लेखक- सुभाष चन्द्र
चुनाव अधिकारी के सामने प्रत्येक मतदाता का चेहरा हो खुला
इसी वर्ष हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभाओं के चुनावों के लिए चुनाव आयोग मतदाता पुनरीक्षण का काम शुरू कर चुका है।
पुनरीक्षण करते हुए बोगस मतदाताओं को मतदाता सूचियों से बाहर निकाला जाना सबसे जरूरी है वैसे अगले साल दिल्ली में भी चुनाव होने हैं।
अभी हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में एक गंभीर जानकारी सामने आई थी कि हैदराबाद के 15 विधानसभा क्षेत्रों में जनवरी, 2023 से मतदाता सूची से 5,41,201 लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए थे। इसका मतलब भाजपा उम्मीदवार रही माधवी लता का दावा गलत नहीं था कि हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र में 6 लाख फर्जी वोटर हैं।
हालिया संपन्न लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने माधवी लता की शिकायत पर हैदराबाद संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची से 5,41,201 लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए थे।इनमें 47,141 मृत वोटर थे, 4,39,801 shifted voter थे और 54259 duplicate voter थे।
इस लोकतंत्र विरोधी और साफ़ सुथरे चुनाव के लिए चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट की ऐसी जांच हर राज्य में करवानी चाहिए।
लोकसभा चुनाव में दिल्ली के मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्र ओखला में 20% वोटर बढ़ गए थे और इतने वोटरों का बढ़ना यह साबित करता है कि बोगस वोटर बढे हैं जो बांग्लादेश से आए हुए हैं या रोहिंग्या हैं।
चुनाव आयोग को ऐसे बांग्लादेशी और रोहिंग्या वोटरों को केवल आधार कार्ड के अनुसार ही सही नहीं मानना चाहिए बल्कि कुछ और तरीके अपनाने चाहिए जिससे साबित हो कि वे भारतीय हैं ही नहीं।यह प्रक्रिया पूरे देश के लिए अमल में लानी चाहिए क्योंकि विपक्ष अब केवल एक ख़ास वर्ग के वोटरों की राजनीति कर रहा है और करेगा।
जब फर्जी आधार कार्ड बन सकते हैं तो फर्जी वोट भी उसके सहारे बन सकता है,जिन प्राइवेट एजेंसियों ने पिछले कुछ वर्षों में आधार कार्ड बनाए हैं उनकी भी गंभीरता पूर्वक जांच होनी चाहिए ।जब लट्ठ बजेगा तो अपने आप उगलेंगे कितने फर्जी कार्ड बनाए थे यह लोग और किसके संरक्षण और कहने पर।
वोट किसी हाल में शुक्रवार, शनिवार और सोमवार को नहीं होना चाहिए या अन्य किसी ऐसे दिन पर जो सरकारी छुट्टी के आगे पीछे हो इससे मतदान प्रतिशत पर असर पड़ जाता है।
अगर वोटर राज्य के बाहर गए हुए हैं, अपने काम के लिए तो उनके लिए Postal Ballot का प्रबंध किया का सकता है तो चुनावआयोग उस पर विचार करे।
चुनाव अधिकारी के सामने किसी भी वोटर को चेहरा ढकने की अनुमति बिल्कुल नहीं होनी चाहिए चाहे वह किसी भी धर्म, संप्रदाय, मजहब, रिलीजन, पंथ का हो क्योंकि भारत देश एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है और देश के मतदाता के द्वारा चुनी गई सरकार बग़ैर धर्म, मजहब, रिलीजन देखे प्रत्येक भारतीय के लिए काम करती है।
(लेखक उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और यह उनके निजी विचार हैं)