लेखक- डॉ राजीव मिश्र
जो बाइडेन में पिछले टर्म के समय से ही खराब स्वास्थ्य और बिगड़ती हुई मेमोरी के लक्षण दिखाई दे रहे थे. लेकिन वह इन चुनावों में भी डेमोक्रेटिक पार्टी का कैंडिडेट था. आखिरी समय में उसने अपना नाम वापस लिया और परिणामस्वरूप कैमिला हैरिस डेमोक्रेटिक नॉमिनी बन गई.
मजे की बात देखिए... 2020 के चुनावों में डेमोक्रेटिक प्राइमरी में भी कैमिला हैरिस कहीं नहीं थी. लेकिन जो बाइडेन ने अपना रनिंग मेट कैमिला को चुन लिया. इन चुनावों में भी जब आखिरी समय में बाइडेन ने अपना नाम वापस लिया तो कैमिला अपने आप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बन गई.
नतीजा यह हुआ कि कैमिला बिना कभी डेमोक्रेटिक पार्टी की प्राइमरी में चुने हुए ही पार्टी की नॉमिनी बन गई. तो क्या खराब स्वास्थ्य और मेमोरी के बावजूद बाइडेन इस लिए रेस में बना रहा कि आखिरी समय में कैमिला हैरिस को बिना प्राइमरीज का सामना किए राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया जा सके?
यह बात सिर्फ यह तथ्य अंडरलाइन करने के लिए कह रहा हूं कि डेमोक्रेटिक पार्टी में लीडर्स नहीं होते, कठपुतलियां होती हैं. और पूरे प्रॉसेस और जनता की पसंद को बायपास करके उसके लिए एक प्रत्याशी सामने कर दिया जाता है जो सबसे अच्छी और compliant कठपुतली होता है.
और यह स्थिति है दुनिया के सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली लोकतंत्र की,सोचिए की हम कितने फ्री वर्ल्ड में रह रहे हैं.
(लेखक लंदन में चिकित्सक हैं)