लेखक- डॉक्टर राजीव मिश्र
अमेरिकी वाइस प्रेसिडेंट जेम्स वान्स ने म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में अपने भाषण में यूरोपीय नेताओं को जम कर लताड़ लगाई है।
तीन बातें मुख्य रहीं
पहला – यूरोपीय देश अपनी सिक्योरिटी का खर्च खुद उठाएं, अमेरिका के भरोसे न रहें।
बहुत समय से ट्रम्प भी यह बात कहते आ रहे हैं कि अमेरिका के साथी देश उसके लिए लायबिलिटी और न्यूसेंस बनते जा रहे हैं और अमेरिका नए साथी ढूंढ रहा है।
वैसे भी यूरोप से अमेरिका में वामपंथी आइडियोलॉजी का निर्यात होता रहा है जो ट्रेडिशनल अमेरिकी मूल्यों के विरुद्ध है तो अमेरिका के लिए यूरोप से पीछा छुड़ाना ही फायदे की बात है और यह भारत के लिए एक अद्भुत स्ट्रेटेजिक अवसर है।
दूसरा – यूरोप डेमोक्रेसी की कद्र नहीं करता. वहां डेमोक्रेसी सिर्फ तभी स्वीकार्य है जबतक वामपंथी पार्टियां चुनाव जीत रही हैं (बिना वामपंथी का नाम लिए कहा) चुनावों तक को निरस्त कर दिया जाता है अगर उसके परिणाम मन मुताबिक नहीं आते, लोगों को उनके ओपिनियन के लिए जेल में डाल दिया जाता है।
यूरोप का एक फ्यूडल पास्ट है जिसने यूरोप का पीछा नहीं छोड़ा है,उनके लिए शासक वर्ग की गुलामी कोई नई बात नहीं है समाजवाद बस उसी का बदला हुआ रूप है। इसमें आप सत्ता की खुली गुलामी करने के बजाय सत्ता पर आश्रित होना स्वीकार करते हैं और डिपेंडेंस और स्लेवरी में बहुत का अंतर नहीं है।
अमेरिका के लिए यह विचार उसकी मूल भावना के विरुद्ध है जिसके लिए आज भी “फ्रीडम” सबसे पवित्र शब्द है।
और आखिरी बात जो सबसे महत्व की है
कि यूरोप यूरोपीय लोगों के हाथ से निकल रहा है और इमीग्रेंट्स के हाथ में जा रहा है जो आधुनिक पश्चिमी वैल्यूज की कोई कद्र नहीं करते, यूरोपीय लोग इसके विरुद्ध उबल रहे हैं पर सत्ता वर्ग लगातार इसकी अनदेखी कर रहा है।
इसके अर्थ बहुत स्पष्ट हैं.. किन लोगों की बात की जा रही है और यह हमपर निर्भर करता है कि अमेरिकी सत्ता के इस स्टैंड का लाभ उठाने में हम कितने सक्षम हैं, क्योंकि यह यूरोप से अधिक हमारी प्रॉब्लम है।
अंत में उन्होंने कहा – हमने ग्रेटा थनबर्ग को दस साल झेला है, आप भी एलोन मस्क को कुछ दिन झेलो।
मुझे पूरा विश्वास है, अमेरिका को डोनाल्ड ट्रम्प के इन चार वर्षों के बाद कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए कि उसके बाद के आठ साल अमेरिका को कौन चलाएगा और वह तब, जबकि यह वेटरन फौजी अभी सिर्फ चालीस वर्ष का है,यानि हमारे पास बाहरी हस्तक्षेप से मुक्त निर्बाध बारह वर्ष हैं. अब जो भी लिमिटेशन है वह हमारी अपनी लिमिटेशन है।

(लेखक लंदन में चिकित्स चिकित्सक हैं और यह उनके निजी विचार हैं)