(पंकज पाराशर)
(छतरपुर)
122 साल पुराना बिहार के मुजफ्फरपुर में बना है शनि देव का मंदिर, शालिग्राम से निर्मित है शनिदेव की मूर्ति
कहा जाता है कि जिसके ऊपर शनि की साढ़ेसाती रहती है वो परेशानियों से घिरा रहता है, अगर आप भी ऐसी किसी परेशानी से घिरे हैं तो चले आइये बिहार के मुजफ्फरपुर और न्यायदेवता शनिदेव के इस मंदिर में चढ़ाइये काला छाता।
मान्यता है कि काला छाता चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और परेशानियों का अंत हो जाता है ।
मुजफ्फरपुर के गुदरी रोड में बना शनिदेव का ये मंदिर 122 सालों से भी अधिक प्राचीन है, 1902 में निर्मित में ये मंदिर शनिदेव के भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है । यही कारण है कि मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगती है । विशेषकर शनिवार और अमावस्या के दिन तो मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है ।
मंदिर के मुख्य पुजारी राजू कुमार शर्मा बताते हैं कि यह मंदिर सुबह खुलता है और दोपहर 12 बजे बंद हो जाता है, फिर संध्या चार बजे खुलता है और रात 11 बजे बंद होता है । मुख्य पुजारी कहते हैं कि किसी भी प्रकार का शनि दोष और शनि ग्रह की दशा से घिरे हुए लोगों के लिए यह मंदिर जीवनदायक है ।
मुख्य पुजारी बताते हैं कि मंदिर आनेवाले भक्त सामान्य तौर पर शनिदेव को काला तिल और तिल या सरसों का तेल चढ़ाते हैं । इसके अलावा लोहे की कील, लोहे की कड़ाही और लोहे के दूसरे बर्तन भी चढ़ाते हैं । मंदिर में काला छाता चढ़ाने का विशेष महत्व है । मान्यता है कि काला छाता चढ़ाने वाले के सिर पर हमेशा छत बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि आती है ।
पुजारी राजू कुमार शर्मा की तीन पुश्तें इस मंदिर की सेवा कर रही हैं । उनके परदादा चुन्नी लाल शर्मा ने इस मंदिर की स्थापना की थी । तब ये मंदिर बहुत ही छोटा बना था, लेकिन अब मंदिर काफी भव्य बन गया है । शालग्राम पत्थर से बनी मूर्ति मंदिर में स्वयं शनिदेव के विराजमान होने का आभास कराती है ।
शनिदेव के इस मंदिर से लोगों की बड़ी आस्था जुड़ी है । यही कारण है कि कई भक्त प्रत्येक शनिवार को मंदिर आते हैं और शनिदेव की पूजा-अर्चना करते हैं । प्रमोद कुमार भी ऐसे ही भक्तों में एक हैं । प्रमोद कुमार बताते हैं कि उन पर शनि की साढ़े साती थी, इस मंदिर में पूजा-पाठ करने से साढ़े साती दूर हुई और जीवन में समृद्धि आई ।