लेखक-राजेश बैरागी
क्या जनपद गौतमबुद्धनगर में किसान आंदोलन फिर से गति पकड़ सकता है? एक माह जेल में रहने के बाद रिहा हुए किसान नेताओं के सामने अपनी साख बचाने और कथित संयुक्त किसान मोर्चा से बाहर निकलने की चुनौती भी खड़ी हो गई है।कल शुक्रवार को पुलिस प्रशासन के स्थानीय शीर्ष अधिकारियों से बैठक कर जेल से रिहा हुए नेताओं ने एक बार फिर अपनी मांगे पूरी कराने की प्रतिबद्धता तो जताई है परंतु उनकी भाषा और तेवरों से पहले जैसी धार नदारद है। उधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट आदेशों के चलते पुलिस प्रशासन जहां जिले में किसी भी प्रकार का आंदोलन न होने देने के लिए कटिबद्ध बताया जा रहा है वहीं प्राधिकरण किसानों से संबंधित मामलों को सुलझाने में लग गए हैं। आबादी आवासीय भूखण्ड आवंटन के साथ साथ शिफ्टिंग पॉलिसी पर भी काम शुरू कर दिया गया है।
जनपद में कार्यरत तीनों प्राधिकरणों में व्याप्त किसानों की समस्याओं को लेकर पिछले लगभग दो वर्षों से चल रहे आंदोलनों की आगे क्या दशा और दिशा रहने वाली है, आजकल यह प्रश्न आम जनमानस और राजनीतिक गलियारों में शिद्दत से पूछा जा रहा है।गत 4 दिसंबर को दिल्ली जाने की जिद पर अड़े लगभग डेढ़ सौ किसानों को पुलिस प्रशासन ने जेल में बंद कर दिया था। फिर इन किसानों को धीरे धीरे छोड़ा गया। सबसे आखिर में सुखबीर खलीफा और रूपेश वर्मा सरीखे किसान नेताओं को रिहा किया गया।माना जा रहा है कि जेल में बंद रखकर किसान नेताओं को निकट भविष्य में आंदोलन न करने के लिए मना लिया गया है। परंतु अपनी साख और कैरियर बचाने के लिए किसान नेताओं का जेल से बाहर आकर एकदम चुप बैठ जाना संभव नहीं है। इसीलिए कल शुक्रवार को इन किसान नेताओं ने पुलिस आयुक्त श्रीमती लक्ष्मी सिंह और जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा से एक साथ बैठक कर अपनी मांगों को यथाशीघ्र पूरा करने की मांग की। हालांकि उनकी भाषा और तेवर ढीले ही थे। जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि जेल में बंद रहने और अपने निजी हितों के कारण किसान नेता फिलहाल कोई आंदोलन खड़ा नहीं करेंगे। उनके समक्ष राकेश टिकैत और भाकियू नीत संयुक्त किसान मोर्चा की चुनौती भी है जो अचानक उनके बनाए मंच पर काबिज होकर शासन प्रशासन के सुर में सुर मिला रहे हैं। उधर शासन प्रशासन भी लंबे समय से चली आ रही किसानों की समस्याओं के उचित समाधान की ओर बढ़ रहा है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के 22 गांवों में निरंतर शिविर लगाकर आबादी आवासीय भूखण्ड से वंचित पात्र किसानों की तलाश की जा रही है।आठ गांवों के किसानों को एक महीने में उनके भूखंड आवंटित करने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री द्वारा शिफ्टिंग पॉलिसी को हरी झंडी दे दी गई है। अब प्राधिकरण स्तर पर शिफ्टिंग और लीज बैक के क्रमशः 211,237 और 1451 मामलों को निस्तारित करने का प्रयास किया जा रहा है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी सौम्य श्रीवास्तव ने बताया है कि बीते दिसंबर महीने में 82 किसानों को लीज बैक की गई है। जहां तक नई अधिग्रहण नीति और सभी किसानों को दस प्रतिशत आवासीय भूखण्ड देने की मांगों को पूरा करने की बात है,इन दोनों मामलों पर राजनीतिक स्तर से निर्णय होना है जिसके लिए आंदोलन करने का माद्दा फिलहाल जेल से रिहा हुए किसानों में दिखाई नहीं देता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)