(आलोक तिवारी)
(मथुरा)
✓ कामदेव को परास्त करने के लिए ही श्रीकृष्ण ने की थी रासलीला कहा ठाकुर जी ने
✓ केएम विश्वविद्यालय में चल रही श्रीमद्भागवत पुराण कथा में भगवान की महारास लीला का हुआ वर्णन
श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथा वाचक भागवत भास्कर श्रीकृष्ण चन्द्र शास्त्री (ठाकुरजी) ने कहा आत्मा का पति तो केवल परमात्मा होता है। मनुस्मृति ग्रंथ में परमेश्वर की दृष्टि में कोई छोटा कोई बड़ा नहीं है, एक से हम उत्पन्न हुए हैं, उसी में सम्पन्न हो जाते है, मनु की संतान ही मानव हैं। शास्त्रों की अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए संविधान की नियमावली मनुस्मृति की ही है। संविधान का ग्रंथ देखें तो उसमें आपको रामदरबार नजर आएगा। संविधान में गीता के श्लोकों का व्याख्यान किया गया है, इसलिए संविधान ही सनातन धर्म है और सनातन धर्म ही संविधान है।
केएम विश्वविद्यालय में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथा वाचक भागवत भास्कर श्रीकृष्ण चन्द्र शास्त्री (ठाकुरजी) ने कहा भगवान को अभिमान अच्छा नहीं लगता, चाहे वह पद का हो, चाहे वह धन का हो या फिर चाहे वो बल का हो। जब देवराज इन्द्र को अभियान हुआ, तब भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पूजन कराकर इन्द्र के अभिमान को दूर किया, उन्होंने कहा कि ब्रज कि गोपियां साधारण गोपियां नहीं हैं। दण्डकारण्य के सभी ऋषि महात्मा गोपी बनकर आए। वेद की ऋचाएं सभी गोपी बनकर आए, शरदपूर्णिमा की रात्रि में जब भगवान ने बांसुरी बजाई तब सभी गोपियां बांसुरी की धुन सुनकर दौड़ी चली आईं। यमुना के तट पर किशोरी श्रीराधाजी के साथ गोपी गीत को गाया, तब भगवान ने लाखों गोपियों के साथ में रासबिहार किया। इस प्रकार आगे की चर्चा करते हुए शास्त्री जी ने कहा श्रीकृष्ण ईश्वर हैं, गोपी हैं। जीव, जब जीव-ईश्वर का विशुद्ध मिलन होता है, वह रास कहलाता है। कामदेव को परास्त करने के लिए ही श्रीकृष्ण ने महारास लीला की थी। इसलिए श्रीकृष्ण का नाम हो गया योगेश्वर। कल (गुरुवार) भागवत कथा में गोपियां संवाद, सुदामा चरित्र एवं रूकमणी विवाह महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जायेगा।
आरती में मुख्य अतिथि सन्त प्रवर गोवर्द्धनानन्द तीर्थ, भागवत प्रवक्ता रमाकांत गोस्वामी, भागवत प्रवक्ता मुकेश मोहन शास्त्री, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति किशन चौधरी, उनकी पत्नी श्रीमती संजू चौधरी, पुत्र पार्थ चौधरी व प्रथम चौधरी एवं दाऊजी मंदिर के रिसीवर आरके पांडेय शामिल रहे। इस अवसर पर कुलाधिपति के पिता मोहन सिंह, उनकी मां ननगी देवी, भाई देवी सिंह, हितेश चौधरी, रवि चौधरी सहित परिवार के सभी सदस्य एवं विवि के वाइस चालंसर डॉ डीडी गुप्ता, प्रो वाइस चांसलर डॉ शरद अग्रवाल, रजिस्ट्रार पूरन सिंह, सीओई डॉ मनोज ओझा, मेडीकल प्राचार्य डा. पीएन भिसे, डीन डॉ धर्मराज सिंह, विवि के प्रोफेसर, शिक्षक शिक्षिकाएं तथा विवि और हॉस्पीटल का स्टाफ तथा हजारों की संख्या में महिला-पुरुष और बच्चे मौजूद रहे।