लेखक~जीवन आनन्द मिश्रा
♂÷भारत में जबसे नरेंद्र दामोदर दास मोदी की केन्द्र में सरकार आयी है तबसे देश में रक्षा क्षेत्र की निर्माण कम्पनियां नित नए-नए कीर्तिमान गढ़ जहां देशवासियों को गर्वित होने का मौका दे रहीं हैं तो वहीं दुश्मन देश के कलेजे कांप जा रहें हैं।
क्या आप लोग जानते है कि भारत अब कितने हाइपरसोनिक मिसाइल का डेवलपमेंट कर रहा है ?
भारत यू तो कई हाइपरसोनिक मिसाइल पर “काम” कर रहा है,किन्तु प्रमुख रूप से दो हाइपरसोनिक मिसाइल सफ़लता की दिशा में बढ़ चुके हैं।जिनमें एक है ब्रह्मोस 2 हाइपरसोनिक मिसाइल और दूसरा है स्वदेशी HSTDV यानी Hypersonic technology demonstrator Vehicle है।जो कि एक हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरने वाला मानव रहित स्क्रैमजेट विमान है ! HSTDV हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की ‘क्रूज मिसाइलों’ के लिए, एक वाहक वाहन के रूप में विकसित किया जा रहा है, HSTDV को ‘DRDO’ विकसित कर रहा है, जिसके कई परिक्षण हो चुके हैं ! जिसमें DRDO को “शतप्रतिशत” सफलता मिली है ।
गत 27 जनवरी 2023 को DRDO ने जो HSTDV का परिक्षण किया था, उसकी गति 7500 किमी प्रति घंटा थी !! जिसको 12251 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार तक ‘बढ़ाया’ जा सकता है।हाइपरसोनिक के गति ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा होती है, इसका मतलब यह है कि 1.6 किमी प्रतिसेकेंड की रफ्तार. भारत हाइपरसोनिक मिसाइल का पहला परिक्षण ‘2024 या 25’ तक कर सकती है। भारत का यह मिसाइल, ‘हाइपरसोनिक’ गति से भी ज्यादा रफ्तार में मार सकती है।
भारत की दुसरी हाइपरसोनिक मिसाइल, ब्रह्मोस -2 है। जिसे भारत और रूस “सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल” ब्रह्मोस के एक नए वेरिएंट को बनाने पर तेजी से काम कर रहे हैं ,यह भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है।
“ब्रह्मोस-2” नाम की यह मिसाइल हाइपरसोनिक स्पीड से चलने में सक्षम होगी इसमें रूस की सबसे घातक ‘जिरकान मिसाइल’ के टेक्नोलाजी का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
“जिरकान” दुनिया में सबसे तीव्र गति से चलने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल है। इसकी स्पीड 6100 किलोमीटर से लेकर 11000 किलोमीटर तक है, और मौजूदा समय में ब्रह्मोस ‘दुनिया की एकमात्र’ ऐसी मिसाइल है जिसे जमीन, हवा, पानी और पनडुब्बी से भी, लांच किया जा सकता है लेकिन इसमें अड़चन ये है कि, ब्रह्मोस-2 मिसाइल 2035 तक बनकर तैयार होगा ? इसका मुख्य कारण है रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ।रूस का ज्यादा ध्यान अब युद्ध में लगा हुआ है और वह इस प्रोजेक्ट पे ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहा है,इसलिए भारत अपनी स्वदेशी प्रोजेक्ट HSTDV पर ज्यादा ध्यान लगा रहा है।
देखा जाए तो भारत की स्वदेशी हाइपरसोनिक मिसाइल की रफ्तार, ब्रह्मोस-2 से ज्यादा होने वाली है, और इसकी रैंज 1500 से 2000 तक होने वाले हैं।
भारत दुनियां के रक्षा क्षेत्र में एक उभरता हुआ बड़ी ताक़त बनने की राह पर निकल पड़ा है अब वह ऐसे ऐसे घातक हथियार बनाकर संसार को आश्चर्य में डाल दे रहा है तो वहीं अब हिदुस्तानी हथियारों को ख़रीदने के लिए अमेरिका, योरोप व खाड़ी देश भी ऑर्डर दे रहे हैं।
भारत का हथियारों के निर्यात में भारी वृद्धि हुई है और देश मोटा मुनाफ़ा कमा रहा है, मोदी सरकार ने रक्षा बजट और हथियारों को बनाने वाली कम्पनियों को भी मिलने वाले फण्ड में खासी वृद्धि की है।
÷लेखक रक्षा क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं÷