★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
केंद्रीय गृहमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि”सेंगोल”14 अगस्त 1947 को अंग्रेजो से भारत को सत्ता हस्तांतरण का है प्रतीक
काँग्रेस सहित 19 विपक्षी दल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा उद्घाटन न कराने को लेकर नए लोकसभा भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की घोषणा की है
♂÷मुख्य विपक्षी दल काँग्रेस समेत 19 पार्टियां आगामी 28 मई को भारत के नए संसद भवन यानी सेंट्रल विस्टा का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बजाय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा करने के विरोध में समारोह का बहिष्कार करने का एलान किया है तो वहीं आज केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह नें प्रेस कांफ्रेंस कर समारोह की जानकारी दी।
गृहमंत्री शाह नें कहा कि “सेंगोल” 14 अगस्त वर्ष 1947 को अंग्रेजों से भारत को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है।
नए संसद भवन के लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पृष्ठ भाग में ऊपर पवित्र ‘सेंगोल’ को प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा सम्मानपूर्वक स्थापित किया जायेगा।
उन्होंने कहा “सेंगोल”यानी राजदण्ड निष्पक्ष और न्यायसंगत शासन के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है,यह अमृतकाल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास चमकेगा।
गृहमंत्री ने विश्वास जताया कि एक ऐसा युग, जो नए भारत को दुनियां में अपना सही स्थान लेते हुए देखेगा।
14 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है “सेंगोल”।
नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी जी लोकसभा में पवित्र ‘सेंगोल’ को सम्मानपूर्वक स्थापित करेंगे।
‘सेनगोल’, निष्पक्ष और न्यायसंगत शासन के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। यह अमृत काल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास चमकेगा, एक ऐसा युग जो नए भारत को दुनिया में अपना सही स्थान लेते हुए देखेगा।
उन्होंने आगे कहा कि आज़ादी के अमृत काल में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को संग्रहालय में रखे गए “सेंगोल” की जानकारी हुई तो उन्होंने निश्चय किया कि पवित्र “सेंगोल” को लोकसभा में सम्मानपूर्वक स्थापित किया जाएगा।
इस प्रेस कांफ्रेंस में गृहमंत्री के साथ केंद्रीय मन्त्री अनुराग ठाकुर, जी किशन रेड्डी भी मौजूद रहे।
विदित हो कि जब 14 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत द्वारा प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने को तैयार पण्डित जवाहरलाल नेहरू को राजदण्ड यानी “सेंगोल”सौंपा गया था तो उस वक्त तमिलनाडु के अनेक विद्वान ब्राह्मणों नें विधिविधान व मंत्रोच्चार के द्वारा इस सत्ता हस्तांतरण को सम्पन्न कराया गया था।
मगर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस पवित्र सत्ता के प्रतीक “राजदण्ड” को सम्मानजनक स्थान लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास न रखवाकर संग्रहालय में भिजवा दिया।
कहा जाता है कि विशाल भूभाग में ताक़तवर व वैभवशाली भारत देश का सीमा विस्तार कर शताब्दियों तक राज करने वाले दक्षिण के चोल साम्राज्य का राजदण्ड ऐसा ही था।
मालूम हो कि प्रत्येक शताब्दियों पूर्व के प्रत्येक शासक रहे हो या फ़िर देश,दुनियां की सरकारें, प्रतीक रूप में “सेंगोल” देश की आन,बान, शान और शासन का प्रतीक होते हैं।