(मुकेश शर्मा)
(ग्वालियर)
तहलका न्यूज़ की खबर पर सदर विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह नें भिण्ड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा मौ की शासकीय भूमि को निजी करने के मामले को शून्य काल में विधानसभा में उठाया
√ कलेक्टर,गोहद SDM पराग जैन के कथित रिश्तेदार भू माफिया मनोज जैन के नाम से करोड़ो की सरकारी चरनोई भूमि को सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कर की गई
√ वर्ष 2019 तक खसरे में चरनोई भूमि दर्ज थी उक्त जमीन को भू माफिया प्रमोद जैन द्वारा प्लाटिंग कर मुँहमांगे दामों में बेचा जा रहा
जब अधिकारी रिश्तेदार तो फ़िर अपनी है बलम सरकार। कुछ इसी तर्ज पर भिण्ड जिले में एक भू माफिया नें अपने अधिकारी रिश्तेदार की मदद से करोड़ो की सरकारी भूमि को अपना निजी बना लिया।
मध्य प्रदेश की डॉ मोहन यादव सरकार में सरकारी कारिंदे बे लगाम होकर घपले घोटाले के नित नये कीर्तिमान बना रहे हैं।
बात भिण्ड जिले के मौ कस्बा के मौ नगर की लगभग 5 बीघा चरनोई भूमि की है,जिसे कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव और गोहद एसडीएम पराग जैन ने सरकारी कागजातों में हेर फेर करा निजी घोषित कर दिया।
बताया जाता है कि जिस भू माफिया मनोज जैन के पक्ष में चरनोई भूमि को निजी घोषित किया गया है वह एसडीएम पराग जैन का रिस्तेदार है!
मामले की गंभीरता को देखते हुए भिंड सदर से बीजेपी विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने शून्य काल में चर्चा के लिए विधानसभा के पटल पर रख दिया।
मुख्य सचिव विधानसभा को सम्बोधित पत्र में विधायक कुशवाह ने लिखा कि भिण्ड जिले में राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा कलेक्टर एवं अनुविभागीय अधिकारियों के संरक्षण में करोड़ों रूपये की शासकीय भूमि को निजी नाम से हस्तांतरित की जाकर अवैध प्लॉटिंग कर जमीनों को बेचा जा रहा है।यह प्रकरण मौ तहसील के ग्राम मौ के पटवारी हल्का क्रमांक 83 में सर्वे क्रमांक 4147 की समस्त भूमि शासकीय थी जिसकी पुष्टि स्वयं तहसीलदार मौ के द्वारा अपने पारित आदेश से की गई थी तथा उल्लेखित भूमि का अमल भी शासकीय भूमि के रूप में राजस्व अभिलेख में किया गया था।
कलेक्टर भिण्ड द्वारा एसडीएम प्रमोद जैन से आवेदन मंगाकर उस शासकीय भूमि को निजी भूमि में बदलने के लिए प्रकरण निगरानी में लेकर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व गोहद पराग जैन को जांच हेतु प्रेषित किया एवं बगैर तथ्यों को जांचकर अनुविभागीय अधिकारी द्वारा उक्त सभी शासकीय भूमि को प्रमोद जैन के नाम से कर राजस्व अभिलेख में दर्ज करा दिया तथा उक्त भूमि पर आवासीय प्लॉट काटे गए और करोड़ों रूपये का अवैध लेनदेन किया गया। भिण्ड जिले में जिला प्रशासन के संरक्षण में विगत दो वर्षों में ऐसे अनेको शासकीय भूमि को निजी खातों में बदलकर संगठित तरीके से अवैध लेन-देन किया गया जिसके कारण भिण्ड जिले में कृषकों में गहन असंतोष व्याप्त है।

लोक महत्व के इस विषय पर तत्काल अविलंब चर्चा करायी।भिण्ड जिले के मौ कस्बे में की गई सरकारी जमीन की हेराफेरी को रोका जाए और जांच कराने के साथ ही दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही की जाए।
बता दें कि जिस चरनोई भूमि को निजी घोषित किया गया है वह वर्ष 2019 तक खसरे में चरनोई दर्ज थी।
जिसे तहसीलदार ने सुनवाई के दौरान शासकीय माना था लेकिन कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने उक्त भूमि को निजी घोषित कर मनमाने तरीके से तहसीलदार/पीठासीन अधिकारी के खिलाफ FIR के लिए ऑर्डर शीट पर आदेश भी कर दिया था।
वर्तमान में लगभग दस करोड़ की मूल्य वाली जमीन भू माफिया को दिये जाने से राजनैतिक एवं प्रशासनिक हलकों में कलेक्टर की भूमिका पर उठ रहे गंभीर प्रश्न,सच्चाई उच्चस्तरीय जांच से आयेगी सामने या फ़िर लीपापोती ही की जायेगी यह तो फ़िल्हाल भविष्य के गर्भ में छिपा है?
(इसी खबर पर विस में विधायक नें DM-SDM की नियम विरुद्ध कार्यशैली पर उठाया सवाल)
√ बीजेपी की डॉ मोहन यादव सरकार में अधिकारियों की मनमानी से सरकार की छवि पर लग रहा है आघात
मध्य प्रदेश में बीजेपी की डॉ मोहन यादव सरकार में क्या अधिकारी सारे नियम ,कायदे, कानून से ख़ुद को बड़े समझ कुछ भी कर सकते हैं, लगता तो यही है भिण्ड जिले के कलेक्टर की कार्यशैली को देखते हुए।
जिस भूमि को तहसीलदार नें सरकारी खाते में दर्ज किया था उस शासकीय भूमि को भिण्ड कलेक्टर ने कुछ माह पूर्व निजी घोषित कर एक भू माफिया को दे देने का हैरतअंगेज काम किया था।
मध्य प्रदेश के भिंड जिले की मौ तहसील के मौ नगर में स्थित शासकीय चरनोई भूमि सर्वे क्रमांक 3168/1, 3184/1, 3162, 4147 रकबा 5 बीघा 9 विश्वा गौचर भूमि को कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने भू माफिया से सांठ कर निजी घोषित करदी है।भू माफिया ने आज से लगभग 20 वर्ष पहले कूटरचना से सरकारी दस्तावेजों में उक्त चरनोई भूमि को अपने नाम चढ़वा लिया था, जिसकी शिकायत उस वक्त के कलेक्टर के यहां हुई। शिकायत पर जांचोपरांत तहसीलदार मौ ने प्रकरण दर्ज कर कारवाई शुरू की और भू माफिया को तहसील न्यायालय से कई नोटिस भेजे गए परंतु नोटिस लेने से इंकार कर दिया। शिकायतकर्ताओं ने भू माफिया के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही कर भूमि को पुनः शासकीय नोइयत चरनोई दर्ज कराये जाने की मांग सभी संबंधित अधिकारियों से की थी।शिकायत में बताया गया कि कस्बा मौ में स्थित उपरोक्त भूमि मौ-श्योंढा रोड से लगी हुई भूमि है और उक्त भूमि का बाजारू मूल्य वर्तमान में लगभग 10 करोड़ है। भूमि वर्ष 2019 तक शासकीय चरनोई थी, खसरा संवत 2010 लगायत 2014 एंव 2015 लगायत 2019 में यह भूमि निस्तार चरनौई की भूमि थी जिस पर कभी भी खेती नहीं हुई।

सर्वे कमांक 3168 के उत्तर दिशा की तरफ अन्य व्यक्तियों के स्वामित्व के सर्वे क० 4146, 3165, 3163, 3153, 3148 व अन्य सर्वे क्रमांक लगे हुये हैं।इसके अलावा मौ-श्योडा रोड से खेतों तक जाने का रास्ता इसी शासकीय सर्वे नम्बर 3168 में से है।वर्तमान में सर्वे क्रमांक 3146 में तिलक सिंह जाटव एंव अन्य लोगों के मकान बने हुये हैं । प्रमोद कुमार एंव अशोक कुमार पुत्रगण शान्ती कुमार भू-माफिया हैं शासकीय भूमि को हड़पना इनका मुख्य पेशा है। शासकीय सर्वे क्रमांक 3168 को 3168/1 कायम कराके फर्जी रूप स अपने नाम करा लिया है और सर्वे क्रमांक 3168/2 को खन्ती के रूप मे इन्द्राज करा दिया था।इस फर्जीवाड़े की शिकायत एसडीएम गोहद, कलेक्टर भिण्ड एंव तहसीदार मौ को की गई थी।
शिकायत में इस इस बात का दस्तावेजीय उल्लेख किया गया कि उक्त भूमि शासकीय चरनोई है जिसका फर्जी विकय पत्र अशोक कुमार एवम प्रमोद कुमार ने अपने रिश्तेदारों बसंत कुमार आदि से वर्षो पहले अपने नाम से करा कर और विकय पत्र के आधार पर नामान्तरण करा लिया है। ऐसे फर्जी इन्द्राज के आधार पर भूमि के भूखंडों के रूप मे अन्य लोगों को विक्रय करना चाहते हैं।
उस वक्त की गई शिकायत पर कलेक्टर ने तहसीलदार मौ को जांच के आदेश दिए जिस पर पटवारी ने पूर्व के राजस्व रिर्कोड के अनुसार जांच की और जांच में सर्वे क्रमांक 3168 को आम रास्ता पाया गया।जांच रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार ने प्रकरण दर्ज कर सुनवाई की सुनवाई के दौरान प्रमोद एवम अशोक को 03/05/2024,से कईबार मौका दिया पर प्रमोद कुमार जैन ने नोटिस लेने से इंकार कर दिया साथ न ही सुनवाई में उपस्थित हुए और न ही प्रकरण में सुनवाई के दौरान कोई दस्तावेज पेश कर पाए।
इसलिए तहसीलदार का प्रकरण क्रमांक 0081 आदेश दिनांक 08/11/2011 एवं धारा संख्या 59 के अनुसार खसरा नंबर 3168/1 का क्षेत्रफल 3760 (वर्ग मी.) व्यपवर्तित किया गया।
तहसीलदार द्वारा प्र. क.0009/4-121/2024-25 एवं आदेश दिनांक 11/05/2024 के अनुसार दिनांक 24/06/2024 को निजी से शासकीय,नवैयत एवं खसरा टिप्पणी में परिवर्तन दर्ज कर दिया। चर्चा है कि बाद में भू माफिया ने अपने रिश्तेदार एसडीएम के माध्यम से कलेक्टर से गेम सेट कर लिया।कलेक्टर ने तहसीलदार का आदेश स्वयं संज्ञान निगरानी में ले लिया और कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा प्र. क्र.0019/निगरानी/2024-25 एवं आदेश दिनांक 11/07/2024 के अनुसार दिनांक 26/07/2024 को शासकीय से निजी एवं खसरा टिप्पणी में परिवर्तन कराने के साथ ही भूमाफिया को दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश ऑर्डर सीट पर दे दिए थे।
इसके अलावा तहसीलदार के विरुद्ध केस दर्ज करने के आदेश भी दिया था।अब सवाल यह पैदा होता है कि जब 2019 तक उक्त भूमि की नौईयत चरनोई थी तो कलेक्टर को भू माफिया ने ऐसे कौन से दस्तावेज उपलब्ध कराए जिन से भूमि निजी साबित होती है?इसके अलावा एक पीठासीन अधिकारी तहसीलदार के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कराने का अधिकार कलेक्टर के पास होता है?
अब मामले में भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह द्वारा दखल देने से सरकार की सांसे फूली हुई हैं देखना यह है कि सरकार कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव एवं गोहद एसडीएम पराग जैन की बे लगाम कार्यशैली पर अंकुश लगाएगी या…?