लेखक -ओम लवानिया
सिनेमाई जगत में वर्तमान परिदृश्य में हीरो-हिरोइन बिन खाने के रह सकते है किंतु विथ आउट पैपराजी, नो वे। दरअसल, पीआर एजेंसी बढ़िया पैकेज देती है ताकि हीरो-हिरोइन घर से निकलते ही रोल कैमरा, एक्शन शुरू हो जाता है। भले फिल्म में एक्टिंग करें या न करें, पैपराजी के समक्ष पूरा प्रदर्शन करते है।
प्रेजेंट माहौल में पिछड़ने का भय-डर लगा रहता है।
उदाहरण में देखेंगे, साउथ ब्लॉक के सुपरस्टार महेश बाबू की पिछली दो फिल्में बॉक्स ऑफिस पर लुढ़क गई। इन दिनों एसएस राजमौली की एडवेंचर एक्शन-थ्रिलर के लिये अंडरग्राउंड है और वर्कशॉप में हिस्सा ले रहे है ताकि किरदार से बढ़िया कनेक्ट हो सके।
राजमौली ने भी शर्त रखी थी कि लुक रिवील नहीं करना है, इसे मार्केटिंग रणनीति के तहत सरप्राइज एलिमेंट रखेंगे। फ़िल्म को अच्छा बज क्रिएट हासिल हो सके।
बीते दिनों महेश बाबू अंबानी के यहाँ शादी में दिखाई दिये थे। लंबे हेयरस्टाइल में ड्रेसिंग लग रहे थे। उसके बाद गायब हो चले, पिछले दिनों पैपराजी ने एयरपोर्ट पर महेश को अपने कैमरे में क़ैद कर लिया और फिर क्या लुक के बारे में लिखा जाने लगा।
महेश बाबू पौनीटेल में दिखाई देंगे।
साधारण बात है, जो दिखता है बिकता है। तेलुगू फ़िल्म इंडस्ट्री में महेश की अच्छी पोजीशन है। तिस पर पिछली असफलता ने दिक्कतें बढ़ा रखी है। ऐसे में राजमौली के साथ फिल्म की डील लंबी है। बीच में कोई दूसरी फ़िल्म साइन नहीं कर सकते है।
मीडिया से भी आउट की कंडीशन लगी है तो डाई हार्ड कैसे रियेक्ट करेंगे। तब ऐसे समय में पीआर वाले पैपराजी का प्रबंध करते है। फोटो क्लिक होते है, वीडियो बनती है। इसके बाद चर्चा, सुर्खियाँ खड़ी हो जाती है। अर्थात् कुछ क्वेश्चन मार्क से मीडिया की हैडलाइन में आ जाते है। ऐसे कृत्य पर निर्माता भी कुछ नहीं बोल सकते है। आखिर सुपरस्टार है, तो मीडिया एटेंशन मिलना स्वाभाविक है।
कई केस में छपरी सेलिब्रिटी स्वयं फोन करके बुला लेते है और एक्टिंग करेंगे, मीडिया पर गुस्सा दिखायेंगे। जस्ट लाइक एक्ट पार्ट।
हिरोइन सुबह जिम जाती है तब पैपराजी फोटो खींचने पहुँचते है इसमें पीआर या स्टार्स का हिंट होता है। उन्हें कुछ हॉट फोटोज मिल जाती है तो स्टार्स को मीडिया में स्पेस, जिस प्रकार मनुष्य जीवन के लिए भोजन लेता है। हीरो-हिरोइन पैपराजी लेते है। क्लिक न मिलें तो मर जाएंगे।
लाइम लाइट में मृतक घोषित कर दिया जाता है।
तभी तो हर तरह के हथकंडे लगाकर पैपराजी को करीब रखते है।
जया आंटी का गुस्सा भी पैपराजी हैंगओवर वाला है अगर ऐसा नहीं करेंगी तो कौन पूछेगा।
पैपराजी है तो स्टार्स ज़िंदा है। फिल्में आती है जाती है पैपराजी सदैव बनी रहती है। सारूक का औरा देखा होगा, फ़िल्म हो न हो, कोई न कोई बड़ा इवेंट चलता रहता है। ऐसी श्रेणी के हीरो को विज्ञापन वाला टेंशन सताता है। तो मीडिया में कुछ तो बड़ा होते रहना चाहिए। अभी सारूक ने कोई अवार्ड लिया है। सोशल मीडिया पर ट्रेंड रहे है।
इनके लिए आठ-दस पीआर लगती है।
पैपराजी तो मुफ्त है, इसमें तो नार्मल वे में चलता रहता है।
(लेखक फ़िल्मी समीक्ष समीक्षक हैं)