(मुकेश सेठ)
(मुंबई)
√ समुद्र में मूर्ति विसर्जन के दौरान नागरिकों को काटने वाली मछलियों से बचाने के लिए मत्स्य पालन विभाग ने जारी किया दिशा निर्देश
बृहन्मुंबई नगर निगम क्षेत्र में गणेश विसर्जन के दौरान मुंबई में बड़ी संख्या में श्री गणेश जी की मूर्तियों को समुद्र में विसर्जित किया जाता है। मुंबई शहर जिले के सहायक मत्स्य पालन आयुक्त (महाराष्ट्र सरकार) ने बताया कि मत्स्य विभाग द्वारा किए गए ‘परीक्षण जाल’ में गणेश विसर्जन के दौरान गणेश भक्तों को काटने वाली हानिकारक मछलियाँ बड़ी संख्या में पाई गई हैं।
महाराष्ट्र सरकार के मत्स्य पालन विभाग द्वारा इसके लिए नेटिंग का ट्रायल हाल ही में किया गया। इस बीच धोमी, प्रॉन, स्टिंग रे (पकाट), जेली फिश, शिंगटी, ब्लू जेली फिश, घोड़ा मासा, छोटे रावस आदि मछलियाँ पाई जाती हैं। जाल लगाने के दौरान पकाट (स्टिंग रे) मछली मिली है। साथ ही मछली के साथ जेली फिश, ब्लू जेली फिश जैसी हानिकारक मछलियां भी मिली हैं।
ऐसे में मत्स्य पालन विभाग द्वारा श्री गणेश की मूर्तियों को विसर्जित करते समय नागरिकों से निम्नलिखित सावधानियां बरतने की अपील कर रहा है।
जिनमें प्रमुख रूप से श्री गणेश मूर्ति का विसर्जन मुंबई नगर निगम द्वारा नियुक्त लाइफगार्ड और संबंधित प्रणाली के माध्यम से किया जाना चाहिए।
-गणेश भक्तों को श्री गणेश प्रतिमा के विसर्जन के दौरान नंगे हाथ समुद्र में प्रवेश करने से बचना चाहिए।
-गणेश विसर्जन के दौरान पैरों पर मछली के काटने से बचने के लिए गमबूट का उपयोग करना चाहिए।
-विसर्जन स्थल पर बृहन्मुंबई नगर निगम और मुंबई पुलिस बल द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन करें।
-बृहन्मुंबई नगर निगम के पास श्री गणेश मूर्ति विसर्जन स्थल पर जहां भी आवश्यक हो, प्राथमिक चिकित्सा के लिए एक चिकित्सा कक्ष होगा।
-मछली काटने की घटना होने पर संबंधित को तत्काल प्राथमिक उपचार के लिए इस चिकित्सा कक्ष से संपर्क करना चाहिए।
कुल मिलाकर बीएमसी प्रशासन गणेशोत्सव के दौरान विघ्नहर्ता की प्रतिमा के विसर्जन के लिए समुद्र में उतरे भक्तजनों को किसी भी प्रकार की दिक्कतों से बचाने के लिए कमर कस लिया है।