लेखक- ओम लवानिया
धर्मा प्रोडक्शन यानी करण जौहर की स्थिति तो सार्वजनिक है और बड़ी सावधानी के साथ पैसा खर्च रहे है। कुछ कंटेंट पाइप लाइन में है लेकिन बिग बजट दूर दूर तक नहीं है। खैर
यशराज फिल्म्स के आगामी प्रोजेक्ट्स में वॉर-2 और अल्फा है। जबकि धूम-4 आधिकारिक तो है किंतु इसकी तैयारियाँ इन दोनों की सफलता के साथ शुरू होगी।
उधर, फरहान अख़्तर की एक्सेल से डॉन-3 फ्लोर पर जाने वाली थी लेकिन इसका एटीट्यूड भी ठंडे बस्ते वाला है भले निर्माता-निर्देशक ने मीडिया बाईट दी है। बॉलीवुड की वर्तमान परिस्थियों को देखें तो फ़िल्म फ्लोर पर हो तब आधिकारिक समझना चाहिए।
बिग बजट की रिकवर गारंटी नहीं है तो निवेशक भी पैसा देने के लिए हिचक रहे है। शायद रणवीर सिंह को मार्केट इतना बड़ा बजट नहीं दे रहा है, क्योंकि डॉन-3 की स्टारकास्ट रीबूट की है। संदेह के घेरे में है। अब निर्माता मामला संभालने वाला बयान देंगे।
अभी बॉलीवुड सिस्टम तो बिखर गया है तिस पर दिनेश विजन यानी मैडॉक ने बैक टू बैक स्त्री-2 और छावा से धमाकेदार बॉक्स ऑफिस लूटा है। तो बड़े प्रोडक्शन हाउसेस की आँखे चौड़ी है, ऐसे में फेक बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का भ्रम डाला जा रहा है। ऐसा नहीं है कि फेक नहीं होते है खूब होते है। लेकिन फुटफॉल्स को कोई भी नहीं झुठला सकता है।
अजीब स्थिति तो ऐसी है कि राष्ट्रवादी और सनातनी कंटेंट कतई गदर काट रहे है लेकिन इन लोगों के कंटेंट लुढ़कते जा रहे है। इसकी बानगी देखिए कि नितेश तिवारी ने अभी तक रामायण की स्टारकास्ट ऑफिसियल नहीं की है। पुराने निर्माताओं को साइड करके यश गौड़ा को जोड़ा है। तो फ़िल्म का तकनीकी शेप पॉजिटिव है लेकिन स्टारकास्ट में सार्वजनिक नहीं की है। इतना तय है कि रामायण को आदिपुरुष स्वरूप नहीं देंगे, इसलिए फ़िल्म में समय ले रहे है।
भविष्य में बॉलीवुड सत्संग करता दिखाई दें, तो हैरानी नहीं होगी। इसका उदाहरण प्रयागराज कुंभ है। इसमें कई ऐसे चेहरे डुबकी लगाये है कि क्या कहे, कई तो कैमरे पर नहीं आए। जब संस्कृति परिवर्तन लेती है तो ऐसा ही माहौल बदलता है।
(लेखक फ़िल्मी समीक्षक हैं)