसरे देशों को भी बेच सकेगा भारत क्योंकि उसके पास IPR का अधिकार होगा।
2) Su 57 के निर्माण में आवश्यक सभी पार्ट्स और महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स भी भारत में ही बनने से विमानों के निर्माण में किन्हीं कारणों से देरी या रुकावट की संभावना कम हो जाती हैं।
3) वायुसेना अध्यक्ष ने MRFA को लेकर भी कुछ बातें कहीं हैं, जिसमें वह कहते हैं हमें MRFA में उसको चुनना चाहिए जो हमारे स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर जेट AMCA (5th GEN फाइटर) प्रोग्राम में भी हमारी सहायता करेगा।
…अब AMCA में कौन हेल्प करेगा? क्योंकि फ्रांस के पास 5TH जनरेशन स्टेल्थ विमान अभी नहीं है… सो वह बिना अनुभव के AMCA प्रोजेक्ट में भारत की हेल्प कैसे करेगा? हां अमरीका के बाद रूस के पास ही स्टेल्थ विमान है जिसके चलते AMCA प्रोजेक्ट में रूस अपना अनुभव शेयर कर सकता है। यह भी एक कारण है MRFA टेंडर में Su57 के आगे चलने का।
(लेखक रक्षा मामलों के विशेषज्ञ हैं और यह उनके निजी विचार हैं)