(मुकेश सेठ)
(मुम्बई)
✓ फर्जी तहरीर गढ़वा कर आरटीआई कार्यकर्ता बजरंगी सिंह को सोते समय घर से रात में उठाया
✓ पीडब्ल्यूडी की जमीन पर हुए अतिक्रमण क़ब्ज़े की शिकायत करने की मिली सजा
✓ केराकत कोतवाली के बहुचर्चित ‘टकले’ दलाल और अतिक्रमणकारियों से सांठ गांठ कर पुलिस ने गढ़ दी बजरंगी सिंह के गिरफ्तारी की फर्जी कहानी
जौनपुर जिले के थानागद्दी पुलिस चौकी प्रभारी ने ब्रिटिश हुकूमत की याद दिलाते हुए आरटीआई कार्यकर्ता को रात्रि में घर से उठाकर पूरी रात पुलिस चौकी में इस कदर पिटाई की है कि वह चलने फिरने में भी असमर्थ है। तुर्रा यह कि उसके बाद फर्जी शिकायत के आधार पर उन्हें जेल भेजने की कार्रवाई पूर्ण कर ली गई है। सरकारी भूमि पर कब्जा करने को लेकर सरकार जहां गंभीर है और चेतावनी दर चेतावनी देती जा रही है, वहीं थाना गद्दी के आरटीआई कार्यकर्ता बजरंग बहादुर सिंह पर पुलिस ने उन लोगों को आगे खड़ा कर तहरीर दिलवाई है जो पीडब्ल्यूडी की जमीन पर कब्जा जमाए में जिन्हें कुछ दिनों पूर्व विभाग द्वारा नोटिस दी गई थी।नोटिस मिलते ही झल्लाए लोगों ने पुलिसिया सांठ-गांठ से बजरंग बहादुर सिंह को फंसाए जाने का ताना-बाना शुरू कर दिया था। इसकी आशंका जताते हुए आरटीआई कार्यकर्ता के पुत्र ने दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री को प्रार्थना पत्र लिखकर कुछ ऐसी ही घटनाओं की आशंका जताई थी जो सच साबित हो गई है। दुर्भाग्य की बात है कि बेलगाम हुई थानागद्दी पुलिस चौकी पुलिस एवं केराकत कोतवाली पुलिस ने सारे कायदे कानून, मानवाधिकार नियमों को ताक पर रखकर आईटीआई कार्यकर्ता बजरंगी सिंह की जिस क्रूरता पर ढंग से बेल्ट और लाठियां इत्यादि से पिटाई की है वह न केवल आसानी है बल्कि मानवाधिकार कानून का मौका भी उड़ता हुआ नजर आ रहा है।
बजरंगी सिंह के घर की महिलाएं दहशत में है, महिलाओं का कहना है की रात्रि में 11:00 बजे घर पर पहुंचे चौकी प्रभारी ने जिस अभद्रता और दुर्व्यवहार का नंगा नाच, तांडव मचाते हुए उनके मुखिया को घर से उठा ले जाकर रात भर पुलिस चौकी में बंद कर बुरी तरह से मारने पीटने का काम किया है वह निंदनीय ही नहीं बल्कि कानून और मानवाधिकार के मुंह पर तमाचा भी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दावे को पुलिस कितना गभीरता से लेती है यह इस घटना के बाद से बखूबी समझा जा सकता है।