★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
रोज़ेदार रमदान के दिनों में मस्जिदों में खड़े होकर पढ़ते हैं तरावीह कि हो सके अल्लाह के क़रीब
इस्लामिक मान्यता है कि इन्ही दिनों अल्लाह नें कुरआन को धरती पर उतारा था
अर्थिल रूप से मजबूत मुस्लिम बन्धु समुदाय के गरीबों की हर तरह से करते हैं मदद,ज़कात देना है फ़र्ज़
♂÷हिंदुस्तान में हर दिन किसी न किसी धर्म,मज़हब, रिलीज़न, मत,पन्थ का कोई न कोई त्यौहार,पर्व मनाया जाता है। रमजान या रमदान का त्यौहार इस्लाम मज़हब के प्रमुख त्यौहारों में से एक है और पूरी दुनियां के मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा रमजान या रमदान का त्यौहार पूरी संज़ीदगी के साथ मनाया जाता है।
पाक माह-ए- रमजान का अपना विशिष्ट महत्त्व है इसलिए इस्लाम मज़हब का हर व्यक्ति रमजान के महीने के लिए बहुत ही उत्सुक रहता है।
रोज़ेदार पूरे महीने रोज़ा रखते है और रमजान के इन विभिन्न रीति-रिवाजों का अनुसरण करते है ताकि अल्लाह उन पर अपनी दया दृष्टि बनाये रखे। इस पाक माह में लोग अल्लाह की इबादत करते है और जरूरतमंद लोगों की मदद करते है।
रमजान या रमदान को इस्लाम मज़हब का पवित्र महीना माना जाता है यह इस्लामी कैलेंडर का नौवाँ महीना है। रमजान का महीना 29 या 30 दिनों का होता है, रमजान के पूरे महीने लोग रोज़ा (उपवास) रखते है और महीना पूरा होने पर चाँद को देखने के बाद ही रोज़े खत्म किए जाते है।

रमजान को कुरान का महीना भी कहा जाता है क्योंकि मान्यता है कि रमज़ान के महीने में अल्लाह की किताब कुरान इस दुनिया में आई थी। रमजान के पूरे महीने इस्लाम धर्म के लोग ज्यादा से ज्यादा पाक कुरान पढ़ते है ताकि वो अल्लाह के और करीब जा सके,रोज़ेदार लोग किसी भी प्रकार के बुरे विचारों से दूर रहने की कोशिश करते है।
♀रमजान का इतिहास
रमजान मनाने के पीछे का इतिहास कई बहुत पुराना है। रमज़ान एक अरबी भाषा का शब्द है जो रमद और रमीदा शब्द से मिलकर बना है इसका अर्थ चिलचिलाती गर्मी और सूखापन होता है।
मुस्लिम लोगों का मानना है कि इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार सन 2 हिजरी में अल्लाह के हुक्म से मुसलमानो पर रोजे फर्ज किये थे और इसी महीने में अल्लाह के फ़रिश्ते ने मोहम्मद साहब को कुरान से रूबरू करवाया था।
♀रोज़े के नियम
रमजान के इस महीने में रोज़े रखना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और रोज़े रखने के लिए कुछ जरूरी नियम है जिनका पालन करना अनिवार्य होता है। सुबह सूरज निकलने से पहले कुछ भी खा सकते है जिसे सहरी करते है, सुबह सूरज निकलने से पहले उठते है और जो भी खाना चाहते है वो खाते है उसके बाद पूरे दिन भूखे रहते है यहाँ तक कि पानी भी नहीं पी सकते है।
फिर शाम को सूर्यास्त होने के बाद रोज़ा खोलते है उसे इफ्तारी कहा जाता है।इफ्तारी के समय लोग परिवार के साथ इकट्ठे बैठ कर अल्लाह का स्मरण कर हर्षोल्लास के साथ खाते है। लोगों का ऐसा मानना है कि इफ्तारी के समय जो भी दुआ मांगी जाती है वो जरूर कबूल होती है। इफ्तारी के बाद भी सुबह वापस सूरज निकलने से पहले पूरी रात जो चाहे वो खा सकते है।
रोज़े रखने की यह प्रक्रिया पूरे 30 दिनों तक चलती है, इस दौरान विवाहित दम्पति को भी एक दूसरे से शारीरिक दूरियाँ बनाकर रखनी होती है। इफ्तारी के समय लोग खजूर खाकर अपना रोज़ा खोलना पसंद करते है। रमज़ान में बच्चें, बूढ़े, बीमार लोग, गर्भवती महिलाएँ, मासिक धर्म वाली महिलायें और यात्रा करने वाले लोगों को रोज़े रखने की छूट दी जाती है।
♀रमजान का महत्त्व
रमजान मनाने का मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से बहुत महत्त्व है। रमजान का महीना लोगों को खुद पर नियंत्रण रखना सिखाता है।रोज़े के दौरान उनको आसपास कोई खाता हुआ दिखाई देता है या फिर उनके आसपास खाना रखा होता है लेकिन लोगों को अपने मन पर नियंत्रण रखना पड़ता है जो जीवन में बहुत कुछ सिखाता है।
रमजान के इस पाक माह के दौरान रोज़े रखने वाले लोगों को पूरे दिन भूखा और प्यासा रहना होता है यह उन लोगों के जीवन को समझने का अहसास करवाता है जो गरीब और बेसहारा होने के कारण दो वक्त के भोजन का इंतजाम करने में भी सक्षम नहीं होते है। इसलिए आर्थिक रूप से सक्षम मुस्लिम समुदाय के लोग इस महीने में ज्यादा से ज्यादा गरीब और जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाने का प्रयास करते है।
रमजान के दौरान ज़कात ( दान ) करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, इसका मतलब यह है कि पूरे साल की जितनी भी कमाई होती है उसका 2.5% पैसा गरीब लोगों के लिए दान करना होत्ता है।,रमज़ान के महीने में शैतान को बाँध दिया जाता है लोगों का यह मानना होता है कि शैतान लोगों से बुरे काम करवाता है इसलिए इस महीने में शैतान को बाँध दिया जाता है।
मुस्लिम लोगों का यह मानना होता है कि क़यामत का एक दिन आएगा जिस दिन इस दुनिया के हर इन्सान को अपने हर काम के लिए जवाब देना होगा। रमजान के महीने में लोग अल्लाह से यह दुआ करते है कि क़यामत के दिन अल्लाह उनकी गलतियों को माफ करें।इसलिए इस महीने को माफ़ी का महीना भी माना जाता है। अगर कोई अपनी गलतियों के लिए सच्चे दिल से अल्लाह से माफ़ी मांगता है तो अल्लाह उसे जरूर माफ़ी देता है।
रमजान के समय मुस्लिम समुदाय के लोग ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत करने की कोशिश करते है। रमजान की एक विशेष नमाज़ भी होती है जिसे तरावीह की नमाज़ कहते है। यह नमाज़ रात के समय मस्जिदों में पढ़ी जाती है और नमाज़ में कुरान भी पढ़ा जाता है।नमाज़ पढ़ने के दौरान सब एक साथ खड़े होते है चाहे वो अमीर हो या गरीब हो उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता।
रमजान इस्लाम मज़हब के लोगों के लिए सबसे पवित्र महीना है और इस महीने में लोग ज्यादा से ज्यादा अपने अल्लाह के करीब आने की कोशिश करते है। रमजान का पूरा महीना खत्म होने के बाद ईद मनाई जाती है। ईद के दिन लोग अपने परिवार के साथ मिलकर खुशी मनाते है लोगों से गले मिलते है,आपस में सभी बैर भाव ख़त्म करके एक नई शुरुआत करते है।
रमजान के दौरान लोगों ने जो भी अच्छे कार्य या अल्लाह की इबादत की उसकी सफलता के लिए ईद के दिन ख़ुशी मनाते है। इसी प्रकार हर साल यह त्यौहार खासतौर पर इस्लाम मज़हब के लोगों के लिए बहुत ही उत्साह लेकर आता है।
इस दिन चाहे वह वृद्ध हो,जवान हो,बच्चें हो कोई भी वय का हो,उनके चेहरे की चमक व हर्षोल्लास बयाँ करती है कि अल्लाह नें उनकी कठोर इबादत को क़बूल की है।