लेखक – सुभाषचंद्र
गत 16 मई को केजरीवाल द्वारा दायर की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा “केजरीवाल की जमानत कोई अपवाद नहीं।
कोर्ट ने जो महसूस किया वह आदेश में कहा ,आदेश के आलोचनात्मक विश्लेषण का स्वागत है लेकिन सत्य तो यह है कि संजीव खन्ना जी ने न बेल देते हुए कोई logic सुना और न अब सुना क्योंकि आप कुछ सुनने के लिए तैयार ही नहीं है!
जनरल सॉलिसिटर तुषार मेहता ने बताया केजरीवाल रैलियों में कह रहा है कि मुझे वोट देंगे तो मुझे वापस जेल नहीं जाना पड़ेगा यह म्याय संस्था के मुंह पर तमाचा है।
आपको यह भी कुछ गलत नहीं लगा, आपने कहा ये उसका सोचना है।
हमने कह दिया कि उसे 2 जून को सरेंडर करना है और कोर्ट कानून के शासन से चलेगा,हमने नहीं कहा कि वह केस के बारे में कुछ नहीं बोलेगा।जबकि आपने कहा था वह अपने रोल के बारे में कुछ नहीं कहेगा।
आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल इससे ज्यादा और क्या अदालत की तौहीन करेंगे कि उसे जेल भेजा गया शराब घोटाले में,लेकिन वह जनता से कह रहा है कि उसे फ्री बिजली पानी देने के लिए जेल भेजा गया।
लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि यदि वह Surrender नहीं करता तो क्या होगा।
आप तो छुट्टी पर होंगे और इसलिए इसका जवाब तो आपको यह कहते हुए देना चाहिए था कि उसे हमने 2 जून को surrender करने का आदेश दिया है।
सजीव खन्ना जी का यह “अहंकार” है जो गृह मंत्री की बात को कह गए कि “वह इस पर ध्यान नहीं देते” – आप भूल गए वो गृह मंत्री हैं और जो उन्होंने Observe किया वह कोई छोटी बात नहीं है – उन्होंने कहा कि बहुत लोगो का मानना है कि केजरीवाल को special treatment दिया गया – आप गृह मंत्री की बात को भी ऐसे उड़ा देंगे –
अब बात करते हैं कोर्ट के special treatment की – वो तो किया आपने और वह साफ़ झलकता है आपके action में – जो बात कोर्ट में नहीं आ सकती वह यह है कि सिंघवी ने केजरीवाल को कहा वो उसकी इलेक्शन तक जमानत करा देगा लेकिन इसके बदले उसे फीस के अलावा राज्यसभा की सीट चाहिए – इसका खंडन सिंघवी ने नहीं किया है और इसलिए जाहिर होता है कुछ तो हुआ होगा जिसके आधार पर आपने बिना बेल मांगे उसे बेल दे दी –
सबसे बड़ा लोचा तो आपने यही किया कि उसके जमानत मांगे बिना आप केजरीवाल को जमानत देने के लिए उतावले हो गए – यह अपवाद था – जबकि हेमंत सोरेन जमानत मांग रहा है लेकिन आप नहीं दे रहे – उसके लिए आपने ED को 29 अप्रैल को नोटिस दिया, फिर 13 मई को नोटिस दिया और अब आज फिर कहा 2 दिन में affidavit दीजिये और तारीख लगा दी 21 मई की – दोनों को चुनाव में प्रचार का अधिकार है क्योंकि दोनों अपनी अपनी पार्टी के प्रेजिडेंट हैं –
जस्टिस खन्ना और दत्ता के केजरीवाल को बेल देने से ही उसकी गिरफ़्तारी को वैध हो जाती है और बुधवार से उसकी वैधता पर सुनवाई की तो जरूरत ही नहीं थी क्योंकि उसकी petition तो Infructuous हो गई – अगर आपने उसकी गिरफ़्तारी को “Invalid” कह देते तो प्रबीर पुरकायस्थ की तरह केजरीवाल रिहा हो जाता – बेल valid थी तभी अंतरिम जमानत दी और अब regular जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की अनुमति दे दी आप ने –
एक केस में अभिषेक मनु सिंघवी की सुनी तो बेल दे दी और दूसरे में कपिल सिब्बल की नहीं सुनी तो बेल नहीं दे रहे और इस तरह “निष्पक्ष” साबित हो गए।
दो दिन पहले जिस पर देश के साथ गद्दारी करने का आरोप है उस प्रबीर पुरकायस्थ को जस्टिस बी आर गवई ने गिरफ़्तारी को अवैध बता कर रिहा कर दिया, जिससे की देश की सुरक्षा को खतरा था।
आज जस्टिस खन्ना को केजरीवाल के केस में कोई अपवाद नज़ए नहीं आया अपने को सही साबित करने के लिए।
कल सरकार कुछ कठोर फैसला करने के लिए क़दम उठाए तो कुछ शीर्षस्थ हस्तियों को यकीनन तकलीफ़ हो सकती है।
(लेखक उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और यह उनके निजी विचार हैं )