(मुकेश सेठ)
(मुंबई)
भारतीय शेयर मार्केट में तेजी थकने का नाम ही नहीं ले रही है ।निफ्टी नई ऊंचाइयां बनाते जा रहा है।सप्ताह के पांच व्यापारिक सत्रों में चार में निफ्टी ने नई ऐतिहासिक ऊंचाइयां बनाई।वास्तविकता यह है कि शेयर निवेश के लिए चौतरफा धन प्रवाह है इसलिए मार्केट में गिरावट आ नहीं रही है।मूल्यांकन के दृष्टिकोण से देखें तो अभी निफ्टी का पीई अनुपात 23.2 है जो भारतीय अर्थव्यवस्था की शक्तिशाली स्थिति तथा अच्छे विकास दर के कारण बहुत अधिक नहीं कही जा सकती है। हां,यह 27 -28 पहुंचने लगे, तब मार्केट को अत्यधिक गर्म माना जा सकता है।अर्थात निकट अवधि में 25000 निफ्टी पर मार्केट का मूल्यांकन अत्यधिक सा माना जायेगा।ये वर्तमान निफ्टी 24323 से 667 अंक दूर है।
परंतु ,चूंकि भारतीय कंपनियों की आय में अगले पांच वर्षों तक 20 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का अनुमान है ,अतः आर्थिक स्थिति तथा मूल्यांकन के आधार पर बहुत बड़ी गिरावट की संभावना तो नहीं ही लगती है।
विगत सप्ताह निफ्टी में 313अंको की बढ़त रही।24000 के मनोवैज्ञानिक स्तर के ऊपर निफ्टी पूरे सप्ताह बना रहा।लगता है 24000 निफ्टी को एक मानसिक स्वीकृति मिल गई है।निफ्टी 24000 हो गया,बहुत बढ़ गया ,शेयर बेच लो,ये मनोभाव से मार्केट थोड़ा ऊपर उठ चुका है।
वैसे हो सकता है निफ्टी आधारित तथा बड़े शेयरों में प्रतिशत के आधार पर इन स्तरों से बड़ी वृद्धि न दिखें परंतु अन्य बहुत से व्यक्तिगत शेयरों में बड़ी तेजी दिख सकती है।
घरेलू निवेशकों का मार्केट में प्रवेश का उत्साह बना हुआ है।
जून में 42.4 लाख नए डीमैट खाते खुले हैं तथा इनकी कुल संख्या 16.20 करोड़ से अधिक हो गई है।सबसे बड़ी बात यह है कि ये नए डीमैट अकाउंट सक्रिय प्रकृति के हैं।अब इनके माध्यम से 50000 रुपए प्रति खाते का भी निवेश आए तो यह राशि बहुत बड़ी राशि होती है।
यह मार्केट के अभी के स्तर पर ,किसी गिरावट में भी एक समर्थन,आधार प्रदान करेगी।ब्लूमबर्ग के एक सर्वेक्षण में तो इस वर्ष के अंत तक 26000 निफ्टी की संभावना जताई गई है।
30 वर्ष के कम आयु के निवेशक 5 वर्ष में दुगने हो गए है।युवा निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता भी अधिक होती है।
23 जुलाई को मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट आना है।अच्छे बजट की आशा में भी मार्केट शक्तिशाली बना रह सकता है।बजट में आधारभूत संरचनाओं के लिए बड़ा धन आवंटन हो सकता है,आयकर की छूट सीमा बढ़ सकती है।मोदी जी इस बार 240 सीट पर हैं,अतः बहुत कड़ा कोई पग तो नहीं उठाया जाना चाहिए जो किसी मतदाता वर्ग को रूष्ट कर दे ।फिर अभी अगले लोकसभा चुनाव 5 वर्ष दूर हैं अतः चुनावी बजट न हो कर अर्थव्यवस्था को गति,बढ़ावा ही बड़ी प्राथमिकता होगी।
एक बजट पूर्व खरीदारी भी दिखनी चाहिए, विशेषकर उन शेयरों में जिनको बजट से लाभ होने की संभावना है।उसमें खाद,सरकारी उपक्रम,रक्षा,रेलवे क्षेत्र के शेयर हो सकते हैं।
इस वर्ष अप्रैल जून अवधि में रियल एस्टेट क्षेत्र में तीन वर्षों में सर्वाधिक 21123 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है।इस वर्ष की पहली छमाही में घरों की बिक्री 11 प्रतिशत बढ़ 10 वर्षों के शिखर पर है।
ये भारतीयों की अच्छी आय ,आय में वृद्धि का परिचायक है।अन्य संबंधित उद्योगों को भी इसका बड़ा लाभ मिलता है।
अर्थव्यवस्था का विकेंद्रीकरण भी हो रहा है। स्टार्टअप्स तथा वैश्विक दक्षता केंद्र ने पिछले 5 वर्षों में 8 करोड़ जीविका सृजित की है।यह संपन्न भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण पग है।
निफ्टी के इन अपेक्षाकृत ऊंचे स्तरों पर भी विदेशी निवेशक निवेश कर रहें हैं।पिछले सप्ताह विदेशी संस्थागत निवेशकों ने नकद संभाग में 6874 करोड़ रुपए के शेयर क्रय किए , एफपीआई ने 7962 करोड़ की खरीद की।घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 385 करोड़ रूपए के शेयर बेचे यद्यपि उनकी बिकवाली विदेशी निवेशकों के क्रय की तुलना में नगण्य सी ही रही।
पूरे विश्व में ब्याज दरों में कमी का युग शीघ्र ही प्रारंभ होने की संभावना बलवती हो रही है।अमेरिका में मुद्रास्फीति कम होने की स्थिति हो रही है।भारत ने भी वस्तुओं तथा सेवाओं की मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से कम है जबकि रेपो रेट 6.5 प्रतिशत है।ऐसे में यहां रेपो रेट में एक प्रतिशत तक की कमी होनी ही चाहिए।
विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरों में कमी का क्रम प्रारंभ होने पर बहुत बड़ी राशि ब्याज की प्रतिभूतियों से इक्विटी की ओर आयेगी।
प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री मार्टिन वुल्फ के अनुसार वर्ष 2047 में भारत उच्च मध्यम आय का राष्ट्र बन जायेगा।भारत एक बड़ी जनसंख्या का देश है।अतः इन दोनों के मिश्रण के प्रभाव से एक बड़ी आर्थिक महाशक्ति हो जाएगा।यह अगले 25 वर्षों में अर्थव्यवस्था तथा शेयर मार्केट को आशातीत ऊंचाइयों पर ले जायेगा।अतः दीर्घ अवधि में तो दोनो का भविष्य अत्यंत उज्जवल है।
भारत में निर्धनता भी 2011 -12 के 21.2 प्रतिशत की तुलना में 2022 -24 में 8.5 प्रतिशत आ गई है।संपन्नता शेयरों में निवेश बढ़ाती है।
पीएमआई सूचकांक मई के 57.5 प्रतिशत की तुलना में जून में बढ़कर 58.3 प्रतिशत हो गया जो अच्छी आर्थिक गतिविधियों का संकेत है।
जून में जीएसटी संग्रह 1.74 लाख करोड़ रहा है।अब सरकार का गठन हो चुका तो इसमें इस स्तरों से अच्छी वृद्धि दिख सकती है।
म्यूचुअल फंड से अच्छी आय का क्रम बना हुआ है।इस वर्ष 117 नए कोष आए थे जिन्होंने अभी तक 31.9 प्रतिशत प्रतिफल दिया है।यह बैंक ब्याज से कई गुणा अधिक है।इससे एमएफ के निवेश का उत्साह बना रहेगा,बढ़ेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था के इसी वर्ष 4 ट्रिलियन डॉलर के पार होने की संभावना बन गई है।ऐसे में भारतीय शेयर मार्केट का पूंजीकरण 5 ट्रिलियन डॉलर हो सकता है।
क्रूड का महंगा होना तथा बने रहना थोड़ी चिंता का विषय है।ईरान में सत्ता परिवर्तन हुआ है,कट्टरपंथी हारे हैं,उदारपंथी जीते है।इससे ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध कम हो सकते,विश्व में तनाव कम हो सकता है।यह क्रूड के मूल्यों में भी बड़ी गिरावट ला सकता है।
मानसून में अभी कमी है परंतु इसकी भरपाई की बात कही जा रही है।
भारतीय शेयर मार्केट में के पारंपरिक नियम, नए निवेशकों के व्यवहार के तरीके ,सोच आदि में परिवर्तन आ चुका है।पुरातनपंथी अवधारणाएं तिरोहित हो रहीं हैं।
अतः उसी परिपेक्ष्य में शेयर मार्केट,अपने निवेश को लें।
एस एंड पी के भारत की साख बढ़ाने की संभावना बताई है यदि राजकोषीय घाटा गिर कर 4 प्रतिशत हो जाता है।
यह भारत में बड़ा निवेश आकर्षित करेगा।