लेखक~हिमान्शु मिश्र
संसद-विधानसभा आपका है क़ानून बना दीजिये,राजनीतिक दलों के सभी अपराधी भगत सिंह हैं
♂÷जबसे उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में स्थित अस्पताल के गेट पर पुलिस अभिरक्षा में तीन कमउम्र के क़त्लबाज़ो नें मीडिया व पुलिस के सामने गोली मार कर हत्या कर डाली तब से विपक्ष के नेता,माफ़िया अतीक-अशरफ़ के लिए आँसू बहा रहे हैं।
अतीक की हत्या का विरोध करने वाले अब बिहार के बाहुबली व जिलाधिकारी की हत्या में सजा काट रहे बाहुबली आनन्द मोहन सिंह को जेल से रिहा करवा कर उसका खुलेआम समर्थन कर रहे हैं।
एक उदाहरण बिलकिस बानो मामले का भी है। मतलब तुमने गंद मचाया है तो हम भी मचाएंगे। तुमने चोरी की है तो हम भी करेंगे। संसद—विधानसभा आपका है। कानून बना दीजिये, राजनीतिक दलों के सभी अपराधी भगत सिंह हैं। वह इसलिए कि हर पार्टी में अपराधी है। अपने पार्टी के अपराधी में सभी को भगत सिंह दिखता है तो दूसरे दलों के अपराधियों में “ओसामा बिन लादेन”। सारा मसला वोट का है। बचाव और विरोध के पीछे बस वोट बैंक है। किसी को हिंदू वोट चाहिए, किसी को मुसलमान वोट चाहिए। कोई दलित एंगल निकाल रहा है कोई सवर्ण तो कोई ओबीसी। भारत की राजनीति ध्रुवीकरण और समानांतर धुव्रीकरण मतलब पॉलराइजेशन और पैरलल पॉलराइजेशन पर अटक गई है। बस एक एंगल कोई नहीं निकाल रहा। वह एंगल है अपराधी—अपराधी होता है। आनंद मोहन सिंह के संदर्भ में हम तो बाबा शिवानंद तिवारी के तर्क से चौंक गए। शिवानंद तिवारी बाबा कह रहे हैं कि हम सबको पता है कि आनंद मोहन हत्या में शामिल नहीं थे। बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई के समर्थकों का भी यही तर्क है। बाबा आपकी सरकार थी ठीक से जांच करा लेते। गुजरात में भी समर्थकों की ही सरकार थी। उनके कहने का आशय है कि आनंद मोहन की रिहाई पर ही समाजवाद टिका था। वोट के लिए वामपंथी नमाज पढ़ने और पूंजा पंडाल में जाने से परहेज नहीं बरत रहा तो बाबा तिवारी क्यों चूकें। वैसे किताबी ज्ञान के लिए वामपंथ के लिए धर्म अफीम है। आंनद मोहन के लिए वही तर्क दिए जा रहे हैं जो बिलकिस बानो मामले में दिए जा रहे थे। मतलब सारे दल समाजवाद लाने पर आमदा हैं और कमबख्त समाजवाद आने के लिए तैयार ही नहीं है। कहने का मतलब बस हम ही चू———ए हैं। बेवकूफ का धन मतलब वोट और होशियार की चटनी मतलब सत्ता।
हिमांशु मिश्र अमर उजाला के नेशनल ब्यूरो इन चीफ व दिल्ली में कार्यरत हैं