(मुकेश सेठ)
(मुंबई)
MP/MLA अपर सत्र न्यायालय के विशेष न्यायाधीश शरद कुमार त्रिपाठी ने दूसरे आरोपी सन्तोष विक्रम सिंह को भी सुनाई समान सजा
फ़ैसले के खिलाफ़ जाऊंगा हाईकोर्ट,इस मामले में ज़िले के एक राज्यमंत्री और एसपी का है हाथ कहा पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने
नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 10 मार्च 2020 को बाहुबली धनंजय सिंह व सन्तोष विक्रम सिंह के विरूद्ध दर्ज कराई थी FIR
फैसला आने के बाद भारी संख्या में जुटे धनंजय सिंह के समर्थकों ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के विरुद्ध की जमकर नारेबाजी
ड्रोन कैमरे की निगहबानी में रहा कोर्ट ग्राउंड तो सिटी सर्किल समेत 9 थानों की पुलिस फ़ोर्स रही तैनात
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर परसों ही पूर्व सांसद ने सोशल मिडिया पर”जीतेगा जौनपुर जीतेंगे” हम स्लोगन से शुरू किया था कैंपेन अब सजायाफ्ता होते ही लगा सियासी ग्रहण
पूर्व सांसद व जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव बाहुबली धनंजय सिंह के सियासी सफ़र में उन पर 4 वर्ष पूर्व दर्ज अपहरण और रंगदारी मांगने के मुकदमे में आज MP/MLA कोर्ट के फ़ैसले ने दिवाल खड़ी कर दी।
ज्ञात हो कि कल मंगलवार को MP/MLA अपर सत्र न्यायालय के विशेष न्यायाधीश शरद कुमार त्रिपाठी ने 4 वर्ष पूर्व के मामले में दोषसिद्ध मानते हुए कारागार की सलाखों के पीछे भेज दिया था और आज बुधवार को कई गम्भीर धाराओं में निरुद्ध बाहुबली पूर्व सांसद और उनके आपराधिक साथी सन्तोष विक्रम सिंह को 7 वर्षों का कठोर कारावास और 1 लाख 50 हज़ार का अर्थदंड भी लगाया।
ज्ञात हो कि विगत 10 मई वर्ष 2020 में जौनपुर में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के मैनेजर अभिनव सिंघल ने लाइन बाजार थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सनसनी फ़ैला दी थी कि बाहुबली सांसद धनंजय सिंह के साथियों द्वारा उनका अपहरण करते हुए शहर के कालीकुत्ती मोहल्ले उनके घर लाया गया जहां पर पूर्व सांसद द्धारा पिस्टल सटा आतंकित करते हुए रंगदारी मांगने के साथ ही गिट्टी बालू की सप्लाई लेने की धमकी दी गई थी
उस दौरान इस घटना के सामने आते ही शासन प्रशासन सख्त हो उठा और प्रोजेक्ट मैनेजर की तरफ़ से दर्ज कराई गई प्राथमिकी पर पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
मुकदमे के दौरान बाद में वादी प्रोजेक्ट मैनेजर एफआइआर में कही गई अपनी बातों से मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान से मुकर गया और कहा कि धनंजय सिंह व सन्तोषविक्रम सिंह ने न तो अपहरण कराया न रंगदारी मांगी। प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के द्वारा दर्ज़ कराई गई घटना से मुकरने का फायदा सतीश विक्रम को तो मिल गया लेकिन पूर्व सांसद धनंजय सिंह चूक गए थे।

आज बुधवार को विषेश न्यायाधीश के द्वारा कोर्ट में तलब किए गए पूर्व सांसद धनंजय सिंह और संतोष विक्रम सिंह को भारी पुलिस सुरक्षा बल के घेरे में MP/ MLA अपर सत्र न्यायालय में पेश किया गया।
जिसमें विषेष न्यायाधीश शरद कुमार त्रिपाठी ने मुकदमा अदालत संख्या 142/2020 के अन्तर्गत दर्ज भारतीय दण्ड विधान धारा 364,386,504,506 और 120 B के तहत 7 वर्ष के कठोर सश्रम कारावास और 1 लाख 50 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाते हुए सजा सुनाई।
अदालत के बाहर आते ही भारी संख्या में जुटे पूर्व सांसद धनंजय सिंह के समर्थकों ने धनंजय सिंह तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ है के साथ ही केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करना शुरू कर दिया।
जिस पर पुलिस अभिरक्षा में कारागार वाहन में सवार होने जा रहे धनंजय सिंह ने समर्थकों को किसी प्रकार की भी नारेबाजी करने से रोका गया।
इस बीच सजा पाए पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने मिडिया से कहा कि वह इस फ़ैसले के खिलाफ़ हाईकोर्ट में चुनौती देंगे, इस प्रकरण के पीछे एक राज्यमंत्री का हाथ है।
इसके पूर्व चर्चा रही कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह एक बड़े क्षेत्रीय दल के शीर्ष नेतृत्व के सम्पर्क में जौनपुर लोकसभा सीट से चुनाव लडने के लिए उम्मीदवारी में लगे हुए थे और उस दल के गठबंधन साथी दल के भी बड़े नेताओं से तार जोड़े हुए थे। अब यह सरगोशियां सियासी फिजाओं में तैर रही है कि 7 वर्ष की सजा पाए जाने पर चुनाव लड़ने से अयोग्य हो चुके धनंजय सिंह अपनी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला सिंह या फिर अपने किसी बेहद विश्वासपात्र को भी चुनाव के सियासी समर में उतार सकते हैं।