लेखक- अमित सिंघल
योगेंद्र यादव के लेख (जिसमे उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावो के बहाने भारत में पुनः हिंसा एवं सत्ता परिवर्तन करने का संकेत दिया है) के सन्दर्भ में योगेंद्र के कथन पर सरकार को देशद्रोह मानकर कार्यवाही करनी चाहिए।
इसे समझने का प्रयास करते है।
अगर कोई व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से असहमति व्यक्त करता है, तो उसे क्या देश द्रोह कहा जा सकता है? चुनाव की प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह उठाने को राष्ट्रद्रोह कहा जा सकता है?
या फिर प्रधानमंत्री मोदी के बारे में भद्दे कार्टून, उन्हें “चौथी पास राजा” के नाम से सम्बोधित करने को देश द्रोह कहा जा सकता है?
आखिरकार चीन में Winnie the Pooh कार्टून पर प्रतिबन्ध है क्योंकि उसके द्वारा वहां के राष्ट्रपति का उपहास उड़ाया जाता है। या फिर मिश्र में वहां के राष्ट्रपति की फोटो पर मिकी माउस का कान लगाकर पोस्ट करने वाले को अरेस्ट कर लिया गया था।
यहाँ तक कि मिश्र की राजधानी कैरो के एयरपोर्ट को एक पर्यटक द्वारा विश्व का सबसे अव्यवस्थित एयरपोर्ट कहने को वहां की सरकार देश द्रोह की श्रेणी में रख रही है।
जब आप “पोपट” का उपहास उड़ाते है, तो क्या उसे अपराध माना जाना चाहिए?
या फिर राहुल द्वारा कैबिनेट के निर्णय को सार्वजनिक रूप से फाड़ने को देश द्रोह कहा जा सकता है?
आगे चलते है।
कई लोग प्रदर्शन के समय संविधान की प्रति सार्वजनिक रूप से जलाते है। या फिर सार्वजनिक संपत्ति, जैसे कि बस या रेल को आग लगा देते है; ट्रेन ट्रैक पर पत्थर रख देते है।
निश्चित रूप से ऐसे कृत्य अपराध है। लेकिन क्या इसे देश द्रोह कह सकते है?
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (जिन्हें भ्रष्टाचार के केस में दोषी पाया गया) से हाथ मिलाने को आप किस श्रेणी में रखेंगे? दुर्दांत आतंकवादी यासीन मालिक से हाथ मिलाने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में क्या विचार है?
अरुंधति सुजाना रॉय द्वारा हिंसक नक्सलियों को “बंदूक वाले गाँधी” कहने को कैसे लिया जा सकता है?
कुछ पॉलिटिशियन कहते है कि दक्षिण भारत द्वारा दिए जाने वाले टैक्स को उत्तर भारत पर नहीं व्यय करना चाहिए। या फिर कुछ राज्य सरकार अन्य प्रांतो के निवासियों को अपने यहाँ सरकारी नौकरी देने के विरोध में है। यह किस श्रेणी में आएगा?
दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित के सांसद पुत्र संदीप दीक्षित सेनाध्यक्ष को सड़क छाप गुंडा बोल देते हैं। केजरीवाल जैसे नेता पुलवामा के आँतकी हमले और उसके बाद की सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रश्न चिन्ह उठाते है।पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को जीवित अरेस्ट करने के बाद भी काँग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह जैसे लोग मुंबई आतंकी हमले को RSS के मत्थे मढ़ते है। सोनिया गाँधी बाटला हाउस एनकाउंटर – जिसमे एक पुलिस कर्मी आतंकवादियों की गोली से बलिदान हो गया था पर मनमोहन सिंह सरकार में सुपर पीएम के रुतबे वाली सोनिया गाँधी आंसू आतंकवादियों के लिए बहाती हैं और रात भर सो नहीं पाती।
क्या इसे राष्ट्र द्रोह कह सकते है?
एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र में लाखो विचार सामने रखे जाते है। लोग ऐसी बाते कह सकते है जो अरुचिकर है, जिन्हे अनुचित कहा जा सकता है, जो सर्वथा निंदनीय है, लेकिन क्या उनकी अभिव्यक्ति को राष्ट्रद्रोह कहा जा सकता है?
हाँ, अगर कोई भारत को विखंडित करने की बात करता है, आतंकी हमलो का समर्थन करता है, तो उसे देश द्रोह की श्रेणी में रखा जा सकता है। लेकिन इसे भी कोर्ट में प्रूव करना होगा कि ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह ने भारत को टुकड़े में बांटने का नारा लगाया था। अगला व्यक्ति बोलेगा कि उसने ऐसा नारा नहीं लगाया था और ऐसी कोई भी रिकॉर्डिंग फेक या डॉक्टर्ड है।
योगेंद्र जैसे अर्बन नक्सल को भी देशद्रोह के बारे में पता है। तभी वे अपनी बात को सांकेतिक रूप में कहते है। जैसे कि यदि हम अपने पड़ोसियों की तरह (अराजकता की ओर – यह मैंने जोड़ा है) फिसलना या गिरना नहीं चाहते है, जहां सभी चुनाव परिणामों पर चुनावों से अधिक विवाद होता है, तो हमें अभी कार्रवाई करनी होगी।
तभी मैंने प्रतिउत्तर में लिखा कि योगेंद्र यादव का चुनाव पर प्रश्न उठाना या संदेह करना देश द्रोह कैसे हो गया?
अगर आप ऐसे लोगो के कथन से असहमत है, तो इनकी विचारधारा के समर्थको को चुनाव में हरा दीजिए।

(लेखक आयकर विभाग में वरिष्ठ अधिकारी रहें हैं और यह उनके निजी विचार हैं)