लेखक-ओमप्रकाश तिवारी
अपने तीसरे एवं मजबूत कार्यकाल की शुरुआत में ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट कर दिया है कि वह दो साथी दलों के साथ साझे की सरकार भले चला रहे हों, लेकिन अपनी सरकार में कोई भी उल्टा-पुल्टा काम सहन नहीं करेंगे। चाहे किसी को अच्छा लगे, या बुरा।
फडणवीस सरकार को कामकाज संभाले करीब पौने तीन माह होने जा रहे हैं। इतने समय में ही उन्होंने पहले की शिंदे सरकार के कई फैसलों पर रोक लगाकर उनकी समीक्षा के आदेश दे दिए हैं। क्योंकि सरकार के उन निर्णयों में उन्हें अनियमितता की बू आ रही थी। चूंकि उस सरकार के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे थे, इसलिए अब तक यह माना जा रहा था कि फडणवीस के ये सारे फैसले इन दिनो शिंदे और फडणवीस के बीच चल रहे ‘शीतयुद्ध’ के फलस्वरूप लिए जा रहे हैं। लेकिन सोमवार को राकांपा कोटे के मंत्री माणिकराव कोकाटे के एक बयान का जवाब देते हुए फडणवीस ने साफ कह दिया कि मंत्रियों के पीएस (निजी सचिव) एवं ओएसडी (विशेष कार्याधिकारी) की नियुक्तियों में मंत्री अपनी पसंद के सिर्फ नाम भेज सकते हैं।
उन्हें मुख्यमंत्री की संस्तुति पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही मिलेगी। फडणवीस ने यह कहते हुए तो माणिकराव कोकाटे की पोल ही खोल दी कि किसी ‘फिक्सर’ (यानी दलाल) या विवादित व्यक्ति को पीएस या ओएसडी के रूप में नहीं रखा जा सकेगा। उन्होंने संख्या तक बता दी कि अब तक उन्हें मंत्रियों की ओर से उनके पीएस एवं ओएसडी की नियुक्ति के लिए 125 नाम प्राप्त हुए हैं। इनमें से 109 को मंजूरी दी जा चुकी है। बाकियों की जांच चल रही है। फडणवीस प्रेस को यह बताने से भी नहीं चूके कि उन्होंने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही मंत्रियों को बता दिया था कि पीएस और ओएसडी के लिए आप जिसका चाहें, नाम भेज सकते हैं। लेकिन उन्हें मंजूर करने का अधिकार मुख्यमंत्री का ही होगा। खराब रिकार्ड वाले किसी भी व्यक्ति को मंजूरी नहीं दी जाएगी। दुर्भाग्य से इन्हीं कोकाटे को पिछले सप्ताह नासिक की एक अदालत ने धोखाधड़ी के एक मामले में दो साल कैद की सजा सुनाई है। इसलिए इन दिनों वह खुद बचाव की मुद्रा में हैं।
फडणवीस के इस निर्णय से तो शिवसेना (यूबीटी) जैसे उनके विरोधी दल भी गदगद हैं। अक्सर भाजपा को निशाने पर लेनेवाले उसके मुखर प्रवक्ता संजय राउत ने फडणवीस की इस साफगोई के लिए उनकी तारीफ की है। राउत ने कहा कि वैसे तो मैं फडणवीस की आलोचना करता हूं कि लेकिन महाराष्ट्र के हित में यह निर्णय उन्होंने बहुत अच्छा लिया है। संभवतः राउत को ज्यादा खुशी इन दिनों फडणवीस एवं शिंदे में चल रही तनातनी को लेकर ही है। वह कहते हैं कि पीएस और ओएसडी के लिए भेजे गए 125 नामों में जिन 16 नामों को मुख्यमंत्री की मंजूरी नहीं मिली है, उनमें 13 नाम शिवसेना शिंदे गुट के हैं। वास्तव में देवेंद्र फडणवीस की इस सरकार में शिवसेना और राकांपा सहयोगी दलों के रूप में शामिल भले हों, लेकिन फडणवीस अपनी सरकार बिना किसी दबाव के, और बिना किसी विवाद के चलाना चाहते हैं। वह इसमें सक्षम भी दीख रहे हैं, क्योंकि अकेले उनके दल की संख्या 132 है। उन्हें निर्दलियों एवं कुछ छोटे दलों के छह विधायकों का समर्थन भी प्राप्त है। अर्थात बहुमत के आंकड़े से बहुत पीछे वह कतई नहीं है। वह यह भी जानते हैं कि उनकी सरकार दो उपमुख्यमंत्रियों एकनाथ शिंदे एवं अजीत पवार की भी आपस में पटरी नहीं खाती। यदि एक सरकार से निकलना भी चाहेगा, तो दूसरा उनका साथ देने को तैयार बैठा है।
फडणवीस इस बात के लिए भी बिल्कुल तैयार नहीं दिखते कि गलतियां उनके सहयोगी दल करें, और विरोधी दलों के निशाने पर वह या उनकी सरकार आए। यानी वह अपनी सरकार को पाक-साफ रखना चाहते हैं। सरकार बनने के तुरंत बाद बीड जिले में हुई एक सरपंच की हत्या में राकांपा के मंत्री धनंजय मुंडे पर उंगली उठना और कुछ ही दिन पहले राकांपा कोटे के ही कृषिमंत्री माणिकराव कोकाटे को दो साल की सजा सुनाए जाने से विरोधियों को सरकार पर हमलावर होने का मौका मिल ही गया है। फडणवीस नहीं चाहते कि इस तरह के और मौके विपक्ष के हाथ लगें।
यही कारण है कि उन्होंने सरकार की बागडोर संभालते ही पिछली सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों की समीक्षा शुरू कर दी है, और अब तक ही शिंदे सरकार द्वारा लिए गए करीब आधा दर्जन निर्णयों की समीक्षा के आदेश दे चुके हैं। इनमें कई बड़े निर्णय भी शामिल हैं। इन्हीं में से एक है जालना में 900 करोड़ की लागत से तैयार होनेवाली गृह निर्माण योजना। अनेक कारणों से 2020 में रद्द कर दी गई इस परियोजना को शिंदे सरकार ने फरवरी 2023 में फिर से शुरू किया था। अब फडणवीस ने इस पर रोक लगाकर इसकी जांच के आदेश भी दे दिए हैं। इसी प्रकार दिसंबर में सरकार बनने के कुछ ही दिनों बाद महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) द्वारा 1,310 नई बसों की खरीद के आदेश पर भी जांच बैठा दी है। क्योंकि अधिकारियों से उन्हें पता चला था कि बसों की कीमत सामान्य से ज्यादा अदा की जा रही है। अब तो इस निगम के चेयरमैन की जिम्मेदारी भी एक आईएएस अधिकारी को दे दी गई है। जबकि यह मंत्रालय शिंदे की पार्टी के मंत्री प्रताप सरनाईक के पास है। दो दिन पहले ही फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करने एवं फसलों की खरीब के लिए नोडल एजेंसियों की नियुक्ति में अनियमितता पर भी जांच बैठा दी गई है। यह योजना केंद्र की प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के तहत चलाई जानी थी। फडणवीस के ये निर्णय साथी दलों के लिए संकेत हैं कि साझे की सरकार में उनकी मनमानी नहीं चलेगी।

(लेखक दैनिक जागरण के महाराष्ट्र ब्यूरो हैं)