(मुकेश शर्मा)
(भोपाल)
√ न्यायलय का स्थगन आदेश होने के बावजूद लहार तहसीलदार उदय सिंह जाटव की बनादी मौ तहसीलदार की आईडी?
जी हां कलेक्टर भिण्ड के लिए सरकार के आदेशों की खिल्ली उड़ाना तो आम बात है अब कलेक्टर न्यायालय के भी आदेशों की भी सरेआम धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं।
ताजा मामला जिले की मौ तहसील का है जहां तहसीलदार श्रीमती माला शर्मा को कुछ माह पूर्व मनमाने आरोप लगाते हुए कलेक्टर ने गोहद अटैच कर दिया।


नियम विरुद्ध हुए अटैचमेंट के खिलाफ श्रीमती माला शर्मा ने उच्च न्यायालय की शरण ली,जहां दोनों पक्षों को सुनने के बाद माननीय न्यायालय ने श्रीमति शर्मा को स्थगन आदेश जारी कर दिया जिसमें सुनवाई जारी है और 14.10.2024 तक अभी स्टे ऑर्डर प्रभावी है।
इस स्टे ऑर्डर से कलेक्टर को इतना बुरा लगा कि उन्होंने तहसीलदार को कुछ ही समय में लगभग एक दर्जन नोटिस जारी कर दिए, हालात यह हो गये हैं कि अब एस.डी.एम और कलेक्टर अपने किसी चहेते से महिला तहसीलदार की फर्जी शिकायत करवाते हैं और नोटिस जारी कर देते हैं। ताजा मामला बाढ़ राहत से जुड़ा है, दरअसल बीते सप्ताह अतिवर्षा के कारण आई बाढ़ का निरीक्षण करने कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव मौ आए, जहां निरीक्षण के दौरान तहसीलदार माला शर्मा और एस.डी.एम पराग जैन उपस्थित मिले बाबजूद इसके कलेक्टर ने अपने व्यक्तिगत टसन के चलते लहार तहसीलदार उदय सिंह जाटव को बाढ़ आपदा के लिए मौ तहसीलदार का प्रभार दे दिया।
इतना ही नहीं कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव और एस.डी.एम पराग जैन ने बगैर किसी आदेश के उदय सिंह जाटव की मौ तहसीलदार की आईडी बना दी। अब यहां सवाल यह पैदा होता है कि क्या न्यायलय का आदेश बीजेपी की डॉ.मोहन यादव सरकार के अधिकारियों के लिए कोई मायने रखता है या नहीं? इस मामले में तहसीलदार उदय सिंह जाटव का पक्ष जानना चाहा तो सवाल सुनकर उन्होंने फोन काट दिया वहीं एस.डी.एम पराग जैन ने मोबाईल रिसीव नहीं किया
√ अपने कार्याे के लिए चर्चाओं में रहते हैं कलेक्टर
वैसे कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव अपने कायों को लेकर चर्चाओं में रहते हैं फिर चाहे उनके स्टेनो राजकुमार गुप्ता का अटैचमेंट हो या महिला बाल विकास विभाग में समूहों का अनुबंध करना उसके बाद रद्द करना,फिर पुन: बहाल करना।ये तो कुछ वो उदाहरण हैं जो सामने हैं। कलेक्टर झूठी वा वाहवाही लूटने के लिए हमेशा ही चर्चाओं में बने रहते हैं।
√ जिलाअस्पताल की नर्सो ने भी कलेक्टर पर लगाया आरोप
गत दिवस जिला अस्पताल में दो मृत नवजातों का मामला सामने आया था,जिसमें कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने 4 नर्सो को निलंबित कर दिया था,इस मामले में निलंबित नर्सो ने कलेक्टर पर आरोप लगाया है कि कलेक्टर अस्पताल में स्टाफ को काम नहीं करने देते हैं बार-बार निरीक्षण कर दहशत का माहौल बनाते हैं। जिसके चलते स्टाफ परेशान है और झूठे आरोपों के चलते उन्होंने अपनी भड़ास चार नर्सो पर निकाल कर निलंबित कर दिया।अस्पताल की नर्सों ने कलेक्टर के खिलाफ हड़ताल पर जाने की चेतावनी सिविल सर्जन को दे डाली है।
√ सिर्फ निलंबन तक सिमटे कलेक्टर, जबकि होनी चाहिए थी एफआईआर
लहार क्षेत्र की एक ग्राम पंचायत में एक सचिव के घर कलेक्टर ने रात के समय छापा मारा,जिसमें सचिव के घर से फर्जी कैशबुक, बिल,डोंगल आदि बरामद हुए थे, जिस मामले में सचिव को निलंबित कर दिया,जबकि एक सचिव के घर 15 से अधिक पंचायतों के फर्जी बिल कैश मेमो सहित डोंगलों का जखीरा मिला था।
नियमानुसार मामले में सचिव पर एफआईआर होना चाहिए लेकिन उन्होंने मामले में खाना पूर्ति कर झूठी वाहवाही लूटी।