लेखक- सुभाष चन्द्र
मुकद्दस रमजान का महीना शुरू हो गया और इस महीने में काफिरों के लिए इस्लाम में विशेष हिदायत होती है । परसों ही उत्तर प्रदेश के हरदोई में दून एक्सप्रेस ट्रेन को पलटाने के लिए 2 मुस्लिम नाबालिग लड़कों इबादुल्लाह और मोहम्मद अनवारुल ने रेलवे ट्रैक पर लोहे के बोल्ट और भारी पत्थर रख दिए । इन दोनों “शरीफजादों” की उम्र 15-16 साल है ।
ट्रेन का इंजन उनसे टकराया, लेकिन लोको पायलट ने फौरन ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक दी । इसके बाद ट्रेन मैनेजर ने तुरंत हरकत में आते हुए दोनों को पकड़ लिया और ट्रेन में बिठाकर हरदोई स्टेशन में उन्हें आरपीएफ को सौंप दिया। इस टक्कर से इंजन और ट्रैक को नुकसान हुआ और चार जगह ट्रैक खराब मिला ।
यह मदरसा तालीम है, जिसमें उन्हें ऐसे काम करने की ट्रेनिंग दी जाती है । ये मूर्ख यह नहीं सोचे कि अगर ट्रेन पलट जाती तो उसमें मरने वालों में उनका अपना भी कोई हो सकता था । क्योंकि ये नाबालिग हैं, उन्हें अगर सजा भी मिली तो Juvenile Justice Act में केवल 3 साल के लिए बाल सुधार गृह में भेज दिया जाएगा । वह भी तब, जब उनके खिलाफ आरोप सही मानेगा कोर्ट ।
इन दोनों को रेलवे ट्रैक पर बांध कर खड़ा कर देना चाहिए और दूर से आती ट्रेन को ठीक इनके सामने लाकर खड़ी कर देनी चाहिए, जिससे एक बार इन्हें मौत सामने खड़ी दिखाई दे।
इतने बड़े अपराध के लिए केवल यह दंड कितना उचित है ? आजकल नाबालिगों के रेप और हत्या समेत बड़े बड़े अपराधों में इनके शामिल होने के बहुत मामले सामने आ रहे हैं और इसलिए अब नाबालिगों की उम्र अपराध के लिए घटा कर 10 वर्ष करने की जरूरत है ।
कुछ दिन पहले Bollywood की चर्चित निर्देशक फराह खान ने होली को “छपरियों” द्वारा खेला जाने वाला त्योहार बताया था । यानी Bollywood में बैठ कर मदरसा छाप मुस्लिम सोच फराह खान पर भी हावी है और हिन्दुओं के विरोध में बोलने और हिन्दू त्यौहारों का मजाक उड़ाने का Bollywood वालों को लाइसेंस मिला हुआ है । इसलिए आवश्यकता है ऐसे लोगों के टीवी कार्यक्रमों और फिल्मों का सम्पूर्ण बहिष्कार किया जाए ।
आज बरेली से भी खबर है कि वहां के उलेमाओं और कट्टरपंथी मुस्लिमों ने धमकी दी है कि यदि होली खेली गई तो वह “खून की होली” होगी । कदाचित् इसलिए ही मथुरा में संतों ने मांग की है कि होली में मुस्लिमों का प्रवेश निषेध किया जाए । मौलाना साजिद रशीदी कह रहे हैं कि मुस्लिमों को तो वैसे भी हिन्दुओं के त्यौहारों में नहीं जाना चाहिए, क्योंकि वह हमारे मज़हब के कायदों के खिलाफ है ,
लेकिन फिर भी घुसना हर त्यौहार में चाहते हैं ।
कुछ मौलाना टीवी पर भाईचारे की बात कर रहे थे, कैसा भाईचारा चाहते हैं ये लोग ? आपका रमजान शुरू हुआ है, परंतु हिन्दुओं की तरफ से इसमें कोई दखल सुनने को नहीं मिलेगा लेकिन मुस्लिम कोई भी हिन्दू त्यौहार हो, उसमें विघ्न डालने का काम करते हैं । गरबा में घुसते हैं, कुंभ में घुसने की कोशिश की और कांवड़ों पर पत्थरबाजी करते हैं । रामनवमी, हनुमान जयंती, गणेश चतुर्थी समेत हर त्यौहार की शोभा यात्राओं में पत्थर बाजी होती है और दंगे फसाद बवाल मचा देने की घटनाएं भी सामने आती रहती है ।
सत्य तो यह है कि अब ऐसा लगता है फिर से देश के बंटवारे के साल 1947 का माहौल बनाने की तैयारी चल रही है और विपक्ष उसे हवा दे रहा है कांग्रेस के नेताओं द्वारा तो कई बार यह कहा जा चुका है कि क्यों नही मोदी सरकार मुसलमानों को उनका एक अलग देश दे देती। हिन्दुओं का विरोध करने में विपक्ष एक पल भी व्यर्थ नहीं करता, लेकिन ट्रेन पलटाने की साज़िश पर खामोश रहता है ।
अजमेर में हाल ही में हिन्दू नाबालिग लड़कियों के साथ दुराचार की घटना सामने आई है, जिसके लिए कई मुस्लिम लड़के गिरफ्तार हुए हैं ।
बहुत आश्चर्य तो यह सुनकर लगता है कि जब कोई मुस्लिम आतंकवादियों के द्वारा बड़े हमले को अंजाम दिया जाता रहा है तो तमाम मुस्लिमों के द्वारा यह कहा जाता है कि सभी मुसलमानों को उनसे न जोड़ कर देखा।
वह भटके हुए लोग हैं किंतु इन घटनाओं के विरोध में सड़को पर कोई भी अच्छे मुसलमानों द्वारा उतर कर जोरदार ढंग से उनका विरोध करने और कठोर सजा दिलाने की पहल कभी भी नही की गई कि जिससे देश के खिलाफ साजिश रचने वाले और उसको अंजाम देने वाले गद्दारों का समूल नाश किया जा सके।
(लेखक उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और यह उनके निजी विचार हैं)