लेखक-कौशल सिखौला
हरियाणा विधानसभा चुनाव में जैसा झटका भारतीय जनता पार्टी ने काँग्रेस को मारा है उसे वह बर्दाश्त नही कर पा रही है।
देश का तमाम मीडिया फेल , तमाम एग्जिट पोल लोकसभा चुनाव के बाद लगातार दूसरी बार फेल , बढ़ बढ़कर बोल रही कांग्रेस फेल , बस चुपचाप काम में लगी बीजेपी हो गई “पास”। लगभग 6 माह पूर्व मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाकर नायब सिंह सैनी को सीएम बनाना कितना बड़ा कदम था , इसका अंदाजा इसी बात से लगाना होगा कि उन्होंने बेहद ताकतवर जाट लाबी को मात दे दी , खापों को भी तोड़ लिया।
जाट लैंड की 15 सीटों में से बीजेपी ने 7 सीट जीतकर दिखा दिया कि तमाम किसान बीजेपी से नाराज नहीं है। खुद को हरियाणा के किसानों का मसीहा बताने वाले गुरनाम सिंह चढूनी को पिहोवा सीट पर मात्र 1170 वोट मिले और जमानत जप्त हो गई। मोदी सरकार तीन के दौरान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 14 खाद्यान्नों को एमएसपी देकर किसानों का दिल जीत लिया है ।

एक बात और साफ हुई कि काँग्रेस की दलित नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दलित उदय भान का अपमान जाटों ने बेशक पसंद किया हो किन्तु अन्य जातियों को पसंद नहीं आया, अब पसंद नहीं आया तो नहीं आया । जाति जाति चिल्लाने वालों के खिलाफ़ तमाम जातियां एक हो गई ।
मतदाता ने हरियाणा काँग्रेस को अपने इशारे पर चलाने वाले पिता पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डाके बजाय नायब सिंह सैनी को गले लगाया , परिवार वादियों को दूर भगाया । अब भगाया तो हो गया तमाशा , हो गया खेला ।
बीजेपी ने पहले केन्द्र में हैट्रिक लगाई अब हरियाणा में इतिहास रचा। किसान , जाट , खाप और खिलाड़ियों से भरे हरियाणा को जो लोग अपनी जागीर बनाना चाहते थे ,औंधे मुंह आन गिरे हैं । सच कहें तो जनता ने जाति जाति कर रहे राहुल गांधी से उन्हीं के अंदाज में कहा – सब खत्म टाटा बाय बाय ….।
बाकी सब एक रहो , हम हिंदुओं को बांटेंगे का जनता की ओर से साफ साफ जवाब । रूदाली गैंग के पास सिसक सिसक कर विलाप करना बचा था , ईवीएम का नाम लेकर शुरू भी कर दिया है ।
चुनाव ने ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल देने वाली एजेंसियों को भी आइना दिखा दिया,लगातार दूसरी बार एग्जिट पोल फेल हुए हैं । तो क्या करोड़ों रुपया लेकर ओपिनियन और एग्जिट पोल बेचने वाली एजेंसियां टीवी खबरों और आम माहौल से प्रेरित होकर पोल करती हैं,क्या उनके पास अपनी कोई वर्किंग टीम है , या पार्टियां उनके काम आ रही हैं । एग्जिट पोल से लोगों का भरोसा उठ जाना खुद टीवी चैनलों के लिए कठिन दौर है ।
जनता की भावनाओं से खेलिए मत या तो सटीक जानकारी दीजिए या फिर एग्जिट पोल देने की कोई जरूरत नहीं । एग्जिट पोल गुमराह कर रहे हैं ,हमने खुद कईं बार एग्जिट सर्वे में भाग लिया है बड़ा पसीना बहाने के बाद आते थे सही रिजल्ट ।
हरियाणा से अधिक महत्वपूर्ण चुनाव कश्मीर के थे । 370 हटने और 100% भारतीय संविधान लागू हो जाने के बाद नया परिसीमन हुआ । उसके बाद का यह पहला चुनाव था । पूर्ण शांति के साथ 72% तक मतदान हुआ ,पूरी प्रक्रिया में जम्मू कश्मीर के नागरिक उमड़ पड़े । ठाठ से चुनाव हुए और शान से परिणाम आए ,सारी दुनिया ने देख लिया की कश्मीर हमारा है राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़ गए कश्मीरी ।
यही तो उद्देश्य था ,चुनाव कौन जीते , कोई मतलब नहीं बस प्रक्रिया हो गई , सरकारें तो बनती रहेंगी । हम फारूख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को सरकार बनाने की बधाई देते हैं । सिद्ध हुआ कश्मीर हमारा हम कश्मीर के और चुनाव आयोग को शानदार प्रबंधों के लिए बधाई ।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)