लेखक- अमित सिंघल
क्या कभी यह विचार आपके मष्तिष्क में नहीं आया कि राहुल पर “दोहरी” नागरिकता वाला केस ही नहीं बनता है? ब्रिटेन में एक कंपनी, जिसके राहुल डायरेक्टर थे, के रजिस्ट्रेशन के समय राहुल ने अपने आप को ब्रिटिश नागरिक घोषित किया हुआ था। बाद में राहुल ने स्पष्टीकरण दिया कि वह एक क्लेरिकल या टाइपिंग मिस्टेक थी? इस स्पष्टीकरण के बाद क्या केस बन सकता है?
ध्यान देने की बात है कि राहुल की प्रति वर्ष दर्ज़नो ब्रिटेन यात्रा का रिकॉर्ड सोनिया सरकार के समय से भारत सरकार (इम्मीग्रेशन) के पास है। इम्मीग्रेशन चेक करता है कि जिस देश में आप जा रहे है, उस देश में प्रवेश करने के लिए आपके पास क्या डॉक्यूमेंट (उस देश का वीजा या पासपोर्ट) है? अगर वीजा है, तो वह भारत के पासपोर्ट पर लगा होगा। और अगर ब्रिटिश पासपोर्ट है, तो अब तक नाप दिए गए होते।
फिर, भारत में प्रवेश करते समय पासपोर्ट में इम्मीग्रेशन में “अराइवल” या प्रवेश स्टैम्प लगता है; विदेश जाते समय “एग्जिट” या प्रस्थान का। यही स्थिति ब्रिटेन या किसी अन्य राष्ट्र में प्रवेश या प्रस्थान के समय की होती है।
कई लोगो के पास एक से अधिक राष्ट्र की नागरिकता होती है और वे अलग-अलग पासपोर्ट किसी राष्ट्र में आने-जाने के लिए प्रयोग करते है। एक ब्रिटिश-अमेरिकन नागरिक के लिए संभव है कि वह अमेरिका यात्रा के लोए अमेरिकी एवं ब्रिटिश यात्रा के लिए ब्रिटिश पासपोर्ट का प्रयोग करे।
लेकिन भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है। अतः भारतीय इम्मीग्रेशन प्रवेश के समय देखेगा कि भारतीय पासपोर्ट में ब्रिटेन का एग्जिट स्टैम्प कहाँ लगा है। अगर यह स्टैम्प नहीं लगा है, तो पूछा जाएगा कि उसने किस पासपोर्ट से ब्रिटेन से एग्जिट किया है। बिना ब्रिटिश वीजा के ब्रिटेन में प्रवेश कैसे करेगा?
यही पर दोहरी नागरिकता वाला केस समाप्त हो जाता है।
यह लेख इसलिए लिखा है क्योकि राष्ट्रवादियों को व्यर्थ की बातो पर मोदी सरकार की आलोचना करने, अपना रोष प्रकट करने से बचना चाहिए।
ऐसे बहुत से विषय है जिस पर राष्ट्रवादी खेमा अनावश्यक रूप से मोदी सरकार की भद्दी आलोचना करता है। उन विषयो पर चुप इसलिए रहता हूँ क्योकि उनसे सांप्रदायिक शक्तियों को सम्बल मिलेगा।

(लेखक आयकर विभाग में वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं और यह उनके निजी विचार हैं)