लेखक~राजीव कुमार
♂÷बगैर किसी तैयारी के ही , आरोप लगा बैठे । फिर आनन फानन मे शिकायते दर्ज कराने के लिए , जूनियर खिलाडियो को पैसे और नौकरी का लालच देकर FIR करवा दी ।
पहलवान लोगो , दूसरो के कंधे पर रखकर बंदूक नही चलाई जाती । झटका खुद झेलना पडता है , तब जाकर टारगेट हिट होता है ।
एक तरफ तो विनेश फोगाट और साक्षी मलिक टीवी कैमरो के सामने कह रही थी कि हमारे साथ कुछ नही हुआ,दूसरी लडकियों के साथ हुआ । बाद मे कहने लगी कि हमारे साथ हुआ , और विनेश फोगाट ने तो बाकायदा तुर्की /मंगोलिया मे यौन शोषण के आरोप ऐफिडेविट देकर लगाये थे । दूसरी तरफ बोल रही है कि मेरे साथ कुछ नही हुआ ।
गलत लडकी पकड लाये ,और उसे माईनर बताकर , बाकायदा पाॅक्सो , मे लपेटने की कोशिश करी , हम खुद पाक साफ , सती सावित्री , और बाकी की 1000 लडकियां चरित्रहीन । पहलवान सीमा कुंडू का पति परमजीत मलिक जो कि कथित फीजियो था , उसने तो हद ही कर दी ,कि लडकियां रात को कैंपो से बाहर ले जायी जाती थी । बाद मे परमजीत मलिक बात ना बनती देखकर सीन से गायब हो गया ।
जब से स्पोर्ट्स मे महिलाऐं आने लगी है , सेक्सुअल हरेसमेंट के आरोप लगते आये है ,और लगते रहेंगें । और आरोप लगने पर बाकायदा , दोषियो पर एक्शन भी लिया जाता है । मगर आरोपो मे सच्चाई तो होनी चाहिये ।
पिछले साल ही , स्पोर्ट्स से जुडे कोचों, एवं अन्य लोगो के खिलाफ 32 सेक्सुअल हरेसमेंट के मामलो मे Sports Authority of india ने बाकायदा एक्शन लिया है । कई तो जेल भेजे गये है । Zero tolerance की पाॅलिसी है ऐसे मामलो मे । मगर मामला तो होना चाहिये कम से कम ।
आपको याद होना चाहिये , कि ये मामले आज से नही है । 2010 मे भारत की स्टार ऐथलीट , और पहली ओलम्पिक पदक जीतने वाली महिला भारोत्तोलक - कर्णम मल्लेशवरी ने भी , अपने कोच -रमेश मलहोत्रा पर "यौन उत्पीडन" का मामला दर्ज कराया था SAI के पास । कोई FIR या कोर्ट कचहरी , आंदोलन नही चला था । SAI ने जाँच की , और आरोपी कोच को बैंगलोर के साईं सेन्टर से तत्काल बर्खास्त कर दिया गया था क्योंकि आरोपो मे सच्चाई थी ।
यहाँ तो कुछ है ही नही ।महिला पहलवानों ने लगातार विरोधाभाषी बयानबाजी करती रही हैं। जंतर मंतर ,और राजनैतिक शोशेबाजी का ढोंग चल रहा है । मल्लेशवरी कौन से दिन धरने पर बैठी थी , कोई तो बता दे । मगर एक्शन हुआ था । पहले विनेश ने कई कोचो का भी नाम लिया था , मगर बाद मे कोच हाशिये पर चले गये , और अकेले ब्रजभूषण को लपेटने के लिए हथकंडे आजमाये गये , यही से इन आरोपो की सच्चाई संदिग्ध हो चली है ।
शारिरिक दमखम के खेल है । कई बार ना चाहते हुए भी महिला के शरीर से कोच का हाथ पैर टच हो जाता है , मगर वो जानबूझकर इरादतन किया हुआ "बैड टच" नही होता । कई बार मुँह से कोई अभद्र बात भी निकल जाती है । इसका मतलब भी यौन शोषण नही होता ।
मै स्वयं सालो तक "ट्रैनिंग" से जुडा रहा हूँ । "आयुध एवं युद्ध-कौशल" प्रशिक्षक के रूप मे हजारो पुरूष प्रशिक्षार्थियो के अलावा "महिला ट्रैनीज" को भी जंगल वारफेयर, अर्बन वारफेयर , मोर्चेबंदी , और खूनी लडाई के लिए प्रशिक्षित किया है । सैकडो बार किसी ना किसी से हाथ ,पैर या शरीर भी टच हुआ होगा । एक दो बार तो कईयो को हल्की सी चपत भी धर देता था मै । मगर गलत नीयत या इरादे से जानबूझकर कभी भी ऐसा नही हुआ । कई बार तो मेरी स्टूडेंट उम्र मे बडी ही होती थी, मै तो उस समय कुल 20-22 साल का था । पर फिर भी मेरी नजर मे मेरी स्टूडेंट सदैव बहन और सगी बेटी जैसी ही रहती थी । जबकि उस समय तक मेरी शादी भी नही हुई थी । अपनी स्टूडेंट्स को सदैव बहन और बेटी की नजर से ही देखा ।उस छोटी उम्र मे भी हमारा मोरल ग्राउंड इतना हाई हुआ करता था ।
"चक दे इंडिया" मूवी देखी होगी आपने ?? उसमे शाहरूख खान भी अपनी ट्रैनीज को उतना रगडा नही देता , जितना मै दिया करता था । कभी किसी को कोई ढील नही दी , मुरव्वत नही रखी । बेहिसाब पनिश्मेंट और घिसाई । एकदम पत्थरदिल , और बेहद कठोर प्रशिक्षक रहा ।
आज लगभग दो दशक बीत जाने पर सोचता हूँ , कि अगर कोई Me too सरीखा झूठा आरोप लगा दें, तो मेरे पास क्या बचेगा ??? सारा मोरल ग्राउंड , साफ नीयत , और गुरू -शिष्या का रिश्ता भी कलंकित हो जायेगा । अपने बचाव मे एक तर्क तक नही होगा मेरे पास । महिला का एक झूठा आरोप , आपके जीवन भर की कमाई को मिट्टी मे मिला देता है । फिर भी लोग समझने को तैयार नही है । अरे भाई हमेशा पुरूष की मानसिकता गंदी नही होती । कई बार महिला की मानसिकता मे भी खोट हो सकता है ।
अपराध को अपराध तभी माना जाता है , जबकि उसके पीछे कोई Motive यानि इरादा होता है । गैर इरादन प्रशिक्षण मे अगर कोई टच हो जाता है तो वो "बैड टच" कभी नही होता । फिर हमारी महिला पहलवान तो लडको के साथ भी कुश्ती लडती है , स्पेयरिंग पार्टनर तक लडके होते है , खूब उलट पलट , ऊपर नीचे होते है । अगर इसे बैड टच बोलने लगेंगें , तो फिर हो चुका कुश्ती का खेल ।
खिलाडियो ने जो आरोप लगाये है , वो इतने क्षुद्र , सतही , और Flimsy किस्म के है कि कोई भी सामान्य सी बुद्धि वाला आदमी , सिरे से नकार देगा। कुछ दम ही नही है आरोपो मे । षडयंत्र रचकर , जानबूझकर लगाये गये प्रतीत होते है । ज्यादातर आरोपो की कलई भी खुल चुकी है । मात्र 04 लोगो ने पुष्टि की है , वो भी चश्मदीद नही है , सबने यही कहा है कि मैने ऐसा सुना था , जबकि Hearsay कोई Conclusive ऐविडेंस नही होता। सुनी सुनाई बाते ऐविडेंस नही होती ।
पिछले एक महीने मे , पहलवानो की जो दुर्गति हुई है , और जो गंभीर किस्म की गलतियां अपने बयानो और जुबानी जमा खर्च करने मे पहलवानो ने की है , उनके परिणाम , इनके विरूद्ध ही होंगें । फिर भी पहलवान समझने को तैयार नही है । और राजनैतिक दलो की कठपुतलियां बने हुए है । अब पहलवान लोग यूज किये जा रहे है , और इनको अभी तक अक्ल नही आई है।
÷लेखक मशहूर ब्लॉगर हैं÷