★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
13 अप्रैल 1956 को अविभाजित पँजाब के महेंद्रगढ़ में जन्में 66 वर्षीय सतीश चंद्र कौशिक का हरियाणा के गुरुग्राम में हुआ प्राणान्त
1982 में सुपरहिट फ़िल्म मासूम से अपनी अदाकारी का सफ़र शुरू करने वाले कौशिक ने तमाम फ़िल्मो में यादगार क़िरदार निभाकर लोगों को किया है मन्त्रमुग्ध
मिस्टर इंडिया और बधाई हो बधाई बतौर फ़िल्म निर्माता व निर्देशक के रूप में दर्शकों के दिलों में जा बसे
♂÷अपनी मंझी अदाकारी, निर्देशकीय क्षमता, लेखनी की जादूगरी के साथ फ़िल्म निर्माता के रूप में एक से बढ़कर एक फिल्में दर्शकों के सामने प्रस्तुत कर अतिशय तारीफ़ और तमाम पुरस्कार प्राप्त करने वाले सरल व विनम्र व्यक्ति के रूप में ख्यात सतीश कौशिक का आज गुरुग्राम में हृदयगति रुकने से प्राणान्त हो गया।
जिससे जहाँ देश विदेश में उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गयी तो उनके फ़िल्मी मित्रों, कलाकारों ने इस ख़बर को सुनकर स्तब्ध रह गए।
उनके 45 वर्ष से मित्रता निभाने वाले अनुपम खेर नें ट्विटर पर उनके साथ फ़ोटो साझा कर श्रधांजलि देते हुए लिखा कि जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु है, लेकिन इतनी जल्दी चले जाओगे सतीश यकीं नही होता।
फ़िल्म अभिनेत्री कंगना रनौत जो कि अपनी बतौर निर्माता, निर्देशक और अभिनेत्री के रूप में इमरजेंसी फ़िल्म बनानें में जुटी हुई हैं और सतीश कौशिक भी इसमें महत्वपूर्ण क़िरदार निभा रहे थे।रनौत ने ट्वीट किया कि विश्वास नही हो रहा है, सुबह जगने पर यह ख़बर सुनकर स्तब्ध रह गयी।उनसे हमने अपनी फ़िल्म के दौरान निर्देशन की बारीकियों को सीखा है।
फ़िल्म इंडस्ट्री के तमाम नामचीन कलाकारों,फ़िल्म निर्देशकों और फ़िल्म निर्माताओं नें भी दिवंगत सतीश कौशिक की असमय मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
13 अप्रैल 1956 को तत्कालीन अविभाजित पँजाब के महेंद्रगढ़ में जन्में 66 वर्षीय सतीश चंद्र कौशिक ने अपनी शिक्षा किरोड़ीमल महाविधालय,दिल्ली विश्वविद्यालय और उसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विधालय और भारतीय फ़िल्म और टेलीविजन संस्थान से अभिनत,लेखन व निर्देशन की बारीकियों को सीखा।
उनका फ़िल्मी दुनियां में सफ़र वर्ष 1982 से प्रारंभ होकर अपनी मृत्यु 9 मार्च 2023 तक मरते दम तक चला।उनकी पत्नी का नाम शशि कौशिक है जिनसे सतीश कौशिक ने वर्ष 1985 में विवाह किया था और उनके दो बेटे हैं।
सतीश कौशिक ने बड़े पर्दे पर अपने अभिनय की पारी सुपरहिट फ़िल्म मासूम से की थी।इसके बाद उनकी यादगार अभिनय के लिए”जानेभी दो यारों, मिस्टर इंडिया, दीवाना मस्ताना और उड़ता पँजाब,रामलखन,एक नया रिश्ता, उस्मान, काश,ठिकाना, जलवा, मोहब्बत, सागर,उत्सव, मंडी,वो सात दिन, अशोक,”जैसी दर्शकों के स्मृति में आज भी बसी हुई है।
उन्होंने बतौर लेखक”1983 में जाने भी दो यारों,2006 में शादी से पहले,2008 में मिलेंगे-मिलेंगे” प्रमुख हैं तो वहीं उन्होंने निर्देशक के रूप में 1993 में”रूप की रानी चोरों का राजा,1995 में प्रेम,1999 में हम आपके दिल में रहते हैं,2000 में हमारा दिल आपके पास है,2001 में मुझे कुछ कहना है,2002 में बधाई हो बधाई,2003 में तेरे नाम,2005 में वादा,2006 में शादी से पहले,2008 में मिलेंगे-मिलेंगे”प्रमुख है।
उन्होंने फ़िल्म निर्माता के रूप में “1987 में मिस्टर इंडिया जिसमें उन्होंने कैलेंडर का कालजयी क़िरदार निभाया था और 2002 में बधाई हो बधाई” बनाई।