★मुकेश सेठ★
★मुम्बई★
तमिलनाडु से आये अधिनम सन्तों के द्वारा वैदिक विधि विधान व मंत्रोच्चार के बीच संसद भवन के लोकसभा अध्यक्ष आसन के बगल में स्थापित किया राजदण्ड
सर्वधर्म गुरुओं ने इस मौके पर की प्रार्थना,देश के अनेक राज्यों की संस्कृतियों की झलक देने वाले नए संसद भवन के उद्घाटन सामारोह का संस्कृत में होता रहा साक्षात भाष्य
32 वर्ष पूर्व नए संसद भवन के देखे ख़्वाब को पीएम मोदी ने 10 दिसम्बर वर्ष 2020 में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत शुरू कराया था नए संसद भवन का कार्य
काँग्रेस समेत 20 दलों के बहिष्कार के बीच नए सदन के उद्घाटन, राजदण्ड की स्थापना के बाद पीएम मोदी इस अवसर पर जारी करेंगे 75 रुपये का विशेष सिक्के
♂÷दक्षिण भारत के महाप्रतापी व दुनियां के कई देशों पर शताब्दियों तक राज करने वाले चोला साम्राज्य के राजदण्ड की प्रतिकृति माने जाने वाले पवित्र व सम्प्रभुता के प्रतीक सेंगोल यानी राजदण्ड को आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी नें नए संसद भवन के उद्घाटन के उपरान्त वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच लोकसभा अध्यक्ष के आसन के बगल में स्थापित कर दिया।
उनके साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी इस ऐतिहासिक अवसर पर साथ रहे।
52 सांसदों वाली मुख्य विपक्षी दल काँग्रेस समेत 20 पार्टियों के द्वारा इस नए संसद भवन के उद्घाटन व पवित्र राजदण्ड के लोकतंत्र के मंदिर में स्थापित करने के गौरवशाली ऐतिहासिक अवसर के बहिष्कार के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सभी कार्य सम्पन्न किये।
मालूम हो कि इस राजदण्ड को 14 अगस्त 1947 को रात 11 बजकर 45 मिनट पर ब्रिटिश साम्राज्य के प्रतिनिधि के रूप में अन्तिम वायसरॉय लार्ड माउंटबेटन ने प्रधानमंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में भारत का शासन सौंपा था।
जिन्होंने इसे अपने इलाहाबाद के आवास आनन्द भवन जो कि बाद में संग्रहालय बनाया गया उसमें देश के गौरव पवित्र सेंगोल को टहलने वाली छड़ी के रूप में रखवा दिया था।
इसके पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भव्यतापूर्ण ढँग से सजाए गए नवीन संसद भवन का उद्घाटन शिलापट्ट अनावरण कर इसे राष्ट्र को समर्पित कर भारतीय राजनीति के इतिहास में अविस्मरणीय पलों का सृजन रच ख़ुद को अमिट बना डाला।
इस दौरान अधिनम सन्तों के मंत्रोच्चार मुँख से अनवरत प्रस्फुटित होते रहे।
ज्ञातव्य हो कि ब्रिटिश साम्राज्य के दौर में बने लगभग 100 वर्ष पुराने संसद भवन जो कि ग़ुलामी के दिनों की अनवरत स्मरण कराने वाली इस ऐतिहासिक इमारत के इतर देश को नया संसद भवन मिले,इसका विचार करीब 32 साल पूर्व की केन्द्र सरकार ने देखा किन्तु वह साकार न हो सकी।इसके बाद वर्ष 2012 में मनमोहन सरकार के दौरान लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार नें संसद भवन की कमज़ोर होती जा रही इमारत व जरूरत के अनुरूप कम पड़ती जा रही जगह से होने वाली असुविधा को दृष्टिगत रख नए सदन की रूपरेखा बनाने का आदेश दिया।इसी दौरान 2014 में मनमोहन सरकार को देश के मतदाताओं ने हटाकर केन्द्र में बीजेपी को पूर्ण बहुमत दे नरेन्द्र मोदी की सरकार बनवा दी।
2019 में लोकसभा अध्यक्ष नें नए संसद भवन बनाने के लिए आदेश जारी किए थे।
ढाई साल में तैयार हुआ यह भवन हाईटेक सुविधाओं से लैस होने के साथ ही भारतीय कला और संस्कृति का भी पूर्ण रूप से परिचय देता है। जहां, एक ओर 20 विपक्षी पार्टियों ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने से इनकार किया था, तो वहीं विभिन्न प्रमुख हस्तियों, साधु-संतों और अधिनम महंतों की उपस्थिति में देश को लोकशाही का प्रतीक मिल गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय सनातन संस्कृति की पहचान लिए धोती-कुर्ता में सुबह 7:15 बजे संसद भवन के उद्घाटन समारोह में पहुंच गए। उनके साथ लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला भी थे। पूरे विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह शुरू हुआ जो करीब एक-घंटे तक हवन-पूजा का कार्यक्रम तमिलनाडु से आए अधीनम सन्तों के मंत्रोच्चार के साथ पूरा हुआ।
विधि विधान से हवन पूजन कार्यक्रम के पश्चात तमिलनाडु से आए भगवान शिव के शैवपन्थ पुरोहितों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शीर्ष पर नन्दी उकरी राजदण्ड भेंट किया।पीएम ने उसे सादर साष्टांग दण्डवत किया और फिर ‘सेंगोल’ को संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के बगल में स्थापित किया।
संसद भवन में सेंगोल की स्थापना के बाद पीएम मोदी ने तमिलनाडु के विभिन्न अधीनम संतों का शुभाशीष प्राप्त किया। वहीं, उन्होंने उद्घाटन के बाद भवन के निर्माण में काम करने वाले श्रमिकों को भी सम्मानित किया।
संसद भवन के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री जितेंद्र सिंह,केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी,केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया,केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल,केंद्रीय रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर,केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी,केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल,केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले समेत तमाम मंत्रियो के साथ सांसदों व कई राज्यों के मुख्यमंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी उपस्थित रहे।
संसद के उद्घाटन होने के बाद संसद भवन परिसर में सर्वधर्म सभा का आयोजन किया गया। इस सर्वधर्म सभा में बौद्ध, जैन, पारसी, सिख समेत कई धर्मों के धर्मगुरुओं ने अपनी-अपनी प्रार्थनाएं कीं।
नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में भारतीय संस्कृति का प्राचीन वैभवशाली गौरव देखने को मिला।नव संसद भवन के उद्घाटन समारोह का साक्षात भाष्य संस्कृत भाषा में की गई।
जहां एक ओर लोकतंत्र का प्रतीक संसद भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से मुहैया है, तो वहीं इसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से मंगाई गई मूर्तियां और कलाकृतियां भी बनाए गए हैं।प्रकृति पूजक देश में पूजे जाने वाले जानवरों की झलकियों को भी इसमें शामिल किया गया है। संसद की दीवारों में गरुड़, गज, अश्व और मगर के चित्र उकेरे गए हैं।
नए संसद भवन की आकृति मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित सैकडों वर्ष के प्राचीन विजय मंदिर से मिलती है। यह मंदिर 11वीं शताब्दी का बताया जा रहा है।इतिहास के पृष्ठों में बहर्फ़ दर्ज है कि वर्ष 1682 में बादशाह औरंगजेब ने मंदिर को तोप से ध्वस्त कर मस्जिद बनवा दी थी। तीन सौ से अधिक साल तक यहां मस्जिद तामीर रही। वहीं, जब 1992 में बाढ़ से मस्जिद का एक हिस्सा ढहा तो भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षण में लेते हुए यहां खुदाई करवाई,खुदाई के दौरान मस्जिद के नीचे मंदिर का आधा हिस्सा बाहर दिखाई देने लगा। करीब पांच साल पहले किसी ने ड्रोन कैमरे से मंदिर के ऊपरी हिस्से की तस्वीर खींची तो विजय मंदिर की भव्यता दिखाई दी।
विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत 10 दिसंबर वर्ष 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी।64 हज़ार 500 वर्गमीटर में बने इस संसद भवन में तीन द्वार बनाये गए हैं जिन्हें क्रमद्वार,ज्ञानद्वार और ।शक्तिद्वार का नाम दिया गया है।इस बहुमंजिला भवन को वास्तुकार बिमल पटेल ने आकृति प्रदान किया और केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित समयावधि के भीतर ही यह बनकर तैयार हुआ है।
नए भवन को विशिष्ट उपाय से बनाया गया है, इसमें इस्तेमाल की गई लकड़ियों को देश के कई राज्यों से मंगाया गया है। सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से, लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया था। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के कालीनों को मंगाया गया। त्रिपुरा के बांस के फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी के साथ, नया संसद भवन भारत की विविध संस्कृति को प्रस्तुत करता है।
राष्ट्र को आज़ाद भारत में चल रहे आज़ादी के अमृत काल के दौरान इस गौरवशाली ऐतिहासिक कालखण्ड को स्मरणीय बनाये रखने के लिए मोदी सरकार आज 75 रुपये का खास सिक्का जारी करेगी।इस सिक्के पर नए संसद भवन का चित्र होगा,संसद की तस्वीर के ठीक नीचे वर्ष 2023 भी लिखा होगा। इस पर हिन्दी में “संसद संकुल” और अंग्रेजी में “Parliament Complex” लिखा होगा। सिक्के पर हिन्दी में भारत और अंग्रेजी में इंडिया भी लिखा जाएगा और इस पर मौर्य साम्राज्य का अशोक चिन्ह भी अंकित होगा।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है जहां पवित्र राजदण्ड जो कि तत्कालीन इलाहाबाद के नेहरू परिवार के आनन्द भवन में आज़ादी के बाद से ही प्रधानमंत्री नेहरू नें अपनी टहलने वाली छड़ी के रूप में रखवा कर भारत की शक्ति व सम्प्रभुता के प्रतीक सेंगोल को गुमनामी के गर्द में ढँक दिया था।आज देश को जो गौरवपूर्ण वैभव इस राजदण्ड की लोकतंत्र के मन्दिर माने जाने वाले लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापना से प्राप्त हुई है उसके लिये अनन्तिम प्रशंसा करनी होगी अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ़ इंडिया तमिलनाडु संस्करण के रिपोर्टर की।
जिन्होंने इस सेंगोल को बनाने वाले वुडूमकी बंगारू स्वर्णकार परिवार के सदस्य से जानकारी हासिल करने के बाद इस राजदण्ड की खोजी रपट वर्ष 2022 नवम्बर में लिखी थी।
जिसपर केन्द्र सरकार ने उत्तरप्रदेश सरकार को पत्र लिखकर जाँच करने और सेंगोल को भारत सरकार के पास भेजने को कहा था जिस पर उत्तरप्रदेश सरकार ने प्रयागराज संग्रहालय से नेहरू की टहलने वाली छड़ी के रूप में रखें सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक सेंगोल को मार्च वर्ष 2023 में भारत सरकार को सम्मापूर्वक भेज दिया।