(मुकेश शर्मा)
(ग्वालियर)
✓ 250 किमी के दायरे में आने वाले 4 जिले श्योरपुर,मुरैना,भिण्ड, ग्वालियर में रोजाना कैसे ड्यूटी बजाएंगे उपयंत्री राकेश तिवारी!
✓ राजेंद्र तिवारी के सम्पत्ति अधिकारी के प्रभार वाला आदेश अभी मेरे पास नही आया है, शुक्रवार को वह ख़ुद लेकर आए थे कहा हाऊसिंग बोर्ड के उपायुक्त ग्वालियर ने
मध्यप्रदेश में एक ऐसे इंजीनियर हैं कि हाऊसिंग बोर्ड ग्वालियर मण्डल मण्डल ही नही बल्कि सरकार तक के इतने दुलारे और कृपापात्र हैं कि उनको लगभग आधा दर्जन पदों का चार्ज दे दिया गया है।
जिसकी जोरदार चर्चा है कि 250 किलोमीटर के दायरे में मिले सभी पदों पर प्रतिदिन जाकर किस तरह से सरकारी कार्य सम्पन्न करेंगे, स्पाइडर मैन और शक्तिमान भी दौड़ कर दम तोड़ देगा।
यहां बात हो रही है कि मध्यप्रदेश गृहनिर्माण एवम अधो संरचना विकास मण्डल के आला अधिकारी और व्यापम घोटाले में जेल यात्रा कर चुके ग्वालियर मण्डल में पदस्थ उपयंत्री राजेन्द्र तिवारी के कलाबाजी की।
ज्वलंत प्रश्न यह उठ खड़ा हुआ है आम जनमानस में कि सरकार और हाऊसिंग बोर्ड के पास इस उपयंत्री जितना काबिल कोई अभियंता नही है या फिर शासन, हाऊसिंग बोर्ड उपयंत्री के माध्यम से कुछ तगड़े खेल में लगे हैं।
सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि जो अधिकारी मध्यप्रदेश ही नही बल्कि देश में बहुचर्चित व्यापम घोटाले कांड में जेल जा चुका हो और उसका मूल पद उप यंत्री हो उस पर हाउसिंग बोर्ड इतना प्यार क्यों लुटा रहा है।
अभियंता राकेश तिवारी की मूल पदस्थापना श्योपुर में उप यंत्री के पद पर है ,श्योपुर का तिवारी के पास सहायक यंत्री का भी प्रभार है, इसके अलावा इनके पास श्योपुर डिविजन के कार्यपालन यंत्री का भी चार्ज हाऊसिंग बोर्ड ने दिया हुआ है जो कि मुरैना,भिंड श्योपुर डिविजन के अंतर्गत आते हैं
विदित हो कि दो महीने पहले गंभीर शिकायतों के आधार पर राजेंद्र तिवारी को ग्वालियर से श्योपुर उपयंत्री के पद पर ट्रांसफर किया गया था, किंतु आश्चर्यजनक रूप से राकेश तिवारी को एक सप्ताह के अंदर ही सारे आरोपों को दरकिनार करते हुए उप यंत्री से सहायक यंत्री और कार्यपालन यंत्री के प्रभार सौंपने के आदेश स्थानीय स्तर पर दे दिए गए, लाख टके का सवाल यह है कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपी को आखिर इतने प्रभार कैसे मिले, किसकी कृपा से मिल रहे हैं।
जनचर्चा है कि बोर्ड के टेक्निकल विभाग में राकेश तिवारी से सीनियर कोई इंजीनियर नहीं है?
आश्चर्य तो तब होता है जब उपयंत्री तिवारी को 6 जूलाई की शाम को हाउसिंग बोर्ड के संपदा अधिकारी का एक और अतिरिक्त प्रभार दे दिया है,जबकि ग्वालियर से श्योपुर की दूरी लगभग 250 किलोमीटर और इतनी ही दूरी श्योपुर और भिंड की है।

प्रश्न यह उठता है कि उपयंत्री को इतने पद का चार्ज देने वाले हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त चंद्रमौली शुक्ला को स्पष्ट करना चाहिए कि राजेंद्र तिवारी श्योपुर, मुरैना ,भिंड और ग्वालियर चार जिलों में क्या प्रतिदिन बैठकर विभागीय और जनता का कार्य करेंगे या अपने मन के अनुसार या फिर किस दिन कौन से ज़िले में जाकर काम करने के लिए बैठेंगे।
हाऊसिंग बोर्ड कमिश्नर चंद्र मौली शुक्ला ने किस नियम के तहत एक उपयंत्री को जिसके ऊपर गंभीर आरोप है चार ज़िले में इतने पदों का चार्ज दिया है इसकी सरकार को जांच अवश्य करवानी चाहिए।
सामान्य प्रशासन विभाग के नियमानुसार किसी कनिष्ठ अधिकारी,कर्मचारी को वरिष्ठ पद का प्रभार दिया जाता है तो उसमे कारण दर्शाया जाता है कि इस पद के योग्य विभाग में कोई अधिकारी नहीं है परंतु राकेश तिवारी के मामले में ऐसा नहीं किया गया है।
हाउसिंग बोर्ड ग्वालियर वृत में तिवारी से सीनियर लगभग आधा दर्जन उपयंत्री और सहायक यंत्री मौजूद हैं,इसके अलावा राकेश तिवारी का गृह क्षेत्र ग्वालियर है और उनका आवास हाउसिंग बोर्ड ऑफिस से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित है।
फिर भी सभी नियमों को ताक पर रखकर राकेश तिवारी को एक और प्रभार सौंप दिया गया है।हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त चंद्रमौली शुक्ला ने आपने अच्छे काम के लिए पूरे प्रदेश में पहचान बनाने वाले मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवम अधो संरचना विकास मंडल को हीरा मंडी कुख्यात करदिया जहां पैसा फेंको तमाशा देखो?इसका प्रत्यक्ष उदाहरण राजेंद्र तिवारी को दिए आधा दर्जन प्रभार हैं। उपयंत्री राजेंद्र तिवारी के मामले में हाउसिंग बोर्ड आयुक्त चन्द्रमौली से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होनें मोबाइल कॉल रिसीव नहीं किया तब उनके वाट्सएप नंबर पर मैसेज किया लेकिन उसका भी उन्होंने कोई जवान नहीं दिया।
उधर इस बाबत उपायुक्त हाउसिंग बोर्ड ग्वालियर मंडल एन डी अहिरवार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि राजेंद्र तिवारी का संपत्ति अधिकारी के प्रभार वाला आदेश मेरे पास नहीं है क्योंकि आदेश न तो विभाग के वाट्सएप ग्रुप में आया और न मेल पर, वह शुक्रवार शाम को आदेश की कापी स्वयं लेकर आये थे।