लेखक- डॉक्टर राजीव मिश्र
इस चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी के प्रचार की भाषा ऑलरेडी सरेंडर वाली हो चुकी है वे कहने लगे हैं कि लेबर पार्टी को सुपर मेजोरिटी से रोकने के लिए वोट दें।
ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर ऋषि सुनक का भारतीय होना उनके विरुद्ध जा रहा है। कंजर्वेटिव पार्टी का ट्रेडिशनल गोरा वोटर इस बार नाइजेल फैरेज की पार्टी की ओर झुक रहा है जिसे आप इंग्लैंड की एकम-सनातन पार्टी समझ सकते हैं।
जो सिर्फ टोरी वोट्स में सेंध मार कर लेबर की मदद करने के लिए खड़ी है वे ना तो देश चला सकते हैं, ना ही किसी का माइंड बदल कर लेबर से अपनी तरफ ला सकते हैं।
लोग यह पूछते हैं कि जब इन गोरों को लंडन के मेयर के रूप में पाकिस्तानी मूल का सादिक खान मंजूर है जो कि कई बार से चुनाव जीत रहे हैं तो ऋषि सुनक क्यों नहीं? यहां एक बात महत्व की है कि सादिक खान लंदन का मेयर है और लंदन को गोरों ने खाली कर दिया है और जो दो – चार बचे है वो धिम्मि लिबरल ही है।
वर्तमान में देखा जाए तो लंडन सिटी में लगातार अन्य देशों से आकर बसने वाले या शरण पाने वाले मुस्लिमों के चलते इनका एक तरफा वोट सादिक खान को जाता है जिससे वह मेयर बनते आ रहे हैं।
दूसरी ओर, सादिक खान की रेस और स्किन कलर मैटर नहीं करता, उनका रिलीजन मैटर करता है और उस रिलीजन से सिंपैथी रखना लेबर सपोर्टर्स के लिए फैशन में है।जब उन्हें रेसिज्म का कीड़ा काटता है तो वे हिंदुओं के विरुद्ध निकाल लेते हैं, और लिबरलिज्म का कीड़ा काटता है तो मुस्लिमों से चिपक लेते हैं।
अगर ऋषि सुनक स्वीकार नहीं थे तो उन्हे प्राइम मिनिस्टर चुना कैसे गया,क्योंकि और किसी में इतनी योग्यता और ऊर्जा नहीं थी कि देश को इस कठिन समय में संभाल पाता।
तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन, जो अपने व्यवहार में एक ओवरग्रोन स्कूल बॉय जैसे रहे उन्होंने कोरोना के समय अर्थव्यवस्था संभालने के लिए वित्त मंत्री ऋषि सुनक पर भरोसा किया।
लेकिन बोरिस के अपने बचकाने स्कैंडल्स से पार्टी को निकालने के लिए कोई और नहीं था।
बोरिस जॉनसन के रिजाइन के बाद प्राइम मिनिस्टर बनाई गई लिज ट्रस ने दो महीने में ही हाथ खड़े कर दिए थे,ऐसे में कांजर्वेटीव पार्टी ने फाइनेंस मिनिस्टर ऋषि सुनक के द्वारा कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था को संभालने को देख पीएम बनाया।
उन्होंने असाधारण नेतृत्व का प्रदर्शन किया, और यूक्रेन युद्ध के बावजूद इंग्लिश इकोनॉमी को काफी हद तक संभाला।इनफ्लेशन और बैंक इंटरेस्ट रेट्स को काफी कुछ कंट्रोल किया लेकिन लोगों को इतनी सी बात समझनी होगी कि कोरोना के समय जो पूरा देश बैठ कर खा रहा था, उसका बिल तो आना ही था।
लेकिन पीएम ऋषि सुनक के चुनावी मेनिफेस्टो में एक भी प्रॉमिस ऐसा नहीं था जो हल्का और खोखला हो।उन्होंने चुनाव जीतने के लिए लोक लुभावन वादे नहीं किए। उन्होंने वही कहा जो वह करने का इरादा रखते हैं और जो देश के लिए किए जाने की जरूरत है। ऋषि सुनक ने कहा कि वह टैक्स कम करेंगे और सरकारी खर्च घटाएंगे। उन्होंने कहा, आपका पैसा कैसे खर्च होना चाहिए, यह आप बेहतर जानते हैं।
उन्होंने कहा कि वह आपका पैसा नहीं लेगा इसमें कोई अपील नहीं है। अगर वह कहते कि वह आपको पैसे देगा तो आप उसके पीछे- पीछे चले जाते पर प्राइम मिनिस्टर ऋषि सुनक ने खटाखट-खटाखट नहीं खटखटाया।
प्रधानमंत्री रही मार्गरेट थैचर के बाद पहली बार एक पॉलिटीशियन ने साउंड बेसिक इकोनॉमिक्स के आधार पर बात की है पर वह किसी ने नहीं सुननी, सबको खटाखट की आवाज बहुत प्यारी लग रही है।
ना तो एकम सनातन का
आइडिया नया है, ना ही खटाखट की आवाज,हम इन दोनों से बाल बाल बचे हैं, पर लगता नहीं है कि यूनाइटेड किंगडम बच पाएगा!

(लेखक लंडन में चिकित्सक हैं)