लेखक-राजेश बैरागी
सरकारी सेवा में निलंबन के क्या मायने हैं? क्या इससे सेवाकर्मियों में अपनी ड्यूटी निभाने में की गई लापरवाही या भ्रष्ट आचरण के प्रति अपराध बोध पैदा होता है?
इन प्रश्नों का सीधा संबंध कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर के थाना दादरी क्षेत्र में पकड़े गए लगभग दो सौ टन गौमांस के मामले में वहां के थाना प्रभारी निरीक्षक सुजीत उपाध्याय को आज निलंबित किए जाने से है। उन्हें इसी जनपद के थाना फेज दो प्रभारी रहते लगभग दो वर्ष पहले भी एक बार निलंबित किया गया था।आज उनके साथ इसी मामले में एसीपी द्वितीय ग्रेटर नोएडा अमित प्रताप सिंह को लाइन हाजिर किया गया है।आज ही यातायात व्यवस्था ठीक से न संभाल पाने के लिए डीसीपी ट्रेफिक यमुना प्रसाद की जिम्मेदारी बदल दी गई। पाठक गण अवगत हैं कि गत 9 नवंबर को जीटी रोड स्थित लुहारली टोल नाके पर कुछ हिंदुवादी कार्यकर्ताओं की सूचना पर 32 टन मांस लदे कंटेनर को पकड़ा गया था। कंटेनर के साथ पकड़े गए लोगों की निशानदेही पर दादरी थाना क्षेत्र के बिसाहड़ा रोड स्थित एक कोल्ड स्टोर से 152 टन मांस और बरामद हुआ था।
मथुरा प्रयोगशाला में जांच से पकड़े गए मांस की पुष्टि गौमांस के रूप में हुई थी। अनुमान है कि इतनी मात्रा में गौमांस के लिए दस हजार गौवंश का वध किया गया होगा। इस मामले में कोल्ड स्टोर मालिक समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जबकि पश्चिम बंगाल से किए जा रहे गौमांस के इस अवैध व्यापार व परिवहन से जुड़े और लोगों की तलाश जारी है। इतने बड़े स्तर पर गौमांस के अवैध व्यापार और भंडारण से संबंधित थाना पुलिस का अंजान रहना असंभव है। तो क्या थाना पुलिस इस घृणित काम से अवगत थी? इस मामले का संज्ञान लखनऊ से भी लिया गया और पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने भी कड़े निर्देश दिए थे। निलंबन आदेश में डीजीपी कार्यालय के निर्देशों के उल्लंघन को विशेष रूप से उद्धृत किया गया है। आखिरकार सीधे सुरक्षा और कानून व्यवस्था से जुड़े पुलिसकर्मियों को इस प्रकार खुला खेल खेलने की शक्ति कहां से प्राप्त होती है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सीढियां चढ़ते हुए एक सजग नागरिक ने बताया कि अपने गृह क्षेत्र के बड़े सत्तारूढ़ नेताओं से निकटता के चलते बहुत से पुलिसकर्मी अपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं।
हालांकि उस व्यक्ति ने ऐसे किसी पुलिसकर्मी और उसके संरक्षक का नाम बताने से इंकार कर दिया। मैं वापस अपने प्रश्न पर लौटता हूं। पुलिस आयुक्त श्रीमती लक्ष्मी सिंह द्वारा देर से ही सही परंतु आज की गई कार्रवाई प्रशंसा के योग्य है परंतु केवल निलंबन कोई सजा नहीं है। इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल पुलिसकर्मियों को सेवा में बनाए रखने की परंपरा उचित नहीं है। यदि उनकी संलिप्तता पाई जाती है तो उन्हें सेवा से बर्खास्त करने के साथ उनके विरुद्ध अपराधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)