लेखक-राजेश बैरागी
बीते दिनों समाचार पत्रों के मुख्य पृष्ठों पर देशभर में कोचिंग सेंटर चलाने वाले एलन का विज्ञापन विराजमान था। क्या फिटजी नामक देशव्यापी कोचिंग संस्थान के अचानक ठप्प होने के पीछे एलन का भी कोई योगदान हो सकता है?कल के समाचार पत्रों के मुख्य पृष्ठों पर प्रकाशित विज्ञापन में एलन ने फिटजी के कोचिंग केंद्रों पर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को शेष तैयारी अपने यहां निशुल्क कराने का खुला आमंत्रण दिया है।
इसके साथ ही अन्य छात्रों को भी रियायती दरों पर कोचिंग का ऑफर दिया गया है। क्या यह एक कोचिंग संस्थान द्वारा दूसरे कोचिंग संस्थान के बंद हो जाने पर उसके निराश छात्रों के प्रति प्रकट की गई गहरी सहानुभूति है या यह किसी कोचिंग संस्थान की संकट के समय छात्रों के प्रति अनुभव की गई अपनी जिम्मेदारी का भाव है या फिर यह बिजनेस स्ट्रेटजी है जिसमें अवसर लपक लेने की योजना के तहत सहानुभूति का प्रदर्शन किया जा रहा है। दरअसल एक बड़ा धंधा बन चुकी शिक्षा व्यवस्था में एलन और फिटजी जैसे कोचिंग संस्थान बड़े खिलाड़ी रहे हैं।1988 में मात्र आठ बच्चों के साथ कोचिंग सेंटर की शुरुआत करने वाले एलन ने अब तक तीस लाख से अधिक छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग दी है।
फिटजी चार वर्ष बाद 1992 में आया। इसके संस्थापक दिनेश कुमार गोयल दिल्ली प्रोद्योगिकी संस्थान (आईआईटी दिल्ली) के स्नातक हैं।ये और इन जैसे सभी कोचिंग संस्थान देशभर में और देश से बाहर फ्रेंचाइजी बेचकर अपने नाम से कोचिंग सेंटर चलवाते हैं।ये संस्थान अपने सफल छात्रों का अवैध इस्तेमाल अपने धंधे के विस्तार में करते हैं। इनपर अपने छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलाने के लिए वैध अवैध तरीके अपनाने के आरोप भी लगते रहते हैं।एलन द्वारा फिटजी के छात्रों के पक्ष में निशुल्क खड़े होना बिजनेस स्ट्रेटजी ही है और कुछ नहीं। इसे किसी के ताबूत पर अपना ध्वज फहराना भी कहा जा सकता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)