लेखक -मनोज अभिज्ञान
अमेरिका की न्यायपालिका पर विश्व के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने सीधा हमला बोल दिया है।
एलन मस्क ने उस जज के खिलाफ महाभियोग की मांग कर दी है, जिसने उनके विभाग DOGE – ‘डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी’ को ट्रेजरी की संवेदनशील प्रणालियों तक पहुंचने से रोक दिया था।
मस्क ने जिस अमेरिकी न्यायाधीश, पॉल एंगेलमेयर, को आड़े हाथों लिया है, उन्होंने ट्रेजरी विभाग की सुरक्षा का हवाला देते हुए यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। लेकिन मस्क इसे सरकारी भ्रष्टाचार और तानाशाही करार दे रहे हैं! क्या न्यायपालिका अब अरबपतियों की मनमर्जी के आगे झुक जाएगी? क्या न्याय पर अब धनबल और प्रभाव का बोलबाला होगा?
मस्क का यह आक्रामक बयान केवल कानूनी विवाद नहीं, बल्कि अमेरिकी लोकतंत्र की नींव को हिलाने वाला कदम है। यह सीधा न्यायपालिका पर हमला है! क्या अब अरबपति तय करेंगे कि कौन-सा जज रहेगा और कौन नहीं? क्या पैसे और ताकत के दम पर कोर्ट के फैसले बदले जाएंगे? अगर मस्क अपने महाभियोग की मांग में सफल हो जाते हैं, तो यह न्यायपालिका के लिए घातक संकेत होगा।
यह मामला केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है। यह पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है—क्या न्याय अब अमीरों की मुट्ठी में होगा? अगर एक न्यायाधीश को इस तरह धमकाया जा सकता है, तो फिर आम आदमी की न्यायिक सुरक्षा कहां तक बचेगी यह एक गंभीर प्रश्न है।
(लेखक उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और यह उनके निजी विचार हैं)