(मुकेश सेठ)
(मुम्बई)
- यूं ही नही बन गए भजन सम्राट अनूप जलोटा कभी 320 रुपए में की थी कोरस सिंगर की नौकरी
- ऐसी लागी लगन, मीरा हो गई मगन, साई बाबा बोलो, सोलह बरस की बाली उमर को सलाम जैसे भजन, गाने है मील के पत्थर
- पद्मश्री, यश भारती, ब्रिटिश ग्लोबल अवॉर्ड समेत देश विदेश कि तमाम संस्थाओं ने जलोटा को किया है सम्मानित ।
ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन, जग में सुन्दर है दो नाम, रंग दे चुनरिया, साई बाबा बोलो समेत सैकड़ों भजनों को अपने सुमधुर स्वर से श्रोताओं को आनंद सागर में बेसुध कर देने वाले गायक अनूप जलोटा आज संगीत की दुनियां में ध्रुव तारे की तरह जगमगा रहे हैं।
शरीर और सांस की तरह ही भजन और अनूप जलोटा भी एक दूसरे के पूरक के रूप में पहचाने जाते हैं।भजन सम्राट अनूप जलोटा लगभग एक हजार से अधिक भजन रिकॉर्ड कर चुके हैं तो सौ से अधिक फिल्मों में भी यादगार गीतों के लिए स्वर दिए हैं।
अनूप जलोटा को संगीत के क्षेत्र में अद्वितीय और अद्भुत योगदान देने के लिए वर्ष 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हुए गया है।
इसके साथ ही उनको वर्ष 2004 में ब्रिटिश ग्लोबल अवॉर्ड, गुजरात सरकार द्वारा सिटीजन कौंसिल अवॉर्ड, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यश भारती सम्मान, स्क्रीन म्युजिक अवॉर्ड समेत देश विदेश की तमाम संस्थाओं द्वारा सैकड़ों पुरस्कार मिले हैं।
29 जुलाई वर्ष 1953 को तत्कालीन उत्तर प्रदेश के नैनीताल में अनूप जलोटा का जन्म हुआ है वह सबसे बड़े सुपुत्र है उनके बाद अनिल जलोटा, अजय जलोटा, बहन अनीता व अंजू हैं।
उनके पिता पुरुषोत्तम दास अखण्ड भारत के पंजाब में हुआ था और उन्होने वही से गायिकी भी शुरु कर दी थी। वह भी बड़े शास्त्रीय गायक थे तो उनकी माताजी कमला देवी बड़ी कत्थक नृत्यांगना हों के साथ ही गायन के क्षेत्र में भी प्रसिद्ध थी।
देश दुनियां में भजन सम्राट के उपनाम से भी विख्यात अनूप जलोटा को संगीत की दुनियां मे यह आदमकद स्थान पाने के लिए अनथक प्रयास और अटूट विश्वास के साथ बचपन से ही सफलता के सफ़र तय करने के लिए पग बढ़ाने प्रारम्भ कर दिए थे।
शिक्षा और संगीत में अच्छे शिक्षार्थी रहे अनूप जलोटा ने होश संभालते ही घर से ही शास्त्रीय संगीत, गायन सीखने शुरु कर दिया।सात वर्ष की बालवय में ही मंचो पर अपनी गायन की प्रस्तुति देने लगे।
चूंकि उनके पिता पुरूषोत्तम दास बड़े गायक थे तो लखनऊ में स्थित उनके घर पर देश के नामी गिरामी संगीत की दुनियां के दिग्गजों का आगमन होता रहता था ऐसे में अनूप जलोटा को उनसे संगीत के क्षेत्र की बारीकियां सीखने में काफ़ी मदद मिलती थी।
घर पर पंडित जसराज जी, महान गायको में शुमार मुकेश, हेमन्त कुमार, बेगम अख्तर, प्रख्यात नृत्यांगना बिरजू महाराज, गुदई महाराज,किशन महाराज, विश्व विख्यात सितार वादक पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान आदि आने जाने वालों में थे।
लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक और भातखंडे संस्थान से संगीत विषारद की उपाधि धारक अनूप जलोटा ने लखनऊ में ही रॉयल कंपेनियम नामक एक ऑर्केस्ट्रा ग्रुप बनाया।जिसमे वह फिल्मी गाने, भजन और गज़ल गाते थे बेहतरीन आवाज और गायन अदायगी के चलते वह शीघ्र ही वह मशहूर होने लगे तो उनके ख़्वाब भी बड़े होने लगे।
परिणाम स्वरूप बीस वर्ष की जवानी की रवानी पर सवार अनूप जलोटा तत्कालीन बम्बई पहुंच कर ख़्वाब को हकीक़त के धरातल पर उतारने के लिए जुट गए। उन्होने आल इंडिया रेडियो में कोरस सिंगर के रूप में काम करना शुरू किया जहां पर उनको 30 गायकों कि टोली में सामूहिक गायन कराया जाता था और प्रतिमाह 320 रूपए मिलने शुरु हुए।
शनै शनै अपनी गायन शैली और स्वर के बूते आगे बढ़ते रहे और एक दिन उनका गायन सुनकर सुप्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता और निर्देशक मनोज कुमार ने उनको 1980 में “शिर्डी के साईं बाबा” फिल्म के लिए चार भजन गवाएं जिसमें “साई बाबा बोलो”जबरदस्त हिट हो गई।
इसके बाद अनूप जलोटा का नाम संगीत की दुनियां में चमकने लगा जिसके चलते उनको तमाम फिल्मों में गाने के साथ ही भजन, गज़ल भी मिले। उन्होने लता मंगेशकर के साथ फिल्म” एक दूजे के लिए” में “सोलह बरस की बाली उमर को सलाम”जैसे यादगार गीत गाए,मोहम्मद रफी और अनेक बड़े गायकों के साथ भी तमाम गाने उनके आज भी श्रोताओं के मन मस्तिष्क में बसे हुए हैं।
अनूप जलोटा ने यूं तो एक हज़ार से अधिक भजन गाए हैं किन्तु सर्वाधिक लोकप्रिय भजन”ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन” मानी जाती है जिसकी मांग देश विदेश में होने वाले उनके सभी म्यूजिकल प्रोग्राम में श्रोताओं की तरफ़ से की जाती है।
इस भजन को पूना की रहने वाली इंद्रा देवी ने लिखा है।
पद्मश्री भजन सम्राट अनूप जलोटा का कहना है कि वह सर्वश्रेष्ठ संगीत,अध्यात्मिक संगीत है जिसमें मनुष्य का मनोरंजन ही नहीं होता बल्कि उसके उत्थान का भी कार्य करते हैं, ऐसे संगीत सभी को आत्मसात करना चाहिए।
भजन सम्राट अनूप जलोटा का दाम्पत्य जीवन सुखमय नही माना जाता है क्योंकी पहली पत्नी सोनाली सेठ से कुछ वर्षो के बाद ही दोनो के रास्ते अलग हो गए।
फिर कुछ साल बाद जलोटा की दूसरी जीवन संगिनी बनकर आईं बीना भाटिया, उनसे भी निभ नहीं पाई।
तीसरी शादी पूर्व प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल की भतीजी मेधा से हुई। किन्तु अनूप जलोटा के साथ सुख ज्यादे दिन तक साथ नही निभा पाता, मेधा जलोटा 9 वर्षों तक दिल की बीमारी से ग्रस्त रही और लंबे चिकित्सा के बाद वर्ष 2014 में उनका निधन हो गया।
अनूप जलोटा के दो सुपुत्र तुषार और आर्यमान जलोटा हैं यह दोनो बेटे पहली पत्नी सोनाली जलोटा से हैं।
कहते है कि बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा, बहुत मशहूरियत और समृद्धि भी मिलती है जनाब, कुछ ऐसा ही एक ड्रामा वर्ष 2021 में गुरु शिष्या के पात्र के रूप में रचा और खेला गया।

कलर्स चैनल पर प्रसारित होने वाले विवादास्पद धारावाहिक बिग बॉस जिसे सलमान खान होस्ट करते हैं में भजन सम्राट अनूप जलोटा और उनकी शिष्या जसलीन मथारू को भी अन्य प्रतिभागियों के साथ सम्मिलित किया गया।
जिसमें जलोटा और मथारु को गुरु शिष्या के इतर एक दुसरे की प्रेमी प्रेमिका और फिर विवाह होते भी दिखाया गया, भारतीय सभ्यता संस्कृति से ठीक उलट इन दोनो किरदारों ने उस दौरान बहुतों की भावनाओ को ठेस पहुंचाई थी।
बिग बॉस खत्म हुआ और बिग बॉस में रचे गए विवादास्पद भूमिका भी खत्म हुए, नतीजा खेल ख़त्म पैसा हज़म।
बाद में स्पष्ट हुआ कि एक बड़ी डील के तहत यह प्रोपेगंडा रचा गया था प्रोड्यूसर और चैनल द्वारा कि भारी संख्या में दर्शक अनूप जलोटा और उनकी शिष्या जसलीन मथारू को देखने के लिए बिग बॉस देखेंगे तो टीआरपी छलांग लगा देगी।
उस समय देश की मीडिया में सुर्खी पा रहे अनूप जलोटा और जसलीन मथारू की हॉट स्टोरी को भुनाने के लिए बॉलिवुड ने भी कदम उठाए।
नतीजा बिग बॉस ख़त्म होते ही 2021 में ही एक फिल्म भी बनकर पर्दे पर रिलीज़ हुई जिसका नाम था”वो मेरी स्टूडेंट है”। इस फिल्म में अनूप जलोटा ने गुरु और जसलीन मथारू ने शिष्या की भुमिका निभाई थी।